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बेल्जियम को हरा उम्मीदों की उड़ान पर जर्मनी

१२ अक्टूबर २०११

शानदार और बेदाग विजय अभियान ने जर्मन फुटबॉलप्रेमियों और खिलाड़ियों की उम्मीदों को दी उड़ान, यूरो 2012 फतह करने पूरे जोश में आगे बढ़ी टीम. बेल्जियम को एक के मुकाबले 3 गोल से पीट कर जर्मनी ने की दावेदारी मजबूत.

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तस्वीर: dapd

जर्मन टीम के प्लेमेकर मेसुत ओएजिल कहते हैं, "अब वक्त आ गया है कि जर्मनी यूरोपीय चैम्पियनशिप फिर से जीत ले. हम लोग युवा और भूखे हैं. निश्चित रूप से हमारा लक्ष्य इस कप को जर्मनी लाना होना चाहिए." उनकी बात से सहमत जर्मन फॉरवर्ड थोमास म्यूलर ने भी कहा, "हम कुछ और हासिल करना चाहते हैं फाइनल से भी ज्यादा."

नेशनल क्वालिफाइंग में रिकॉर्ड 10 जीतें और मंगलवार को बेल्जियम को शिकस्त देने के बाद कोच योआखिम लोएव भी अपने महत्वाकांक्षा को छुपा नहीं पा रहे, "निश्चित रूप से उम्मीदें उफान पर हैं. लेकिन यह एक सामान्य सी बात है. खिलाड़ियों और टीम को इसे साबित करना होगा. आप लोगों को यह सीखना होगा. विरोधी सम्मान दे रहे हैं और थोड़ा डर रहे हैं. जर्मन टीम मजबूत और भूखी है."

आखिरकार लोएव ने 2006 में टीम की कमान संभालने के बाद दोबारा कप जीतने की कोशिशों में टीम को पूरी तरह से नई शक्ल दे दी है. मौजूदा टीम के खिलाड़ी अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे पहले तो अक्सर टीम कौशल की बजाय सामर्थ्य के लिए परेशान रहती थी. अब शायद वक्त आ गया है जब पोलैण्ड और यूक्रेन में अगले साल वाले 2012 यूरो कप की ट्रॉफी पर टीम का कब्जा हो. आखिरकार टीम 2010 के वर्ल्ड कप में तीसरे और यूरो 2008 में दूसरे नंबर पर रही है.

जर्मनी आखिरी बार यूरो चैम्पियन 1996 में बना था. 15 साल पहले वेम्बले में चेक के खिलाफ फाइनल मैच में दोनों गोल करने वाले ओलिवर बियरहॉफ भी टीम का प्रदर्शन देख उम्मीद से भर उठे हैं. बियरहॉफ कहते हैं, "लक्ष्य ऊंचा है, निश्चित रूप से यूरोप देख रहा है कि हम क्या कर रहे हैं. बाकी लोग इस पर ध्यान दे रहे हैं." बियरहॉफ फिलहाल टीम के जनरल मैनेजर हैं.

मौजूदा टीम ने सबसे पहला अच्छा प्रदर्शन तो वर्ल्ड कप में ही किया. टीम ने अर्जेंटीना और इंग्लैंड जैसी टीम को परास्त कर टूर्नामेंट में तीसरे नंबर का खिताब हासिल किया. ओएजिल और म्यूलर अब और अनुभवी हो गए हैं और जर्मन टीम इनके साथ और मजबूत.

मिषाएल बालाक का दौर अब बीत चुका है, श्वाइन्सटाइगर मजबूत पिलर बने हुए हैं और युवा खिलाड़ी बड़ी भूमिकाओं के लिए दावेदारी ठोक रहे हैं. बोरोसिया डॉर्टमुंड के मारियो गोएत्से और बायर लेवरकूजेन के आंद्रे शुएरले इन्हीं में से एक हैं जो छोटी उम्र में ही बड़े मुकाबलों के लिए मचल रहे हैं.

इनके साथ मारियो गोमेज ने नेशनल टीम के लिए गोल न कर पाने की कुंठा से मुक्ति पा ली है और अब स्ट्राइकर के रूप में वह अचूक माने जाने वाले मिरोस्लाव क्लोजे को टक्कर दे रहे हैं. कोच लोएव कहते हैं, "हम दक्षिण अफ्रीका में कठिन मुकाबलों के बाद अविश्वसनीय रूप से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर पा रहे हैं. हमारा खेल बहुत ऊंचे स्तर पर है और हम तेज रफ्तार के साथ खेल सकते हैं."

फुटबॉल के ज्यादातर जानकार जर्मनी को स्पेन के साथ यूरोपीय चैम्पियन मान रहे हैं. स्पेन ने जर्मनी को यूरो 2008 के फाइनल में 1-0 पर रोक दिया और 2010 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मुकाबले में भी वो भारी पड़े.

हालांकि लोएव इस बात से भी सहमत हैं कि दूसरी टीमें भी महाद्वीप के सबसे बड़े मुकाबले में बेहतर प्रदर्शन के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. लोएव ने कहा, "इंग्लैंड और पुर्तगाल वर्ल्ड कप की तरह ही यहां भी अच्छे रहेंगे और फ्रांस भी. स्पेन और हम ही केवल आकर्षण के केंद्र नहीं होंगे. अगर आप चैम्पियनशिप जीतना चाहते हैं तो आपको दूसरी बाधाओं से भी पार पाना होगा." जर्मनी अब यूक्रेन, वर्ल्ड कप के उपविजेता नीदरलैंड्स और फ्रांस के साथ भिड़ेगा.

रिपोर्टः डीपीए/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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