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इंदिरा पर बनी फिल्म लटकी

२२ अगस्त २०१४

भारत सरकार ने इंदिरा गांधी हत्याकांड पर बनी एक विवादित फिल्म की रिलीज रोक दी है. कथित तौर पर इस फिल्म में गांधी के हत्यारों को महिमामंडित किया गया है. 30 साल पहले इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी.

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तस्वीर: picture-alliance/united archives

1984 में भारत की सेना ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में घुस कर ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया था. उसके कुछ महीने बाद ही गांधी के सिख अंगरक्षकों ने उन्हें दिल्ली के आवास में गोलियों से भून दिया था. पंजाबी फिल्म "कौम दे हीरे" उन्हीं हत्यारों पर बनी है. यह शुक्रवार को ही रिलीज होने वाली थी.

केंद्रीय फिल्म सर्टिफिकेशन सेंसर बोर्ड ने इसकी रिलीज रोकते हुए कहा कि "इस फिल्म के प्रदर्शन से कानून व्यवस्था की स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है". सेंसर बोर्ड की प्रमुख लीला सैमसन ने कहा, "हमने फिल्म देखी है और यह रिलीज नहीं होगी."

Jarnail Singh Bhindranwale Anführer Sikh Separatisten
ब्लू स्टार की बरसी पर हर साल होते हैं प्रदर्शनतस्वीर: Getty Images/AFP

इससे पहले गृह मंत्रालय ने सूचना प्रसारण मंत्रालय से फिल्म पर रिपोर्ट मांगी थी, जिसके कुछ दृश्यों को खासा विवादास्पद बताया जा रहा है. सेंसर बोर्ड इसी मंत्रालय के अधीन आता है. कांग्रेस पार्टी ने भी इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर इसे रुकवाने की अपील की थी. पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष विक्रमजीत चौधरी ने कहा, "मैंने प्रधानमंत्री को लिखा कि फिल्म की रिलीज रुकनी चाहिए."

चौधरी का कहना है कि इस फिल्म से पंजाब के युवाओं पर खराब असर पड़ सकता है, "हमारे पंजाब के 70 फीसदी युवा ड्रग्स के लती हैं और उनमें से ज्यादातर बेरोजगार हैं."

इंदिरा गांधी के आदेश पर 1984 की गर्मियों में सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत स्वर्ण मंदिर में प्रवेश किया, जो सिखों का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. उस वक्त खालिस्तान समर्थक आतंकवादी वहां छिपे हुए थे. इसके कुछ महीने बाद अक्टूबर 1984 में गांधी के दो अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी. दिल्ली सहित पूरे भारत में इसके बाद दंगे हुए, जिनमें 3000 से ज्यादा लोगों की जान गई.

उनके एक अंगरक्षक बेअंत सिंह को पुलिस ने घटना के कुछ ही देर बाद मार डाला, जबकि दूसरे हत्यारे सतवंत सिंह को बाद में फांसी दे दी गई.

फिल्म के निर्देशक रवींद्र रवि अपनी फिल्म का बचाव करते हुए कहते हैं कि इसमें कोई हीरो या विलेन नहीं है, "मैं सिर्फ दो परिवारों की कहानी बताना चाहता हूं, जो न तो राजनीतिक है और ना ही किसी तरह की गड़बड़ी फैलाने का उद्देश्य रखती है."

एजेए/एएम (एएफपी)