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ईरान पर रूस का एकतरफा फैसला

क्रिस्टियान ट्रिपे/एमजे१५ अप्रैल २०१५

रूस ईरान को आधुनिक एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल बेचेगा. इस्राएल और पश्चिमी देशों का गुस्सा मॉस्को के लिए मायने नहीं रखता. डीडब्ल्यू के क्रिस्टियान ट्रिपे कहते हैं कि मॉस्को की एकमात्र चिंता मध्यपूर्व में स्वतंत्र कूटनीति है.

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तस्वीर: tabnak

ईरान के साथ परमाणु समझौते की स्याही सूखी ही थी कि रूस ने आगे बढ़कर ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों की समाप्ति की घोषणा कर दी. कम से कम मॉस्को के लिए यह खत्म हो गया. क्योंकि परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले दूसरे पांच देश, अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी अभी इंतजार करना चाहते हैं. वे जून के अंत तक ईरान के साथ बाध्यकारी समझौता करना चाहते हैं कि आगे के कदम क्या हों. ईरान को परमाणु हथियार बनाने से कैसे रोका जाए ताकि वह इसके बावजूद गैर सैनिक उपयोग के लिए परमाणु उद्योग बढ़ा सके.

सिर्फ अपना हित

रूस अब स्विट्जरलैंड के लुजान में मुश्किल से तय इस कार्यक्रम के आड़े आ गया है. फारस के तेल के बदले रूस के माल का सौदा होगा, मालों के लेनदेन का अरबों का सौदा लुभा रहा है. इस सौदे में सालों पहले हुआ एस-300 रॉकेटों की बिक्री का सौदा भी शामिल है जिसे प्रतिबंधों के कारण रोकना पड़ा था. एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल कोई ऐसा वैसा हथियार नहीं है. युद्ध के इलाके में वह राजनीतिक सत्ता का खेल बदल सकता है. यह सब रूस को बहुत अच्छी तरह पता है, उसके इस्राएल के साथ भी अच्छे रिश्ते हैं.

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क्रिस्टियान ट्रिपे

इस बीच हर आठवें इस्राएली की मातृभाषा रूसी है, क्योंकि लोग पूर्व सोवियत संघ के इलाकों से वहां चले गए हैं. तेल अवीव सरकार चिंतित है और वह लुजान के समझौते की आलोचना को सही होता देख रहा है. इस्राएली वायुसेना के लिए एस-300 रॉकेट सिर्फ टैक्टिकल चिंता नहीं हैं. शायद इस्राएल को ईरान के परमाणु उद्योग को हवाई हमले से नष्ट करने का अपना अंतिम विकल्प त्यागना होगा. अभी तक साफ नहीं है कि रूस ईरान को कौन सा हथियार देगा. एस-300 कई रूपों में बनाया जाता है. इस डील के साथ रूस प्रतिबंध खत्म होने के बाद ईरानी बाजार में प्रतिस्पर्धा में आगे रहना चाहता है.

हितों की रक्षा

यह सब मध्यपूर्व में रूस की उपस्थिति में फिट बैठता है. इस्राएल के साथ निकट संबंध रूसी राजनयिकों को फलीस्तीनियों, मिस्र और दूसरे सुन्नी नेताओं से सहयोग करने से नहीं रोक पाया है. पहले सीरिया में अलावी समुदाय के राष्ट्रपति बशर का समर्थन और अब तेहरान के शिया मुल्ला नेताओं के साथ समझौता, रूस कुछ तय नहीं कर रहा है, वह पूरे मध्यपूर्व में प्रभाव बनाए रखना चाहता है. क्योंकि कभी न कभी इलाके में गृहयुद्ध समाप्त हो जाएगा, इस्लाम के विभिन्न समुदायों के बीच युद्ध खत्म हो जाएगा.

आने वाले समय में इलाके में प्रभुत्व की लड़ाई का भी फैसला होगा. इस बड़े खेल में रूस ने अपने रॉकेट वाले फैसले के साथ एक बड़ी पौध रख दी है. रूस अपनी रॉकेट कूटनीति के साथ एक और संदेश दे रहा है. प्रतिबंध बेवकूफी है, उन्हें फौरन समाप्त किया जाना चाहिए. एक ऐसे देश का नजरिया, जो खुद यूरोपीय संघ और अमेरिका के प्रतिबंधों को झेल रहा है और जिस पर नए प्रतिबंधों का खतरा भी है.

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