इबोला से बौखलाया अमेरिका
२९ अक्टूबर २०१४न्यू यॉर्क और न्यू जर्सी में पश्चिमी अफ्रीका से लौट रहे डॉक्टरों और नर्सों को 21 दिन तक अलग रखने का नियम बनाया गया है जो कि देश के कानूनों से मेल नहीं खाता. इस बारे में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, "हम अपने स्वास्थ्य अधिकारियों को वहां जाने और सफलतापूर्वक स्थिति से निपटने से हतोत्साहित नहीं करना चाहते." ओबामा ने कहा कि इन स्वास्थ्यकर्मियों की सराहना होनी चाहिए, इनका शुक्रिया अदा करना चाहिए और इन्हें इस काम के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, "हमें सुनिश्चित करना होगा कि जब वे वापस लौटें तो उन पर नजर रखी जाए. लेकिन यह जरूरी है कि हम इस बात को समझें कि ये लोग वहां भगवान का काम कर रहे हैं. और इसलिए कर रहे हैं ताकि हम सुरक्षित रह सकें."
अमेरिका के कुछ राज्यों ने खुद ही नए नियम बना लिए हैं. उनकी दलील है कि देश के कानून इस दिशा में काफी नहीं हैं. लेकिन इन नियमों को पश्चिमी अफ्रीका से लौट रहे डॉक्टरों और नर्सों के साथ भेदभाव के रूप में देखा जा रहा है. इस बारे में ओबामा ने कहा, "हम ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहते जो विज्ञान पर आधारित नहीं है और जिसे कभी आजमाया नहीं गया क्योंकि अगर हम ऐसा करते हैं तो हम उनके लिए बाधा बन जाएंगे जो हमारे ही लिए काम कर रहे हैं."
इस मामले में पहली नर्स किसी कीकॉक्स हैं. पश्चिमी अफ्रीका से लौटने पर उनका इबोला टेस्ट किया गया. टेस्ट पास कर लेने के बाद भी उन्हें कई दिन एक टेंट में अकेले गुजारने पड़े. इस पर अपनी शिकायत दर्ज करते हुए उन्होंने कहा कि यह उनके मानवाधिकारों का हनन है. इसी तरह का एक अन्य मामला कनेक्टिकट का है, जहां पिता ने शिकायत की है कि उनकी सात साल की बेटी के साथ स्कूल में इसलिए भेदभाव किया जा रहा है क्योंकि वह एक शादी में शरीक होने के लिए नाइजीरिया गयी थी और अब उसके स्कूल में सबको लगता है कि उसे इबोला है. फिलहाल बच्ची को स्कूल में आने की अनुमति नहीं है.
इसके अलावा अमेरिकी सेना में भी इस बात पर चर्चा चल रही है कि राहतकार्य के लिए पश्चिमी अफ्रीका गए अमेरिकी सैनिकों के साथ कैसा रवैया रखना चाहिए. यहां भी सैनिकों के लौटने पर उन्हें 21 दिन के लिए सबसे अलग रखने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. हालांकि किन किन सैन्य टुकड़ियों पर यह लागू होगा, अभी इस पर पूरी जानकारी नहीं है. अमेरिका के करीब 4,000 सैनिक पश्चिमी अफ्रीका में मौजूद हैं और सेना बार बार इस बात पर जोर दे रही है कि सेना इबोला मरीजों के संपर्क में नहीं है, बल्कि वहां अस्पताल बनाने और स्वास्थ्यकर्मियों की मदद के काम में लगी है.
अमेरिका की ही तरह अन्य पश्चिमी देश भी इसी तरह बौखलाए हुए हैं. जर्मनी समेत यूरोप में भी कई देश तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें किस तरह का रवैया अपनाना चाहिए.
आईबी/एएम (रॉयटर्स)