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पेशेवर निशानेबाजी से बिंद्रा का संन्यास

२३ सितम्बर २०१४

ओलंपिक के एकल मुकाबले में भारत के लिए पहली बार स्वर्ण जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा अपने पसंदीदा खेल को अलविदा कहने जा रहे हैं. एशियाड में दो कांस्य पदकों पर निशाना लगाने के बाद उन्होंने संन्यास लेने का एलान किया.

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Abhinav Bindra
तस्वीर: AP

32 साल के अभिनव बिंद्रा ने दक्षिण कोरिया के इंचियोन एशियाई खेलों के बाद पेशेवर निशानेबाजी से संन्यास लेने की घोषणा की, "मैं अपने स्वर्णिम काल में नहीं हूं, वो मैं बहुत पहले ही पार कर चुका हूं. अगर मैं वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई करता हूं तो मैं उसमें हिस्सा लूंगा. अगर क्वालिफाई नहीं कर सका तो मैं जूनियर खिलाड़ियों की मदद करुंगा."

बिंद्रा ने अपनी पसंदीदा 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा और टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता. बिंद्रा ने चार साल पहले ग्वांग्झू एशियाई खेलों में टीम सिल्वर पर निशाना लगाया था. दक्षिण कोरिया के इंचियोन में व्यक्तिगत स्पर्धा में कांसा जीतकर उन्होंने अपनी विदाई को बेहद फीका होने से बचा लिया. बिंद्रा, रवि कुमार और संजीव राजपूत की तिकड़ी ने टीम स्पर्धा में देश को कांसा दिलाया. उसे 1863.0 अंक मिले जबकि दूसरे नंबर पर दक्षिण कोरिया 1867.6 अंकों के साथ और पहले नंबर पर चीन 1886.4 अंकों के साथ रहा.

बिंद्रा ने 187.1 अंकों के साथ एकल निशानेबाजी में भी कांस्य पदक जीता. रजत और स्वर्ण दोनों चीन के नाम रहे. बिंद्रा यांग हाओरान (209.6) और काओ यीफेई (208.9) से काफी पीछे रहे. बिंद्रा ने कहा, "मुझे लगता है कि मेरे शॉट्स अच्छे थे. अब शूटिंग मेरी हॉबी है. लेकिन अब मैं बेस्ट शूटर नहीं हूं. मैं हफ्ते में सिर्फ दो दिन प्रैक्टिस करता हूं. और इस नतीजे के साथ काफी संतुष्ट हूं."

2008 के बीजिंग ओलंपिक में बिंद्रा की बंदूक ने भारत के लिए पहली बार व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था. तब अभिनव ने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता था और इससे पहले 2006 में विश्व चैंपियनशिप भी जीती. ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में भी उन्होंने एकल प्रतियोगिता में पदक जीते थे. बिंद्रा ने कहा, "2008 में बीजिंग ओलंपिक्स में जब मुझे गोल्ड मेडल मिला था उसके बाद ही मैंने अपनी एक फाउंडेशन शुरू कर दी. मैं चाहता हूं कि इस फाउंडेशन के जरिए मैं अपने जूनियर खिलाड़ियों की मदद करूं."

एएम/ओएसजे (वार्ता, डीपीए)