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तेजाब में सुलगती भारत की महिलाएं

२८ जुलाई २०१२

लड़कियों से बदला लेने, उन्हें सबक सिखाने के लिए उन पर तेजाब फेंक दिया जाता है. महिलाओं के चेहरे और जिंदगी बर्बाद कर देने वाला जहर पचास रुपये की बोतलों में हर दुकान पर मिलता है. भारत सरकार की नजर में यह कोई जुर्म नहीं है.

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तस्वीर: Reuters

रात के अंधेरे में तीन लोग उसके घर में घुस आए. वह सो रही थी. आंख तब खुली जब उस पर तेजाब की बारिश की जा रही थी. धनबाद की सोनाली मुखर्जी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि गली में हुई लड़ाई का उसे ऐसा नतीजा भुगतना पड़ सकता है. 17 साल की सोनाली ने पड़ोस में रहने वाले तीन लड़कों को धमकाया कि यदि उन्होंने उसे सताना नहीं छोड़ा तो वह उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत कर देगी. ये तीनों लड़के हर रोज सोनाली को कॉलेज के रास्ते में परेशान किया करते. सोनाली की इस 'बदसलूकी' से नाराज तीनों लड़कों ने उसे सबक सिखाने की ठानी और एक रात उसके घर में आ कर उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया.

इच्छा मृत्यू की अपील

सोनाली का चेहरा, गर्दन और कंधे 70 फीसदी जल गए. इस मामले में लड़कों को अदालत ने नौ नौ साल की कैद की सजा भी सुनाई. लेकिन तीन ही साल बाद उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया. पिछले नौ साल से सोनाली अपाहिज की जिंदगी जी रही है. अब वह सरकार से गुहार लगा रही है कि या तो सरकार उसका ठीक तरह इलाज कराए और गुनहगारों को सजा दे, या उसे खुद की जान लेनी की अनुमती दे दे. भारत में इच्छा मृत्यू गैरकानूनी है. यह जानते हुए भी सोनाली ने इसके लिए अपील की है. वह बताती हैं, "पिछले नौ साल से मैं तड़प रही हूं. मैं बिना किसी उम्मीद के, बिना किसी भविष्य के जी रही हूं. अगर मेरी सेहत के साथ भी न्याय नहीं किया जा सकता तो एक ही तरीका है, कि मैं मर जाऊं. मैं आधे चेहरे के साथ आधी अधूरी जिंदगी नहीं जीना चाहती."

पुरुषों की मानसिकता

तेजाब फेंकने की घटनाएं दुनिया भर में एक समस्या बनी हुई हैं. लंदन की एक संस्था 'एसिड सर्वाइवर्स ट्रस्ट इंटरनेशनल' के अनुसार हर साल दुनिया भर में करीब 1500 ऐसे मामले दर्ज किए जाते हैं. इनमें से 80 फीसदी मामलों में महिलाओं पर तेजाब फेंका गया होता है. भारत को ले कर कोई औपचारिक आंकडें मौजूद नहीं हैं. न्यूयॉर्क की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के अनुसार 1999 से 2010 के बीच भारत की मीडिया ने ऐसे 153 मामले दर्ज किए. अधिकतर मामलों में महिलाओं को निशाना बनाया जाता है क्योंकि उन्होंने परुषों की मांग पूरी करने से इनकार कर दिया. यह मांग छेड़ छाड़ से लेकर शारीरिक संबंध बनाने तक हो सकता है.

दक्षिण एशिया में यूएन वीमन की उपाध्यक्ष सुषमा कपूर का कहना है, "इन पुरुषों को यह बात बहुत अपमानित करती है कि किसी महिला ने उन्हें मना कर दिया और उनकी मानसिकता यह होती है कि अगर मैं तुम्हे नहीं पा सकता तो कोई और भी नहीं."

संसद में चर्चा

इस तरह के मामले भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बहुत देखने को मिलते हैं. लेकिन जहां पाकिस्तान और बांग्लादेश में पिछले कुछ सालों में इसे जुर्म करार दिया गया है, वहीं भारत में इसे केवल किसी को नुक्सान पहुंचाने की क्षेणी में रखा गया है. इस कारण अधिकतर मामलों में आरोपियों को ठीक तरह से सजा भी नहीं दी जा पाती.

सोनाली जैसी लड़कियों की कहानी ने सरकार पर थोड़ा असर तो डाला है. इसी महीने कैबिनेट ने एसिड अटैक को जुर्म की श्रेणी में रखने के प्रस्ताव को पारित किया है. अब इसे संसद में पेश होना है. यदि वहां भी या पारित हो जाता है तो आरोपियों को दस साल तक की कैद और दस लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.

आईबी/एनआर (रॉयटर्स)

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