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प्रधानमंत्री ने सुधार के कदमों को जरूरी कहा

१५ सितम्बर २०१२

भारत में आर्थिक सुधार की दिशा में सरकार के उठाए नए कदमों के विरोध ने जोर पकड़ लिया है लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इन कदमों को जरूरी और उचित करार दिया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

नई दिल्ली में मंत्रियों और सलाहकारों से बातचीत में मनमोहन सिंह ने कहा कि आर्थिक विकास को तेज करने, निवेश के वातावरण को बेहतर करने और सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने के लिए यह सुधार बेहद जरूरी हैं. गुरुवार को केंद्र सरकार ने डीजल की कीमत में भारी इजाफा किया. इस फैसले पर प्रधानमंत्री का कहना है, "डीजल की कीमत में हुई बढ़ोत्तरी सही दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है."

ट्रक मालिकों के एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि डीजल की कीमत बढ़ाने और सब्सिडी वाले गैस सिलिंडर की संख्या घटाने के विरोध में वे लोग हड़ताल पर चले जाएंगे. भारत में हर परिवार को अब साल भर में केवल छह सिलिंडर ही सब्सिडी के साथ मिलेंगे. शुक्रवार को भारत सरकार ने एक खुदरा क्षेत्र में 51 फीसदी सीधे विदेशी निवेश की अनुमति भी दे दी. इसके साथ ही विदेशी एयरलाइंस को घरेलू एयरलाइनों में निवेश करने पर लगी रोक भी खत्म कर दी. अब विदेशी एयरलाइंस घरेलू एयरलाइंस में 49 फीसदी तक हिस्सेदारी खरीद सकती हैं.

प्रधानमंत्री ने इन फैसलों को उचित बताते हुए इन्हें विकास के लिए जरूरी बताया है. प्रधानमंत्री का कहना है, "8.2 फीसदी की सालाना दर से विकास हासिल करने के लक्ष्य के लिए हमें अर्थव्यवस्था में निवेश को फिर से बढ़ाना होगा. ऐसे में निवेश का बढ़िया माहौल बेहद जरूरी है."

Mamta Bannerjee
तस्वीर: DW

कभी विख्यात अर्थशास्त्री रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने समझाया है कि भारत विदेशी पूंजी पर बहुत ज्यादा निर्भर है क्योंकि यहां खर्च और उपयोग के तौर तरीकों में बड़ा भारी फर्क है. प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी है कि खराब हालत में नीतियों की रुकावट जैसी स्थिति पैदा हो सकती है और इससे आर्थिक विकास बिल्कुल गिर जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा, "ऐसा लगता है कि स्थिति ऐसी है कि एक या दूसरी वजहों से ज्यादातर जरूरी नीतियां है ही नहीं. अगर यह स्थिति लंबे समय के लिए जारी रही तो विकास का दायरा सिमटता जाएगा और यह बड़े आराम से पांच फीसदी प्रति वर्ष की दर पर आ जाएगा."

प्रधानमंत्री भले ही अपने कदमों को सही ठहरायें लेकिन देश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों समेत उनके सहयोगी दलों ने भी विरोध में अपने सुर बुलंद कर दिए हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और केंद्र की सरकार में शामिल तृणमूल पार्टी की नेता ममता बनर्जी ने कहा शनिवार को हजारों समर्थको के साथ प्रदर्शन किया और बदलावों को वापस लेने की मांग की. भारी बारिश के बावजूद कोलकाता में 10 हजार से ज्यादा लोग इन मांगों के समर्थन में ममता बनर्जी के साथ आए. ममता बनर्जी ने कहा है कि उनकी पार्टी के नेता मंगलवार बैठक कर आगे के लिए रणनीति तय करेंगे.

भारत की चार प्रमुख वामपंथी पार्टियों ने भी कहा कि वे गुरुवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे. सीपीआई के महासचिव अतुल कुमार अंजान ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि वामपंथी पार्टियों का संयुक्त विरोध प्रदर्शन डीजल की बढ़ी कीमतों को वापस लेने के लिए बुलाया गया है.

एक समय में छलांगे मार मार कर आगे बढ़ रही भारत की अर्थव्यवस्था पर बीते दिनों में कई तरफ से मार पड़ी है. ऊंची ब्याज दर, यूरोप का कर्ज संकट, घटता निर्यात, रुके आर्थिक सुधार और निवेश में आई कमी ने इसकी कमर तोड़ कर रख दी है. भ्रष्टाचार के विकट आरोपों से जूझ रही भारत सरकार ने अब सुधार के कदमों का एलान कर मौजूदा हालत को बदलने की बात कही है लेकिन फिलहाल तो उसे विरोधियों के साथ ही अपनों के विरोध से भी जूझना है.

एनआर/आईबी (एएफपी, पीटीआई)

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