एवरेस्ट की सुपरफास्ट चढ़ाई
१ सितम्बर २०१४"अपनी तैयारी करें, लाइन से बचें और एवरेस्ट को छुएं" यह नारा देते हुए ब्रिटिश गाइड एड्रियान बालिंगर ने पर्वतारोहियों के लिए नया प्रोग्राम बनाया है. "रैपिड एसेंट" प्रोग्राम के तहत छह हफ्ते के भीतर पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट की छोटी पर होंगे. फिलहाल 8,848 मीटर की चढ़ाई में 10 हफ्ते लगते हैं.
रैपिड एसेंट के तहत चढ़ाई करने वाले को 79,000 डॉलर की फीस भरनी होगी. बालिंगर इसे जायज करार देते हैं, "एवरेस्ट पर चढ़ने का सबसे अच्छा तरीका यह है आप वहां जल्द पहुंचें. इसका मतलब है कि बेस कैम्प के चक्कर काटने या लाइन में खड़े रहने में समय न बर्बाद करें."
38 साल के बालिंगर ने चढ़ाई से पहले आठ हफ्ते का ट्रेनिंग कार्यक्रम तैयार किया है. कुछ चीजों का लोग घर पर ही अभ्यास कर सकते हैं. चढ़ाई से पहले खास टेंटों में ट्रेनिंग होगी. टेंटों में नाइट्रोजन भरी जाती है. ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम रखी जाती है. बालिंगर के कैम्प में अत्यधिक ऊंचाई जैसा माहौल रहता है. इसमें आठ हफ्ते गुजारने के बाद पर्वतारोही एवरेस्ट के रास्ते में पड़ने वाली परेशानियों के आदी हो जाते हैं. इस दौरान एक डॉक्टर लगातार सेहत पर नजर रखेगा.
बालिंगर कहते हैं, "इस तरीके से लोग चढ़ाई के लिए ज्यादा फिट रहेंगे. परंपरागत ढंग से चढ़ाई करने वाले दो महीने पहले से पहाड़ों पर ऊपर नीचे करके अभ्यास करते रहते हैं, इससे वजन भी कम होता है और मांसपेशियां भी घटती हैं."
हालांकि कुछ विशेषज्ञ बालिंगर के दावों से पूरी तरह सहमत नहीं. लंदन में इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स साइंसेज के डायरेक्टर ग्रेगोर मिलेट के मुताबिक बालिंगर के अभ्यास के तरीके बहुत सीमित हैं, "पर्वतारोहण में कई बार कुछ जोखिम अचानक सामने आ जाते हैं. टेंट के भीतर ऐसे मौकों का अभ्यास नहीं किया जा सकता."
मिलर को लगता है कि कम ऑक्सीजन वाले टेंटों में आठ हफ्ते बिता कर एवरेस्ट के माहौल का आदी हुआ जा सकता है लेकिन इससे चढ़ाई करने का कौशल नहीं आएगा. ऐसी आलोचना के जबाव में बालिंगर कहते हैं कि कुछ ही महीनों में वह एक रूसी उद्योगपति को एवरेस्ट पर ले जा रहे हैं. अभियान की सफलता से तय हो जाएगा कि उनकी ट्रेनिंग कितनी कारगर है.
ओएसजे/एजेए (एपी)