यूरोपीय स्कूलों में शतरंज पढ़ाने की तैयारी
३१ अक्टूबर २०११राजधानी सोफिया के यूरोस्टैंडर्ड हाई स्कूल की सबसे ऊपरी मंजिल पर एक क्लासरूम में कुछ लड़के अपनी अगली क्लास की तैयारी में लगे हैं. वे अपने अपने शतरंज बोर्ड निकालकर मेज पर बिछा लेते हैं. सामने बोर्ड पर एक चार्ट टंगा है और कुछ फॉर्मूले भी. उनकी अगली क्लास शतरंज की है.
स्कूल के इस सेशन की शुरुआत में ये बच्चे यूरोप में शतरंज को पढ़ने वाले सबसे पहले छात्र बन गए. यह यूरोपीय शतरंज यूनियन के साथ मिलकर शुरू किया गया पायलट प्रोजेक्ट है. इसकी योजना कुछ ऐसी बनाई गई है कि पूरे यूरोप में बच्चों के बीच शतरंज को लोकप्रिय बनाया जा सके. यूरोपीय शतरंज यूनियन के बोयको ह्रिस्तोव बताते हैं, "हम नई पीढ़ी की अपने बच्चों की फिक्र करते हैं. इसलिए हम उन्हें सब कुछ बेहतरीन देना चाहते हैं. यही मकसद है कि हम स्कूलों में शतरंज का प्रचार कर रहे हैं."
छोटे कदम से शुरुआत
यूरोस्टैंडर्ड स्कूल के छात्र काफी भाग्यशाली हैं. यह एक निजी हाई स्कूल है जहां अमीर लोगों के बच्चों को बैंकिंग, फाइनैंस और इंश्योरेंस जैसे कमाऊ सेक्टर्स के लिए तैयार किया जाता है. वहां सिर्फ 50 छात्र हैं जिनकी उम्र 14 से 18 साल है.
लेकिन ह्रिस्तोव को उम्मीद है कि यह सिर्फ शुरुआत है और बात बहुत दूर तक जाएगी. वह कहते हैं कि बुल्गारिया के शिक्षा मंत्रालय ने भी उनकी योजना में दिलचस्पी दिखाई है और शतरंज को सरकारी स्कूलों में भी शुरू किया जा सकता है. लेकिन एक दिक्कत है. ह्रिस्तोव कहते हैं, "सरकार को इस योजना के लिए पैसा तलाशना होगा."
पैसा ही काफी नहीं होगा, राष्ट्रीय सिलेबस में शतरंज के लिए जगह बनाना भी मुश्किल काम होगा. इस वक्त बुल्गारिया के बच्चों को हफ्ते में तीन घंटे शारीरिक शिक्षा को देने होते हैं. ह्रिस्तोव का सुझाव है कि तीसरा घंटा शतरंज की पढ़ाई के लिए दिया जा सकता है क्योंकि शतरंज दिमागी व्यायाम ही तो है. वह कहते हैं, "हम शतरंज को सिर्फ एक गेम नहीं मानते, यह बाकायदा एक खेल है. जिस तरह हम शरीर के बाकी अंगों के लिए व्यायाम करते हैं, वैसे ही दिमाग को भी तो व्यायाम की जरूरत है. फर्क बस इतना है कि उसका काम वैसा नहीं है जैसा बाकी अंग करते हैं. ऐसी बहुत सारी रिसर्च हो चुकी हैं जो बताती हैं कि अगर आप दिमागी कसरत करते हैं तो वह ज्यादा लंबे समय तक अच्छी स्थिति में रहता है."
यूरोपीय संघ का समर्थन
सितंबर में यूरोपीय शतरंज संघ ने अपनी योजना स्कूलों में शतरंज यूरोपीय संसद में पेश की. वहां इस योजना में काफी दिलचस्पी दिखाई दी. पूर्वी यूरोप में शतरंज काफी पसंद किया जाता है. बाल्कन्स में बच्चों को कम उम्र से ही शतरंज सिखाया जाता है. शायद यही वजह है कि वेसेलिन तोपालोव जैसे महान शतरंज खिलाड़ी बुल्गारिया के राष्ट्रीय नायकों में हैं.
इसके उलट पश्चिमी यूरोप में शतरंज को सामाजिक जीवन में उतनी जगह हासिल नहीं है. इसलिए पश्चिमी यूरोपीय देशों के स्कूलों को शतरंज के लिए तैयार कर पाना आसान नहीं होगा. फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों के स्कूलों को इस बात के लिए तैयार करना मुश्किल होगा कि शतरंज को शौक से बढ़कर कुछ समझा जाए.
रिपोर्टः जोआना इंपे(सोफिया)/वी कुमार
संपादनः ओ सिंह