नई दिल्ली के पीने के पानी में जानलेवा सुपरबग
७ अप्रैल २०११वैज्ञानिकों ने चौंका देने वाली जानकारी देते हुए कहा है कि नई दिल्ली में आम लोगों को दिए जाने वाले पीने के और रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले पानी में न्यू डेल्ही मेटालोबीटा लेक्टामेस यानी महाकीटाणु मिला है. ब्रिटेन की कार्डिफ यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के मार्क टोलेमन ने बताया, नई दिल्ली के निवासी एनडीएम वन बैक्टेरिया के लगातार संपर्क में हैं.
खतरनाक होता महाकीटाणु
एनडीएम-1 एक ऐसा एन्जाइम है जो किसी भी बीमारी के बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी को दवा प्रतिरोधी बना देता है. इस कारण दुनिया की कोई भी एंटीबायोटिक दवा उस पर असर करना बंद कर देती है. एनडीएम-1 जीन उन किटाणुओं तक पहुंच गया है जो हैजा और पेचिश रोग का कारण हैं. और यह जीन पूरी आजादी से नई दिल्ली में दूसरे बैक्टेरिया के संपर्क में भी आ रहा है, राजधानी दिल्ली में एक करोड़ चालीस लाख लोग रहते हैं.
लंदन में टोलेमन ने बताया कि दिल्ली में कई लोग के पेट में रोजाना यह बैक्टेरिया जा रहा है. "हमें पूरा विश्वास है कि हमें राजधानी में एनडीएम-1 का मूलभूत कारण मिल गया है."
करीब तीन साल पहले भारत में पहली बार एनडीएम-1 पाया गया जो इस बीच दुनिया के कई देशों में सामने आ गया है. और इसे कई तरह के कीटाणुओं में पाया गया है जिसमें इ कोलाई बैक्टीरिया भी शामिल हैं.
पीने के पानी में पहुंचा
फिलहाल बाजार में ऐसी कोई एंटीबायोटिक नहीं है जो सुपरबग पर प्रभावी हो सके. 7 अप्रैल यानी आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महाकीटाणु के खिलाफ लड़ाई इस नारे के साथ शुरू की है कि अब अगर इस पर काम नहीं किया तो कल कोई इलाज हमारे पास नहीं होगा.
कार्डिफ यूनिवर्सिटी के टिमोथी वॉल्श साथ किए गए टोलेमन का शोध ब्रिटेन के लांसेट इन्फेक्शियस डीसीज जरनल में प्रकाशित किया गया है. इस शोध में पता चला है कि एनडीएम वन को जन्म देने वाले बैक्टीरिया कितनी आसानी से नालियों के गंदे पानी और नई दिल्ली में पीने के पानी में मिल जाते हैं.
शोधकर्ताओं ने गंदे पानी के 171 और सार्वजनिक नल से मिलने वाले पीने के पानी के 50 नमूने सितंबर-अक्तूबर 2010 में दिल्ली के आस पास 12 किलोमीटर के एरिया से इकट्ठा किए. एनडीएम-1 जीन पीने के पानी के दो स्रोतो में और गंदे पानी के 51 नमूनों में. जबकि ऐसे बैक्टीरिया जिनमें एनडीएम पहले से जा चुका था, यह दो पेयजल के नमूनों और 12 गंदे पानी के नमूनों में मिले. हमें आशंका है कि नई दिल्ली में कम से कम पांच लाख लोग अपने शरीर में एनडीएम-1 को बनाने वाले बैक्टेरिया लिए हैं.
एनडीएम-1 जान के लिए खतरनाक है तो है ही लेकिन यह कैंसर और एचआईवी एड्स जैसी बीमारियों के इलाज को बेकार कर सकता है और तो और सर्जरी के दौरान होने वाले संक्रमणों को रोकने वाली दवाई का भी असर खत्म कर सकता है.
वैश्विक खतरा
वॉल्श और टोलेमन के शोध पर नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा विद्यालय और अस्पताल के मोहम्मद शाहिद ने कहा कि वैश्विक स्तर पर अभियान जरूरी है. "एनडीएम-1 के दुनिया भर में फैलने की आशंका गलत नहीं है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए."
विश्व स्वास्थ्य संगठन की यूरोप निदेशक सुजाने जैकब कहती हैं, "हम बहुत ही नाजुक मोड़ पर खडे हैं जहां एंटीबायोटिक प्रतिरोध बढ़ता ही जा रहा है. दुनिया भर में आने जाने वाले लोगों की संख्या इतनी बढ़ रही है कि लोगों को यह पता होना चाहिए कि जब तक सभी मिल कर इसके खिलाफ काम नहीं करते, तब तक कोई देश सुरक्षित नहीं है."
रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम
संपादनः ओ सिंह