1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

इराक पहुंचे छह जर्मन सैनिक

२८ अगस्त २०१४

जर्मनी की सेना बुंडेसवेयर ने अपने छह सैनिकों को उत्तरी इराक भेजा है. वे सैनिक और असैनिक सहायता पैकेजों में समन्वय बनाने की कोशिश करेंगे. गैरयुद्धक दल ने अपना काम इरबिल के जर्मन वाणिज्य दूतावास में शुरू कर दिया है.

https://p.dw.com/p/1D2zq
तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मनी की सरकार ने कहा है कि वह कुर्द लड़ाकों को हथियारों की सप्लाई करेगी, जो इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों से लड़ रहे हैं. हालांकि जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने बार बार कहा है कि किसी भी तरह की युद्धक टुकड़ी इराक नहीं भेजी जाएगी. वहां पहुंचे सैनिक, सैनिक और असैनिक रसद को इराकी सरकार और स्थानीय कुर्द अधिकारियों के साथ मिल कर सही जगह पहुंचाने में मदद करेंगे.

अमेरिकी सेना ने हाल ही में कहा था कि सात देशों ने कुर्द लड़ाकों को हथियार मुहैया कराने की बात कही है, ताकि वे आईएस (इस्लामिक स्टेट) से मुकाबला कर सकें. आईएस ने इराक के कुछ शहरों पर कब्जा जमा लिया है और इलाके में खिलाफत का एलान कर दिया है.

Bundeswehr Materiallager Waren Irak Hilfslieferung 27.8.
रसद पहुंचाने का कामतस्वीर: picture-alliance/dpa

इस बीच जर्मनी में सीडीयू-सीएसयू संसदीय बोर्ड के नेता फोल्कर कॉडर ने कुर्दों को हथियार दिए जाने की संभावना के बारे में कहा, "उन्हें एंटी टैंक हथियारों, माइनिंग उपकरण और रात में काम आने वाले उपकरणों के अलावा बंदूक और गोलियों की जरूरत है." उन्होंने जर्मन एक अखबार "हंडेल्सब्लाट" से बातचीत में कहा कि जर्मनी को यह काम जल्द करना चाहिए क्योंकि स्थानीय लोगों को फौरी मदद की जरूरत है. उन्होंने कहा, "शरणार्थियों को यह संकेत मिलना चाहिए कि वे अकेले नहीं हैं." उत्तरी इराक में यजीदी भी रहते हैं, जिन्हें आईएस ने खास निशाना बनाया है और इसकी वजह से उन्हें बेघर होना पड़ा है.

कॉडर का कहना है कि हथियारों की सप्लाई जर्मन के रुख में बदलाव नहीं है, बल्कि सोची समझी विदेश नीति का हिस्सा है. उनका कहना है कि हथियारों की आपूर्ति के हर मामले को अलग तरह से देखा जाना चाहिए. इस मामले पर रविवार को जर्मन संसद में बड़ा फैसला होने वाला है, जिस पर संसद के विशेष सत्र में बहस होगी. विपक्षी दल हथियारों की सप्लाई का विरोध कर रहे हैं.

उधर, इराक में शिया और सुन्नी संगठनों के बीच खाई बढ़ती जा रही है. आईएस के आतंकवादियों का कहर जारी है, जिन्होंने पिछले हफ्ते अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोली की क्रूर हत्या करके सनसनी फैला दी थी. एक रेगिस्तान में नारंगी पोशाक पहने फोली की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी. आईएस का कहना है कि अमेरिका उनके देश में दखल दे रहा है, जिसकी वजह से वे एक अमेरिकी की हत्या कर रहे हैं. अंदेशा है कि यह हत्यारा अरब मूल का ब्रिटिश है.

इससे पहले अमेरिका ने इराक के संकटग्रस्त इलाकों में सैनिक कार्रवाई करने और ड्रोन से हमले करने का आदेश दिया था. हालांकि अमेरिका ने साफ कर दिया है कि वह अपने सैनिकों को दोबारा इराक नहीं भेजेगा, जिन्हें तीन साल पहले ही इराक से हटाया गया है.

एजेए/ओएसजे (डीपीए, रॉयटर्स, एएफपी)