जापान के सूनामी का मलबा हवाई पहुंचेगा
२६ अक्टूबर २०११11 मार्च 2011 की दोपहर जापान के तटों से जब 40.5 मीटर ऊंची सूनामी लहरें टकराईं तो अपने साथ बड़ी बड़ी नावें, घर और बस और ट्रक तक बहा ले गईं. मलबे का ढेर पानी के साथ बहता हुआ शहरों में घुस गया. काफी मलबा लहरों के साथ वापस समुद्र में लौट गया. अब यह मलबा उत्तरी और मध्य अमेरिका की तरफ बढ़ रहा है. करीब 20 टन मलबा जापान से 3,500 किलोमीटर दूर प्रशांत महासागर के द्वीप हवाई के करीब पहुंच चुका है.
हवाई के शोधकर्ताओं का कहना है कि मलबा उनके तटों तक आ सकता है. आशंका है कि अगले वसंत तक मलबा उत्तरी प्रशांत महासागर में बहता हुआ हवाई के तटों तक पहुंचेगा. यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के इंटरनेशनल पैसिफिक रिसर्च सेंटर के जैन हाफनर कहते हैं, "मलबे से प्रभावित होने वाला इंसानी आबादी वाला इलाका मिडवे एटॉल होगा. हमें लगता है कि सर्दियों में सूनामी के मलबे का पहला टुकड़ा वहां पहुंच जाएगा."
पिछले महीने रूस का एक जहाज उत्तरी प्रशांत महासागर से गुजरा. रूसी चालक दल ने सबसे पहले मलबे को बहते हुए देखा. मलबा रूसी जहाज से टकराया. रूसी चालक दल के सदस्यों ने कहा, "हमने जापान की फिशिंग बोट को उठाया. रेडियोएक्टिव स्तर सामान्य है. हमने उसकी जांच की. हमने टीवी सेट, फ्रिज और घर का सामान भी देखा."
पांच दिन बाद फिर रूसी चालक दल ने मलबा देखा और पता चला कि मलबा लगातार आगे की तरफ बह रहा है. तब संदेश छोड़ा गया, "हम हर दिन मलबा देख रहे हैं. उसमें लकड़ी के बोर्ड, प्लास्टिक की बोतलें, बुए (जाल और दिशा की जानकारी देने वाल तैरते उपकरण), वॉश बेसिन, ड्रम और मशीनों के अवशेष हैं."
हाफनर के मुताबिक इलाके से गुजर रहे अन्य जहाजों ने भारी मलबे देखे जाने की रिपोर्ट दी है. लोगों से अपील की गई है कि तटों पर मलबा मिलने पर वह प्रशासन को जानकारी दें.
जापान अब भी सूनामी के प्रभावों से निपट रहा है. सूनामी ने 20,000 लोगों की जान ली. फुकुशिमा परमाणु संयंत्र से अब भी रेडियोएक्टिव विकिरण रिस रहा है, जापान के अधिकारियों के मुताबिक इस साल के अंत तक ही परमाणु संयंत्र के भीतर पिघल रही छड़ों का ठंडा किया जा सकेगा. संयंत्र के चारों ओर 20 किलोमीटर का इलाका अब भी बंद है.
रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह
संपादन: ए कुमार