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लो जी, आ गया सोचने वाला रोबोट

१५ अक्टूबर २०११

अनुभव से सीखने वाले रोबोट मनुष्यों की तरह उपनाय की समस्याओं को सुलझा सकते हैं. यह विज्ञान की काल्पनिक कहानी जैसी लगती है. लेकिन एक जापानी शोधकर्ता इसे तथ्य बनाने के लिए काम कर रहा है.

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तस्वीर: Fotolia/arsdigital

ऐसी मशीन जो खुद ब खुद ऐसे काम कर सके जिनके लिए उसे प्रोग्राम नहीं किया गया हो. या ऐसी वस्तुओं का इस्तेमाल कर जिन्हें उसने पहले न देखा हो. टोक्यो इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के असोशिएट प्रोफेसर ओसामु हासेगावा ने पहली बार ऐसी प्रणाली बनाई है जो रोबोट को आसपास के माहौल को देखकर इंटरनेट पर शोध करने की सुविधा देती है.

सोचकर निकालेगा हल

इस सिस्टम के जरिए रोबोट्स सोच सकते हैं कि वे किस तरह से समस्या का समाधान निकालें. हासेगावा ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "ज्यादातर मौजूदा रोबोट्स प्रोसेसिंग में बेहतर हैं. लेकिन वे उन्हीं कामों को करने के लिए हैं जिन्हें पहले से प्रोग्राम किया गया हो. उन्हें 'असली दुनिया' जहां मनुष्य रहते हैं, उसके बारे में बहुत कम जानकारी है. हमारी परियोजना रोबोट्स और मानवीय दुनिया के बीच पुल का काम करने की है." सेल्फ ऑर्गनाइजिंग इन्क्रीमेंटल न्यूरल नेटवर्क या एसओआईएनएन एक एल्गोरिदम है जो रोबोट्स को अपने ज्ञान का उपयोग करने की अनुमति देता है, जिसे वे पहले से जानते हैं. रोबोट्स अनुमान लगाते हैं कि दिए गए कामों को किस तरह से किया जाए.

Nierentransplantation mit Roboterhilfe Da Vinci robot system
तस्वीर: picture-alliance/dpa

इंटरनेट का इस्तेमाल करेगा रोबोट

एसओआईएनएन माहौल की जांच करने के लिए डेटा इकट्ठा करता है. एसओआईएनएन संचालित मशीन को उदाहरण के लिए कहा जाए कि वह पानी दें. प्रयोगशाला में प्रदर्शन के दौरान मशीन दिए गए काम को सिखाए गए कौशल के मुताबिक तोड़ने लगता है. जैसे कप पकड़ना, बोतल पकड़ना, बोतल से पानी डालना, बोतल के नीचे कप लगाना. पानी देने वाले खास प्रोग्राम के बिना रोबोट क्रम के मुताबिक वह काम करता है जिससे दिया गया आदेश पूरा होता है.

एसओआईएनएन मशीन को जब ऐसे काम करने में कठिनाई होती है तो वह मदद मांगता है. काम को पूरा करने के लिए जो जानकारी का इस्तेमाल करता है उसे अगले कार्य में इस्तेमाल करने के लिए वह संग्रह कर लेता है.

एक अलग प्रयोग में एसओआईएनएन का इस्तेमाल कर रोबोट्स को इंटरनेट पर किसी चीज के बारे में खोजने के लिए सक्षम बनाती है या फिर किसी विशेष शब्द का क्या मतलब हो सकता है. हासेगावा और उनकी टीम इन क्षमताओं को मिलाकर एक ऐसी मशीन बनाने की कोशिश कर रही है जो दिए गए काम को करने के लिए इंटरनेट में कार्य विधि खोजे और उसे पूरा करे. वह कहते हैं, "हमें उम्मीद है कि भविष्य में रोबोट इंग्लैंड के कंप्यूटर से चाय बनाने का तरीका सीख सकता है और जापान में इस कार्य को पूरा कर सकता है."

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तस्वीर: Festo AG & Co/Bionic Learning Network

दुश्मन भी बन सकते हैं रोबोट्स!

हासेगावा बताते हैं कि यह रोबोट अपना दिमाग खुद इंटरनेट से जोड़ सकता है. हासेगावा को आशा है कि आने वाले दिन में एसओआईएनएन का व्यावहारिक इस्तेमाल हो सकेगा. जैसे ट्रैफिक को संभालने के लिए. सोचने वाला रोबोट एक व्यस्त घर के लिए अमूल्य साबित हो सकता है. हासेगावा कहते हैं, "हम रोबोट से खाने की टेबल पर चटनी लाने के लिए कह सकते हैं. शायद वह इंटरनेट का इस्तेमाल कर यह जान सकता है कि चटनी क्या होती है और उसे रसोईघर में पहचान सकता है. लेकिन, प्रोफेसर चेतावनी देते हैं, "ऐसे कई कारण है जिससे हमें सीखने वाले रोबोट्स से सावधान रहना होगा. हम किस तरह के कार्य कंप्यूटर को करने देना चाहते हैं. और शायद ऐसा हो सकता है कि वे हमारे खिलाफ हो जाएं. जैसा "2001: ए स्पेस ओडीसी" फिल्म में दिखाया गया है."

हासेगवा कहते हैं, "रसोईघर में इस्तेमाल होने वाली छुरी काम की चीज हो सकती है लेकिन वह हथियार भी बन सकती है. हम चाहते हैं कि हर तरह के लोग इस तकनीक के बारे में विचार विमर्श करें. इसका कब इस्तेमाल किया जाना चाहिए और कब इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए."

रिपोर्ट: एएफपी/आमिर अंसारी

संपादन: वी कुमार

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