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इंसानों की तरह जम्हाई लेते हैं भेड़िये

२९ अगस्त २०१४

सिर्फ एक बच्चे के उबासी लेने की देर थी कि एक एक कर सभी ने उबासी लेना शुरू कर दिया. स्कूल के क्लासरूम में यह नजारा नया नहीं है. टीचर की डांट से बचने के लिए अब बच्चे कह सकते हैं कि भेड़िये भी तो ऐसा ही करते हैं.

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Wolf Schleswig-Holstein Tierpark
तस्वीर: picture-alliance/dpa

सिर्फ बीमारियां ही संक्रामक नहीं होती, कुछ आदतें भी एक से दूसरे को लग जाती हैं. जम्हाई लेना भी कुछ ऐसा ही होता है. सिर्फ इंसानों में ही नहीं, चिम्पांजी, बबून और कुत्तों में भी ऐसा देखा गया है. और अब भेड़ियों में भी.

विज्ञान पत्रिका प्लस वन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक जापान के एक जू में ऐसा शोध किया गया है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने पांच महीने तक बारह भेड़ियों पर नजर रखी. कुल 254 घंटों का डाटा जमा किया गया. उन्होंने पाया कि जैसे ही एक भेड़िया जम्हाई लेता, आसपास के भेड़िये भी वैसा ही करने लगते. जबकि अकेले में वे इतनी जम्हाई नहीं लेते.

इसके अलावा भेड़ियों में आपसी नजदीकी का भी फर्क देखा गया. शोध में कहा गया है, "किसी भेड़िये पर दूसरे की जम्हाई का असर कितना होगा यह उनके बीच के संबंधों पर निर्भर करता है. अगर वे किसी के ज्यादा करीब हैं तो जम्हाई लेने की संभावना भी ज्यादा हो जाती है." हालांकि शोध एक छोटे से झुंड पर ही हुआ है, लेकिन वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि बड़े पैमाने पर भी ऐसे ही नतीजे मिलेंगे. उबासी के एक से दूसरे तक फैलने की वजह वे आपसी समानुभूति बताते हैं.

पहले माना जाता था कि केवल इंसानों में ही इस तरह के एहसास होते हैं. धीरे धीरे कुत्तों और बंदरों में भी इनके होने के बारे में पता चला. अब भेड़ियों पर रिसर्च होने के बाद इस विषय पर शोध करने वाली जापान की तेरेसा रोमेरो का कहना है कि ऐसा संभव है कि जितना अब तक आंका गया है, उससे कई ज्यादा जानवरों में ऐसे एहसास मौजूद हैं. वह कहती हैं, "नतीजे बताते हैं कि यह एक ऐसी आदत है जो सदियों से स्तनपाइयों में मौजूद है और इससे यह भी पता चलता है कि हम कैसे भावुक तौर पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं"

आईबी/एमजे (एएफपी)