1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

राजस्थान में मतदान

२३ अप्रैल २०१४

देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान में चौबीस अप्रैल को अंतिम दौर का मतदान हो रहा है. प्रदेश की 25 में से बाकी बची पांच सीटों पर जातीय संघर्ष को रोकने के लिए भारी सुरक्षा बंदोबस्त क्ए गए हैं.

https://p.dw.com/p/1BnLJ
तस्वीर: Reuters

पिछले लोकसभा चुनावों में राजस्थान में सबसे ज्यादा उपद्रव इन्हीं पांच सीटों पर हुआ था. यहां तीस प्रतिशत से ज्यादा पोलिंग बूथ संवेदनशील हैं और इसकी वजह से शांति व्यवस्था बनाये रखना इस बार भी भारी चुनौती है. पिछले चुनावों के बाद राज्य में सत्ता में आई भाजपा और प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस सहित सभी दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है.

पिछले चुनावों चार सीटों पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय उमीदवार की जीत हुई थी. इस साल कांग्रेस और भाजपा के अलावा बसपा, राजपा, आप तथा अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के साथ कई निर्दलीय भी यहां जीत की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

पांच सीटों का चुनावी गणित

इन 5 सीटों में सबसे अधिक चर्चित दौसा संसदीय सीट है. यह सीट कांग्रेस और भाजपा दोनों ही के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है. मीणा समुदाय के वोटों की सर्वाधिक संख्या होने के कारण दोनों प्रमुख पार्टियों ने इसी जाति के उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं. कांग्रेस ने इस बार टोंक-सवाईमाधोपुर के सांसद और केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा को मैदान में उतारा है.

Vasundhara Raje mit Siegeshandzeichen Victory
राजे को जीत का भरोसातस्वीर: UNI

भाजपा ने उन्हीं के सगे भाई और हाल ही में राजस्थान के पुलिस महानिदेशक की नौकरी छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए हरीश मीणा को टिकट देकर दो भाइयों के बीच चुनावी जंग करा दी है. इन दोनों का मुकाबला यहां से पिछला लोकसभा चुनाव जीतने वाले राजपा के किरोड़ी लाल मीणा से भी है जो मीणा जाति के प्रतिनिधित्व के लिए प्रसिद्ध हैं. इनके अलावा इस क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी चुनावी समीकरण बिगाड़ा हुआ है.

दूसरी अहम सीट है टोंक-सवाईमाधोपुर जहां इस बार कांग्रेस ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजरूद्दीन को चुनाव मैदान में उतारा है. उन्हें भाजपा के सुखवीर सिंह जौनपुरिया कड़ी टक्कर दे रहे हैं. अन्य सीटों पर भरतपुर और धौलपुर में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है परन्तु अलवर में कांग्रेस के मंत्री रहे जितेंद्र सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. उनका मुकाबला भाजपा के पूर्व विधायक महंत चांदनाथ से है.

प्रतिष्ठा से जुड़े मुकाबले

पांचों ही सीटें राजनीतिक प्रतिष्ठा का सवाल बन गई हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के साथ मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और तीनों मीणा उम्मीदवारों के लिए तो यह चुनाव बहुत ही अहम हो गए हैं. जहां सचिन के लिए गुर्जर मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में करने की जिम्मेदारी है, तो वहीं हरीश मीणा को उम्मीदवार बनाने के मुख्यमंत्री के फैसले के सही-गलत का फैसला भी इन नतीजों से होना है.

Indien Wahlen 2014 10.04.2014 Jhunjhunu Rahul Gandhi
राहुल गांधी की मेहनततस्वीर: UNI

चुनावी पब्लिसिटी का काम वैसे तो सभी राजनैतिक दलों और अन्य उम्मीदवारों ने अपने- अपने तरीकों से किया है पर इस बार नरेन्द्र मोदी छाए से लगते हैं. राजस्थान में उनके अलावा सोनिया गांधी, राजनाथ सिंह, राहुल गांधी, वसुंधरा राजे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई दिग्गजों ने चुनावी रैलियां की हैं परन्तु प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी पार्टी के लिए कोई प्रचार नहीं किया.

रिकॉर्ड वोटिंग

इस से पहले सत्रह अप्रैल को हुए पहले चरण में पिछले चुनावों के मुकाबले पंद्रह फीसदी अधिक मतदान हुआ. इस बार 63.43 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाला जबकि पिछले चुनावों में यह आंकड़ा सिर्फ 48.09 फीसदी ही था. सबसे ज्यादा 73 प्रतिशत मतदान श्रीगंगानगर में हुआ जबकि सबसे कम पाली में जहां मात्र 58 प्रतिशत लोगों ने ही अपने मताधिकार का उपयोग किया.

राजस्थान में पहले चरण के मतदान के बाद कई दिग्गजों के चुनावी भाग्य का फैसला मतपेटियों में बंद हो गया है. प्रदेश का सबसे रोचक चुनाव बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र का बन पड़ा है जहां भाजपा से टिकट न मिलने पर प्रमुख राष्ट्रीय नेता जसवंत सिंह ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा है. क्षेत्र के लोग इसे भाजपा विरुद्ध भाजपा का युद्ध बताते हैं.

ओलंपिक में भारत को पदक दिलवाने वाले शूटर राज्यवर्धन सिंह भाजपा के टिकट पर जयपुर से कांग्रेस के दिग्गज सी. पी. जोशी से मुकाबला कर रहे हैं. कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट अजमेर से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह फिर एक बार झालावाड़ से चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस की दिग्गज नेता गिरिजा व्यास इस बार चितौड़गढ़ से अपना भाग्य आजमा रही हैं.

रिपोर्ट: जसविंदर सहगल, जयपुर

संपादन: महेश झा