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दुर्गा पूजा में मोबाइल टॉयलेट्स

२३ अगस्त २०१३

पश्चिम बंगाल में दुर्गापूजा सबसे बड़ा त्योहार है. करोड़ों की लागत से होने वाले इन भव्य आयोजनों में सौ से ज्यादा ऐसी पूजाएं आयोजित की जाती हैं जिनको देखने के लिए हजारों लोग घंटों कतार में खड़े रहते हैं.

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तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

अभी तक उन पंडालों के आसपास टॉयलेट की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से लोगों को बहुत परेशानी होती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.

कोलकाता नगर निगम ने एक पहल के तहत इस साल 100 बड़े पूजा पंडालों के पास मोबाइल टॉयलेट यूनिट लगाने का फैसला किया है. इनके अलावा लगभग डेढ़ सौ दूसरे पंडालों के पास महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग अलग अस्थायी पेशाबघर (यूरीनल्स) भी बनाए जाएंगे. नगर निगम के मेयर इन काउंसिल (स्लम डेवलपमेंट) स्वपन समाद्दार कहते हैं, "हमने पूजा के दौरान पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए महानगर के प्रमुख पूजा पंडालों के पास मोबाइल टॉयलेट और अस्थायी यूरीनल बनाने का फैसला किया है. आम लोगों के इस्तेमाल के लिए यह पूरी तरह मुफ्त होगी."

बनाने का खर्च

इस परियोजना पर तीन से चार करोड़ रुपए तक की लागत आएगी. परियोजना का तकनीकी पक्ष संभालने वाले एक इंजीनियर केसी मंडल कहते हैं, "एक मोबाइल टॉयलेट की कीमत 1.25 लाख से 4 लाख तक होगी. इसकी कीमत इस बात पर निर्भर है कि एक साथ कितने लोग इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, इसी तरह अस्थायी पेशाबघरों पर 25-25 हजार का खर्च आएगा." समाद्दार बताते हैं, "हमने महानगर स्थित निगम की 15 समितियों से उनके इलाकों में बनने वाले प्रमुख पूजा पंडालों की सूची मांगी है. यह सूची मिलने के बाद पिछले साल की भीड़ के आंकड़ों को ध्यान रखते हुए पंडालों का चयन किया जाएगा."

Kalkutta - Durga Puja
लोगों को असुविधा से बचाने की नगर निगम की पहलतस्वीर: DW/P. Mani Tewari

हजारों पंडाल

महानगर में लगभग साढ़े तीन हजार छोटी-बड़ी पूजाओं का आयोजन किया जाता है. लेकिन इनमें से सौ से ज्यादा कुछ आयोजन ऐसे हैं जो हफ्ते भर तक चलते हैं. वहां प्रतिमाओं, पंडालों और बिजली की सजावट देखने के लिए दूर-दराज से हजारों लोग पहुंचते हैं. खासकर, अष्टमी और नवमी की रात को तो एक-एक पंडाल के बाहर एक से डेढ़ लाख तक दर्शनार्थी जुटते है. निगम ने सबसे ज्यादा भीड़ वाले आयोजनों को ही चुनने का फैसला किया है. मेयर इन काउंसिल समाद्दार कहते हैं, "हर साल लोगों को तो दिक्कत होती ही थी, खुले में जहां-तहां पेशाब करने से पर्यावरण भी प्रदूषित होता था. इसे ध्यान में रखते हुए ही हमने यह पहल की है. अगले साल कुछ और पंडालों के पास ऐसी व्यवस्था की जाएगी."

आयोजकों को राहत

महानगर के प्रमुख पूजा आयोजकों का कहना है कि जगह और पैसों की कमी के अलावा इस बारे में विशेषज्ञता नहीं होने की वजह से पंडालों के पास शौचालयों की व्यवस्था करना संभव नहीं हो रहा था. वह मानते हैं कि इसके बिना आम लोगों को दिक्कत होती थी और पहले ही ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए थी. नाकतला उदयन संघ के जीवेश सरकार कहते हैं, "नगर निगम की इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए. हम ऐसा नहीं कर पाते थे. ध्यान रहे कि इस पूजा के दौरान भी लाखों दर्शनार्थियों की भीड़ जुटती है." इसका बजट भी करोड़ों में होता है. अलीपुर के एक अन्य आयोजक सनत मंडल कहते हैं, "निगम की यह पहल बेहद अच्छी है. दुर्गापूजा बंगाल का बड़ा उत्सव है. इसकी कामयाबी में सरकार और नगर निगम की भागीदारी भी जरूरी है."

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बड़े पंडालों के पोस्टर कोलकाता में लगना शुरूतस्वीर: DW/P. Mani Tewari

दर्शनार्थियों में प्रसन्नता

नगर निगम के इस फैसले से दर्शनार्थियों में काफी प्रसन्नता है. महानगर के गोयनका कालेज में पढ़ने वाली कामर्स सेकेंड ईयर की छात्रा श्रीमयी मजुमदार कहती है, "नगर निगम इस योजना के लिए धन्यवाद का पात्र है. यह बेहद जरूरी पहल है." पहले पूजा के दिनों में खासकर महिला दर्शनार्थियों को नजदीकी टॉयलेट खोजने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. एक टेलीकॉम कंपनी में मैनेजर आशुतोष मुखर्जी कहते हैं, "निगम को पूजा आयोजकों के साथ बातचीत कर पहले ही ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए थी. लेकिन देर आयद दुरुस्त आयद. उसकी इस पहल की सराहना की जानी चाहिए." उनका कहना है कि अगर पूजा के दौरान ज्यादातर बड़े आयोजनों के आसपास ऐसे मोबाइल टॉयलेटों की व्यवस्था हो जाए तो आम लोगों को बेहद सहूलियत हो जाएगी.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः आभा मोंढे

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