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जलवायु परिवर्तन से नहीं जुड़ा है अल नीनो!

२१ जनवरी २०१३

ऐसा लगता है कि अल नीनो की आवृत्ति और उसकी चंचलता जलवायु में बदलाव से नहीं जुड़ी है. अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने रिसर्च के बाद मिली जानकारी के बाद ये कहा है.

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तस्वीर: AP

अल नीनो एक मौसमी प्रभाव है, जो हर पांच साल के बाद उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर पर दस्तक देता है. गर्म होती जलवायु का अल नीनो पर क्या असर होता है यह जानने के लिए रिसर्च में जुटे वैज्ञानिकों ने प्राचीन मूंगों के जीवाश्मों में मासिक विकास का अध्ययन किया. ये जीवाश्म प्रशांत महासागर के दो द्वीपों पर मिले थे. तापमान और अवक्षेपण की कई सदियों में गुजरी स्थिति को दोबारा पैदा कर इसके असर का पता लगाया गया. रिसर्च में अल नीनो की आवृत्ति और तीव्रता के आंकड़ों की तुलना करने पर पता चला कि बीसवीं सदी में इन दोनों में इजाफा हुआ है.

हालांकि आंकड़ों के लिहाज से यह काफी अहम है और पर्यावरण में बदलाव से इसे जोड़ा जा सकता है लेकिन मूंगों के जीवाश्म का इतिहास बताता है अल नीनो के दक्षिणी स्पंदन में भी पिछली सदी में काफी बदलाव आए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे में यह साफ नहीं हैं कि पिछले दशकों में जो बदलाव दिखे हैं वह कार्बन डाय ऑक्साइड की बढ़ती मात्रा के कारण पर्यावरण में हो रहे बदलाव से जुड़े हैं या नहीं.

Bildergalerie bedrohte Tier- und Pflanzenarten Hering
तस्वीर: picture-alliance/Evolve/Photoshot

जॉर्जिया यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में जलवायु विज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफेसर किम कॉब बताते हैं, "अल नीनो के दक्षिण स्पंदन का जो स्तर हमने बीसवीं सदी में देखा वह अभूतपूर्व नहीं है." अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन ने यह रिसर्च कराया जो साइंस जर्नल में छपा है. इस रिसर्च में स्क्रिप्स इंस्टीट्यूट ऑफ ओशेनोग्राफी और यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा के वैज्ञानिकों ने भी योगदान दिया.

अल नीनो हर पांच साल बाद आता है. इसमें प्रशांत महासागर की सतह पर मौजूद पानी को चलाने वाली हवाएं कमजोर पड़ जाती हैं. इसके कारण पश्चिमी प्रशांत में गर्म पानी का एक विशाल भंडार बनता चला जाता है जो आखिरकार महासागर के पूर्वी हिस्सों की ओर बढता है. इस वजह से पूर्वी हिस्से वाले इलाके के देशों की बारिश में बदलाव, बाढ़, भूस्खलन की आपदाएं आती हैं. अल नीनो को एक ठंडा दौर बाहर निकलाता है इसे ला नीना कहते हैं जो अकसर अल नीनो के अगले साल आता है.

एनआर/एजेए (एएफपी)

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