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ऑनलाइन देखिए आइंस्टीन के दस्तावेज

२१ मार्च २०१२

महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी और उनके व्यक्तिगत दस्तावेज भी अब ऑनलाइन देखे जा सकेंगे.

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तस्वीर: AP

येरुशलम के हिब्रू यूनिवर्सिटी ने पहली बार इन दस्तावेजों को ऑनलाइन करने की पहल कर विज्ञान प्रेमियों को बड़ी सौगात दी है. जलवायु परिवर्तन और दूसरी वजहों से पुराने दस्तावेज के खराब होने का खतरा बना रहता है. इसी से बचाने के लिए आइंस्टीन के अब तक अनदेखे दस्तावेजों को शक्तिशाली कैमरे में कैद किया गया है. इन्हें अब इंटरनेट पर ऑनलाइन किया जा रहा है ताकि आम लोग महान वैज्ञानिक के जीवन के अनछुए पहलुओं को जान सकें.

2003 तक आइंस्टीन के 900 दस्तावेज और एक अधूरी सूचि ऑनलाइन की जा सकी थी. मगर बाद में इस काम का बीड़ा ब्रिटेन के पोलोंस्की फाउंडेशन ने उठाया. इसने आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर आइंस्टीन के 80,000 से भी ज्यादा दस्तावेजों को ऑनलाइन कर दिया. यह पहले न्यूटन के दस्तावेजों को भी इंटरनेट पर डाल चुका है.

निजी खत भी सार्वजनिक

हिब्रू यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट मेनाखेम बेन सासोन के अनुसार, "ज्ञान छिपाने के लिए नहीं बल्कि फैलाने के लिए होता है." भौतिक विज्ञान के महान वैज्ञानिक आइंस्टीन इस विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में थे. इसे 1925 में स्थापित किया गया था. चार वर्ष बाद ही आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार मिला. इस पोर्टल पर 2000 दस्तावेज और 7000 पेज देखे जा सकते हैं. इसमें आइंस्टीन के 1921 के बाद के सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन से जुड़े दस्तावेज भी हैं. आने वाले सालों में यह खजाना बढ़ने की उम्मीद है. इस ऑनलाइन प्रोजेक्ट के लिए प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी के विशेषज्ञों ने काम किया है.

इस यूनिवर्सिटी में मौजूद आइंस्टीन के दस्तावेजों में 14 हाथ से लिखे नोटबुक भी हैं.साथ ही उनके प्रसिद्ध फॉर्मूलों के बारे में भी जानकारी है. इसके साथ ही बीमार मां और प्रेमिका को लिखे उनके पत्र भी हैं.

बाल तो कटाइए

इन दस्तावेजों में एक छह साल की बच्ची का लिखा खत भी शामिल है, जिसमें उसने लिखा है कि उनसे आइंस्टीन का फोटो देखा है और उन्हें बाल कटा लेने चाहिए.

हालांकि उस दस्तावेज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है, जो आइंस्टीन के दौर के जर्मन वैज्ञानिक फ्रित्ज बावर की है. इसमें बावर ने आइंस्टीन के अमेरिका जाने के फैसले की निंदा की थी और कहा था कि वह जर्मनी के प्रति वफादार नहीं हैं. इसके जवाब में आइंस्टीन ने लिखा, "हालांकि सब जानते हैं कि मेरी मानसिकता अंतरराष्ट्रीय है, उसके बावजूद मैं कहना चाहता हूं कि मैं अपनी क्षमता के अंदर रहते हुए अपने विचारों को जहां बेहतर तरीके से प्रकट कर सकूं, वही अच्छा है. ऐसे में अगर मैं ज्यादा लोगों के प्रति वफादार हूं और एक के प्रति नहीं, तो कोई बात नहीं."

वेबसाइट से जुडे़ रोनी ग्रोज के अनुसार पत्र में आइंस्टीन की प्राथमिकताएं साफ नजर आती है. विश्व युद्ध के बाद जर्मनी ने पूर्वी यूरोप के शरणार्थियों को अपने विश्वविद्यालयों में प्रवेश देने से इनकार कर दिया था. आइंस्टीन ने इसे अन्याय के रूप में देखा.

और दस्तावेज आएंगे

विश्वविद्यालय आइंस्टीन की एक और प्रतिलिपि प्रकाशित करेगा. उसमें उनके स्कूल के दिनों में कमजोर छात्र रहने के बाद भी 20 वर्ष की छोटी उम्र में विज्ञान की खोज की दिशा में बढ़ने की जानकारी होगी. इसके अलावा अन्य दस्तावेजों में उनके आधा दर्जन प्रेमिकाओं को लिखे गए पत्र, सामाजिक मुद्दे, परमाणु निरस्त्रीकरण के बीच अमेरिका में अश्वेतों के अधिकार की बात और अरब यहूदी विवाद भी शामिल है. इस्राएल के देश बनने के पहले अरबी भाषा के अखबार को लिखा गया पत्र भी वेबसाइट पर होगा. पत्र में आइंस्टीन ने मध्यपूर्व में शांति वार्ता के लिए आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बनाने का प्रस्ताव दिया था. इस खुफिया परिषद में अरब और यहूदी मूल के डॉक्टर, जज, पादरी और श्रम संगठन के लोगों को शामिल करने का सुझाव था.

रिपोर्टः एपी/जे व्यास

संपादनः ए जमाल

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