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ई सिगरेट पर बैन की राह पर भारत

१ नवम्बर २०१४

भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय अब इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर बैन लगाने की योजना बना रहा है. भारत में हर साल करीब 9 लाख लोग तंबाकू के कारण मरते हैं. सरकार इससे पहले तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने जैसे कदम उठा चुकी है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर की सरकारों से अपील की थी कि वे ई सिगरेट के इस्तेमाल को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएं. तीन अरब डॉलर के अंतरराष्ट्रीय बाजार को सीमित करने के लिए कहा गया था कि ई सिगरेट के घरों के भीतर इस्तेमाल पर भी रोक होनी चाहिए.

क्या है ई सिगरेट

ई सिगरेट आम सिगरेट से हट कर बैटरी से चलने वाली सिगरेट है जिसमें निकोटीन युक्त कार्ट्रिज होता है. चालू करने पर इससे निकलने वाली निकोटीन की वाष्प सिगरेट जैसा अनुभव देती है. अब तक वैज्ञानिक इसे पूरी तरह सुरक्षित नहीं साबित कर पाए हैं हालांकि इससे संबंधित कई रिसर्चें जारी हैं. आलोचकों के मुताबिक इसके सेवन से इंसान निकोटीन का लती हो सकता है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ कर्मचारी के मुताबिक, "हम इसे गुप्त रास्ते की तरह देखते हैं. इसमें तंबाकू तो नहीं है लेकिन इसमें निकोटीन है." उनके मुताबिक विशेषज्ञों की टीम ने इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध की सलाह दी है. उन्होंने बताया कि यह प्रतिबंध अगले एक दो महीने में लागू किया जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पहले भी तंबाकू सेवन पर अंकुश लगाने के लिए टैक्स में बढ़ोतरी और पैकिंग पर सख्त चेतावनी वाले संदेश देने जैसे कदम उठा चुकी है.

खुली बिक्री पर रोक

भारत की सबसे बड़ी सिगरेट निर्माता कंपनी आईटीसी ने ई सिगरेट बेचना इस साल अगस्त से ही शुरू किया है. इससे पहले इनका निर्माण केवल छोटी कंपिनयां ही कर रही थीं. आईटीसी ने प्रतिबंध पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं दी लेकिन कहा कि उन्हें डर है कि भारत इस तरह के उत्पादों के क्षेत्र में तकनीकी विकास में पीछे न रह जाए.

मार्केट रिसर्च संस्था यूरोमॉनिटर इंटरनेशनल के अनुसार 2012 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में साल भर में 100 अरब सिगरेट का सेवन किया गया. भारत में डिब्बे के बगैर अलग से सिगरेट बेचना भी बहुत आम बात है. प्रस्ताव यह भी है कि इस तरह खुली सिगरेट की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया जाए.

तंबाकू की बिक्री पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के रूपरेखा के मुताबिक देशों को सिगरेट की खुली बिक्री पर रोक लगानी चाहिए क्योंकि इस तरह सिगरेट खरीदना नाबालिगों के लिए आसान हो जाता है. एक सिगरेट को खरीदना उनके लिए उतना महंगा नहीं होता जितना कि पूरे पैकेट को खरीदना. टोबैको इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जो एक औद्योगिक संस्थान है, मानता है कि इस तरह का कानून लागू करना नामुमकिन है क्योंकि इससे खुदरा व्यापारियों का शोषण होगा.

एसएफ/आईबी (रॉयटर्स)