1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

डेविस की रिहाई में मददगारों को तालिबान की धमकी

२० मार्च २०११

तहरीक ए तालिबान ने पाकिस्तान में सीआईए एजेंट रेमंड डेविस की रिहाई में अमेरिका का साथ देने वाले लोगों को मौत की धमकी दी है. दो पाकिस्तानियों की हत्या के आरोपी डेविस को पिछले दिनों रिहा कर दिया गया.

https://p.dw.com/p/10cvK
डेविस की रिहाई के लिए अमेरिका का अत्यधिक दबाव थातस्वीर: AP

पाकिस्तान में तहरीक ए तालिबान के प्रवक्ता अहसानुल अहसान ने कहा, "हमारे पास सबूत है कि सीआईए जासूस की हैसियत से रेमंड डेविस पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी कामों में शामिल था." तहरीक ए तालिबान के नेता हकीमुल्लाह महसूद की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया है कि उन सारे लोगों को एक एक कर निशाना बनाया जाएगा जिन्होंने रेमंड डेविस की रिहाई में मदद की.

अहसान ने पाकिस्तानी अखबार न्यूज डेली कहा, "पंजाब में हमारे साथियों की मदद से हमने जांच की शुरुआत की है जिससे उन लोगों के बारे में पता चल सकता है जिन्होंने डेविस की रिहाई में मदद की. दो पाकिस्तानी नागरिकों को मारने वाले व्यक्ति को छोड़ देने से पता चलता है कि पाकिस्तान अमेरिका का उपनिवेश बन गया है और हमारे नेताओं के पास उतनी हिम्मत नहीं है कि वे अपने अमेरिकी मालिकों का विरोध कर सकें."

अहसान ने कहा कि दो खून करने के बावजूद डेविस की रिहाई करने के बाद अमेरिकियों को पाकिस्तान की खिल्ली उड़ाने का एक और मौका मिलेगा. अहसान का कहना है, "समझ नहीं आता कि हमारे नेताओं ने अमेरिकियों को खुश करने के लिए शरियत का सहारा क्यों लिया जबकि पाकिस्तान एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां सारे फैसले एंगलो सैक्सन (पश्चिमी) कानूनों से होते हैं." तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि इस्लाम के दीयत और शरियत कानून जासूसों और गैर मुसलमानों पर लागू नहीं होते.

अहसान ने अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन्होंने डेविस को दीयत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई है. अहसान के मुताबिक डेविस तो अब आजाद है, लेकिन पाकिस्तान की संदिग्ध आतंकवादी आफिया सिद्दीकी अब भी अमेरिकी हिरासत में हैं जबकि उनके खिलाफ आरोप अब तक साबित नहीं हुए हैं.

अहसान ने उन रिपोर्टों को खारिज किया है जिनमें डेविस और तालिबान के बीच संपर्क की बातें हो रही थीं. अहसान ने कहा कि अगर डेविस जैसा आदमी तालिबान के हाथ आता तो वे उसे जाने नहीं देते और उसे उसके किए की सजा मिलती.

रिपोर्टः पीटीआई/एमजी

संपादनः ए कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें