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रिव्यू सिस्टम पर राजी बीसीसीआई

Abha Mondhe२७ जून २०११

तकनीक पर अपने सख्त रुख को छोड़ते हुए बीसीसीआई ने विवादास्पद डिसिजन रिव्यू सिस्टम के नए संस्करण को स्वीकार कर लिया है. अब डीआरएस का इस्तेमाल सभी अंतरराष्ट्रीय मैचों में किया जा सकेगा.

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तस्वीर: UNI

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद आईसीसी की वार्षिक बैठक में बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल इंडिया, बीसीसीआई ने अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए डिसिजन रिव्यू सिस्टम को सहमति दे दी. हालांकि बीसीसीआई ने इसके नए संस्करण को सहमति दी है, इसमें हॉक आय बॉल ट्रैकर नहीं होगा.

डीआरएस के नए संस्करण में हॉट स्पॉट तकनीक तो होगी लेकिन बॉल ट्रैकर नहीं होगा जिसका मतलब है कि पगबाधा आउट का फैसला डीआरएस से नहीं लिया जा सकेगा. डीआरएस के लिए जरूरी शर्तें एग्जिक्यूटिव बोर्ड के सामने आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने रख दी हैं. इस पर मंगलवार को फैसला लिया जाएगा. इसमें थर्मल इमेजिंग का इस्तेमाल क्लोज कैच को पकड़ने के लिए किया जाएगा. अगले महीने जब भारत और इंग्लैंड के बीच मैचों की सीरीज होगी तो उसमें डीआरएस का इस्तेमाल किया जाएगा.

बीसीसीआई ने एक बयान में कहा, "बीसीसीआई फैसले लेने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने पर राजी है लेकिन इसमें इन्फ्रा रेड कैमरे और ऑडियो ट्रैकिंग डिवाइस शामिल होंगे. बीसीसीआई ने खेल की बेहतरी के लिए हमेशा तकनीक का इस्तेमाल करने की इच्छा जताई है, हालांकि वर्तमान बॉल ट्रैकिंग तकनीक बोर्ड को मंजूर नहीं है. इस पर उसका रुख नहीं बदला है. बीसीसीआई का रुख हांगकांग में आईसीसी की बैठक में मान लिया गया है. सीईसी ने फैसला लिया है कि बॉल ट्रैकिंग डिवाइस का इस्तेमाल दोनों टीमों की सहमति पर ही किया जाएगा."

भारतीय क्रिकेट बोर्ड डीआरएस का विरोध इस आधार पर कर रहा था कि वह 100 फीसदी सटीक नहीं है. सचिन तेंदुलकर ने कहा था कि डीआरएस तब ही स्वीकार किया जा सकता है जब उसमें हॉट स्पॉट तकनीक का इस्तेमाल किया जाए.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः महेश झा

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