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भारत अफगान समझौते पर मुशर्रफ परेशान

८ अक्टूबर २०११

भारत और अफगानिस्तान के बीच हाल ही में हुए समझौते पर पाकिस्तान की भौहें पहले ही तनी हुई हैं. अब पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ इसके खिलाफ अमेरिका को चेता रहे हैं.

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तस्वीर: AP

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा है कि भारत पाकिस्तान को कमजोर करना चाहता है ताकि क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ा सके. अमेरिका में अपने एक भाषण में उन्होंने कहा, "मेरा मतलब वर्चस्व से है. आज की दुनिया में किसी देश पर वर्चस्व कायम करने का मतलब यह नहीं है कि वे पाकिस्तान पर कब्जा करना चाहते हैं. मुझे नहीं लगता कि ऐसा (भारत का पाकिस्तान पर कब्जा) कभी हो सकता है."

क्या कहते हैं मुशर्रफ

मुशर्रफ अपनी बात को मजबूत करने के लिए इतिहास से तर्क खोजकर लाए. उन्होंने कहा, "भारत ने ही तो बांग्लादेश को आजाद होने में मदद की. लेकिन उन्होंने बांग्लादेश पर कब्जा नहीं किया. लेकिन उनकी विदेश, आर्थिक और व्यापार नीतियों पर भारत का वर्चस्व तो है."

सवालों के जवाब देते हुए पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने दावा किया कि भारत एक कमजोर पाकिस्तान चाहता है ताकि उसके नजरिए पर सवाल उठाने वाला कोई न रहे. मुशर्रफ के मुताबिक भारत क्षेत्र में अपना अधिपत्य चाहता है और सवाल उठाने वाली ताकतें उसके इस मकसद की राह में रोड़ा हैं.

हाल ही में भारत और अफगानिस्तान के बीच कई अहम समझौते हुए हैं. मुशर्रफ इन समझौतों को भारत की पाकिस्तान को कमजोर करने की नीति मानते हैं और इसके खिलाफ उन्होंने अमेरिका तक को सचेत कर दिया. उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि अफगानिस्तान के जासूस, राजनयिक, सैनिक, सेना, सुरक्षा एजेंसियां सबके सब ट्रेनिंग के लिए भारत जाते हैं. पाकिस्तान ने, और मैंने खुद अफगानिस्तान को मुफ्त में सारी ट्रेनिंग सुविधाएं मुहैया कराने की पेशकश की थी. एक भी आदमी ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान नहीं आया. वे भारत जाते हैं. और नतीजा यह होता है कि हमें जासूस, राजनयिक और सैनिक ऐसे मिलते हैं जिनके दिमाग में पाकिस्तान के हितों के खिलाफ बातें भरी होती हैं."

मुशर्रफ ने कहा कि यह सब बंद होना चाहिए और अमेरिका को इसके लिए भारत पर दबाव बनाना चाहिए. उन्होंने कहा, "भारत को यह सब बंद करना चाहिए. अमेरिका को पाकिस्तान की यह चिंता समझनी चाहिए कि अफगानिस्तान में क्या हो रहा है. मुझे लगता है कि पाकिस्तान की परेशानियों के लिए सोच का अभाव है."

पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक कहते हैं दोनों मुल्कों के आजाद होने के बाद से ही आईएसआई और भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के बीच झगड़ा चलता रहता है. उन्होंने कहा, "ये चीजें तो दशकों से हो रही हैं. अगर हमें विवाद हल करने तो हैं ये सब बंद करना होगा. हाल के इतिहास में, यानी पिछले तीन चार साल से यह सब अफगानिस्तान में चल रहा है. अफगानिस्तान भारत और पाकिस्तान के बीच परोक्ष विवाद की जगह बन गई है. भारत एक पाक विरोधी अफगानिस्तान बनाने की कोशिश कर रहा है."

अमेरिका को ऐतराज नहीं

लेकिन ऐसा लगता है कि पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ के इन सवालों की अमेरिका को कोई फिक्र नहीं है क्योंकि उसने अफगानिस्तान में भारत की भूमिका की तारीफ की है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कैप्टन जॉन किर्बी ने कहा, "भारत अफगानिस्तान में पिछले कुछ समय से ट्रेनिंग दे रहा है. जाहिर है कि राष्ट्रपति हामिद करजई इसे बड़ी मदद मानते हैं."

किर्बी ने भारत के अफगान नैशनल सिक्योरिटी फोर्सेस (एएनएसएफ) को ट्रेनिंग देने के फैसले का स्वागत किया. हाल ही में करजई की भारत यात्रा के दौरान यह समझौता हुआ है. किर्बी ने कहा कि स्थिर और सुरक्षित अफगानिस्तान पूरे क्षेत्र के लिए अच्छा है और ऐसा मजबूत अफगान सुरक्षाबलों के भरोसे ही संभव है. इस काम में भारत की मदद को अमेरिका ने सराहा. किर्बी ने कहा, "सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान से पूरे इलाके में सबको फायदा होगा. राष्ट्रपति करजई किस हद तक भारत के साथ अपने रिश्तों को ले जाना चाहते हैं, यह उनका फैसला है क्योंकि वह एक संप्रभु संपन्न देश के चुने हुए राष्ट्रपति हैं."

रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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