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पाकिस्तान की पॉकेट मनी में कटौती

२५ मई २०१२

अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता राशि में 3.3 करोड़ डॉलर की कटौती की. ओसामा बिन लादेन का पता बताने वाले डॉक्टर को कैद करने पर अमेरिका पाकिस्तान से चिढ़ा हुआ है. इस्लामाबाद के बयान ने आग में घी का काम किया.

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तस्वीर: AP

पाकिस्तान ने एक दिन पहले कहा कि डॉक्टर को जेल भेजना मुल्क का अंदरूनी मामला है. अमेरिका को इसमें दखल नहीं देना चाहिए. पहले से नाराज चल रहा अमेरिका इससे और बिफर गया. अमेरिकी संसद की एक समिति में तुरंत प्रस्ताव आया. सभी सदस्यों ने इस्लामाबाद को दी जा रही सहायता राशि में कटौती के पक्ष में वोट किया. 30 के 30 वोट पाकिस्तान के खिलाफ पड़े. कुछ ही दिन बाद पूरी संसद इस पर वोट करेगी.

कटौती प्रस्ताव लाते हुए रिपब्लिकन पार्टी की सांसद लिंडसे ग्रैहम ने कहा, "हमें पाकिस्तान की जरूरत है. पाकिस्तान को हमारी जरूरत है. लेकिन हम नहीं चाहते कि पाकिस्तान हमारे साथ दोहरा खेल खेले. ओसामा बिन लादेन का अंत करने के मामले में ही वह न्याय नहीं देख रहा है."

डेमोक्रेटिक पार्टी की अहम नेता डियान फिनश्टाइन ने सबसे कड़ा बयान दिया. संसद की खुफिया समिति की अध्यक्ष फिनश्टाइन ने कहा, "यह सजा मुझे बताती है कि अदालत अल कायदा को पाकिस्तान मानती है." उन्होंने अमेरिका को अपनी नीति बदलने की भी सलाह दी.

Pakistan Pressekonferenz Zafeer Ahmed zu Shakil Afridi
शकील अफरीदीतस्वीर: dapd

समिति ने यह सलाह राष्ट्रपति बराक ओबामा के बजट को भी भेज दी है. अमेरिकी नेताओं को लग रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान सहयोग नहीं कर रहा है. पार्टी की लाइन से आगे निकलते हुए डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन सांसदों ने डॉक्टर शकील अफरीदी को सुनाई गई सजा की निंदा की. 33 साल के अफरीदी ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के लिए एबटाबाद में टीकाकरण अभियान चलाया. इस दौरान अफरीदी ने अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के खून के नमूने जुटाए. इसके बाद ही यह पुष्टि हुई कि एबटाबाद के रिहायशी इलाके में छुपा शख्स ही बिन लादेन है. मई 2011 में अमेरिकी नौसेना के विशेष दस्ते ने बिन लादेन को मार गिराया.

बिन लादेन की मौत के बाद पाकिस्तानी एजेंसियों ने डॉक्टर शकील अफरीदी को गिरफ्तार कर लिया. पाकिस्तान ने उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया. गुरुवार को उन्हें 33 साल की जेल की सजा सुनाई गई. अमेरिका पिछले साल से ही अफरीदी को पकड़े जाने का विरोध कर रहा है. अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा खुले शब्दों में इसकी निंदा कर चुके हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी पाकिस्तान से ऐसा न करने को कहा. लेकिन इस्लामाबाद का तर्क है कि वॉशिंगटन को पाकिस्तान की न्याय प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए.

पाकिस्तान और अमेरिका के संबंध बीते साल जनवरी से ही खराब चल रहे हैं. पहले पाकिस्तान ने अमेरिकी जासूस रेमंड डेविस को गिरफ्तार किया. फिर एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन मारा गया. कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और आतंकवादियों के बीच गहरे संबंधों का दावा करने वाले पत्रकार सलीम शहजाद की हत्या हो गई. फिर डॉक्टर अफरीदी का मामला आया. नवंबर 2011 में नाटो के हमले में पाकिस्तानी सेना के 24 जवान मारे गए. इस घटना के बाद तनाव नए स्तर पर है. इसी हफ्ते नाटो का सम्मेलन भी हुआ. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी अमेरिका गए. लेकिन तनातनी बरकरार है. नाटो का सप्लाई रूट भी अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों की तरह अधर में दिख रहा है.

ओएसजे/एमजे (एपी)

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