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दीवाने दर्शक, टिकट दलाल और खाकी वर्दी

२ अप्रैल २०११

मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में वर्ल्ड कप फाइनल होना है. स्टेज तैयार है और खिलाड़ी पहुंच चुके हैं. बस आखिरी वक्त में किसी को टिकट की पड़ी है तो कुछ को यह हजारों लाखों कमा लेने का मौका लग रहा है.

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तस्वीर: UNI

इन सबके बीच सुरक्षा अधिकारियों पर सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है और शुक्रवार तथा शनिवार की रात वानखेड़े स्टेडियम पर ऐसी निगाह रखी गई कि परिंदा भी पर न मार सके. लाठी के साथ तैनात मुंबई के आम पुलिस जवानों के अलावा कवचधारी अर्धसैनिक बल और नौसैनिक गश्ती दल के जवान भी सुरक्षा में लगाए गए हैं. वानखेड़े स्टेडियम की ओर जाने वाली सड़कों को ब्लॉक कर दिया गया है, जहां भारत तथा श्रीलंका के राष्ट्रपतियों सहित कई बड़ी शख्सियत मैच देखने जमा हो रहे हैं.

मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमले के बाद पहली बार कोई बड़ा मैच हो रहा है. अधिकारी खुफिया कैमरों से सुरक्षा का जायजा ले रहे हैं और दर्शकों को खाने पीने की चीज तक स्टेडियम में ले जाने की इजाजत नहीं दी गई है.

ऐसी जानलेवा सुरक्षा के बाद भी टिकटों के दलाद कालाबाजारी करते दिख जा रहे हैं. भारत के एक टीवी चैनल ने दावा किया है कि उसके रिपोर्टर को एक दलाल डेढ़ डेढ़ लाख रुपये में टिकट बेचने को तैयार हो गया.

क्रिकेट की दीवानगी हर तरफ है. भारत के प्रधानमंत्र मनमोहन सिंह का कहना है, "मैं उम्मीद करता हूं कि भारत जीतेगा. मैं उन्हें शुभ कामनाएं देना चाहता हूं."

ट्विटर और फेसबुक के जरिए बॉलीवुड स्टारों ने भी समां बांध दिया है और पूनम पांडे नाम की मॉडल ने यह कह कर सनसनी फैला दी है कि अगर भारत ने वर्ल्ड कप जीता, तो वह कपड़े उतार कर नाचेंगी.

पांडे ने ट्विटर पर लिखा, "मैं अपने देश के लिए कुछ भी करूंगी, अगर उन्होंने वर्ल्ड कप जीता. इंडिया, मेरा साथ दो ताकि हम 1983 जैसा कर पाएं."

कई आम क्रिकेट प्रेमी अभी से फाइनल के मूड में आ गए हैं. चेहरे पर भारत के झंडे का रंग पुतवा चुके हैं और उत्तर प्रदेश में रिक्शा चलाने वाले 35 साल के शेरू 1500 किलोमीटर रिक्शा चला कर मुंबई पहुंच चुके हैं. उन्हें एक स्थानीय नेता ने टिकट देने का भरोसा दिलाया है.

ओम गुप्ता को पता है कि शनिवार को उनकी दुकान नहीं चलेगी. लेकिन एक दिन के लिए वह बर्दाश्त करने को तैयार हैं. 51 साल के गुप्ता का कहना है, "इस इलाके के ज्यादातर दफ्तर बंद हैं. इससे मेरा कारोबार प्रभावित होगा लेकिन आधे दिन के लिए है, तो कोई बात नहीं."

रमेश भट अपने तीन चायवाले साथियों के साथ दफ्तरों में चाय पहुंचाते हैं. उन्हें लगता है कि 4000 रुपये की आमदनी मारी जाने वाली है. भट का कहना है, "अधिकारियों ने हमें पहले ही कह दिया है कि हम सड़क पर चाय नहीं बना सकते हैं."

शहर में छुट्टी है और क्रिकेट प्रेमी पबों और मल्टीप्लेक्स थियेटरों के अलावा परिवार और घरवालों के साथ क्रिकेट फाइनल देखना चाहते हैं.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह

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