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भारत और अमेरिका में रणनीतिक बातचीत

१३ जून २०१२

अमेरिका और भारत के बीच बुधवार से पारस्परिक संबंधों को बढ़ाने के लिए उच्चस्तरीय बातचीत हो रही है. भारत अमेरिका का एशिया में महत्वपूर्ण सहयोगी है, लेकिन दोनों के संबंधों में कई बाधाएं भी हैं.

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तस्वीर: Reuters

रणनीतिक वार्ता से ठीक पहले कम से कम एक बाधा अमेरिका सरकार ने दूर कर दी है. ईरान से तेल का बड़े पैमाने पर आयात करने के कारण सर पर लटक रही प्रतिबंधों की तलवार फिलहाल हट गई है. अमेरिका ने विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा की वार्षिक मुलाकात से दो दिन पहले भारत सहित कुछ अन्य देशों को प्रतिबंधों से छूट दे दी है.

लेकिन मतभेद बने हुए हैं. खासकर भारत के आर्थिक सुधारों के मसले पर. दोनों देशों के बीच कारोबार के तेज विकास के बावजूद अमेरिकी निवेश के लिए बाधाएं बनी हुई हैं. अमेरिकी कंपनियां लगातार इसके बारे में शिकायत कर रही हैं.

Flash-Galerie Indien Entscheidung für ausländische Supermarktketten
तस्वीर: AP

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2010 में भारत दौरे पर दोनों देशों के रिश्तों को ऐसा रिश्ता बताया था जो 21वीं सदी की व्याख्या करने वाला सहयोग होगा. चीन के उद्भव से निबटना दोनों देशों की चिंता है. उनके बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ा है. इसके अलावा अमेरिका भारत को अफगानिस्तान के विकास में भी अपना सहयोगी मानता है. वह अफगान सेना के प्रशिक्षण में भारत से सक्रिय भूमिका निभाने की मांग कर रहा है. 2014 तक अमेरिका और नाटो की सेनाएं अफगानिस्तान से बाहर निकल जाएंगी.

अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा इसी महीने भारत गए थे और महीने के अंत में वित्त मंत्री टिमोथी गाइथनर इस साल भारत जाने वाले पांचवे अमेरिकी कैबिनट मंत्री होंगे. रणनीतिक बातचीत शुरू होने से पहले क्लिंटन ने कहा, "हमारे रिश्ते इतने मजबूत पहले कभी नहीं थे." दोनों देशों के बीच इस सप्ताह हो रही बातचीत संबंधों के आयाम को दिखाती है. वे शिक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, विज्ञान और तकनीक के अलावा स्वास्थ्य मामलों पर भी बातचीत करेंगे.

Indien Atomkraft Atomkraftwerk in Bombay
तस्वीर: AP

एक ओर भारत और अमेरिका के सहयोग में व्यापक पैमाने पर विस्तार हो रहा है तो दूसरी ओर भारत आर्थिक मोर्चे पर अमेरिका को संतुष्ट करने में विफल रहा है. अमेरिका ऐसे सुधार चाहता है जिससे अमेरिकी कंपनियों को फायदा हो. नवम्बर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने मल्टी ब्रांड रिटेल कारोबार में विदेश निवेश की अनुमति वापस ले ली है जिसका फायदा वालमार्ट जैसी कंपनियों को होता. भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत टिम रोएमर का कहना है कि हालांकि दोनों देशों का व्यापार इस साल 100 अरब डॉलर पार कर जाएगा लेकिन अभी भी अमेरिकी कंपनियों के लिए बहुत सी बाधाएं हैं. उनका कहना है कि संसद ने सिविलियन न्यूक्लियर संधि को इस तरह बदल दिया है कि अमेरिकी कंपनियां बाजार से बाहर कर दी गई हैं. इसी तरह ढांचागत परियोजनाओं में भी उन्हें हतोत्साहित किया जा रहा है.

भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने अमेरिकी उद्यमियों को भरोसा दिलाते हुए कहा है कि भारत शेयरधारकों का विश्वास फिर बहाल कर देगा और आर्थिक गति वापस पा लेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय कारोबार के लिए भी अमेरिका में जररूरी मुद्दे हैं. उन्होंने प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका जाने के माहौल में बिगाड़, सर्विस इंडस्ट्री में संरक्षणवादी भावनाएं , 3 लाख प्रोफेशनल्स को प्रभावित करने वाले सामाजिक सुरक्षा समझौते पर विचार करने से मना करना और बाजार में प्रवेश के अनसुलझे मुद्दों की चर्चा की.

एमजे/एमजी (एपी, पीटीआई)

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