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किशोर पर ईशनिंदा कानून की मार

३ फ़रवरी २०११

पाकिस्तान के विवादित ईशनिंदा कानून की मार एक 17 साल के छात्र पर पड़ी. छात्र ने परीक्षा देते वक्त कुछ लिख दिया, इसके बाद उसे ईशनिंदा कानून के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. मानवाधिकार संगठनों का कहा, बस भी करो.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

17 साल के मुहम्मद समीउल्लाह के खिलाफ ईशनिंदा का मुकदमा दर्ज किया गया है. आरोप है कि इंटरमीडिएट की परीक्षा के दौरान समीउल्लाह ने पैंगबंर मोहम्मद का अपमान किया. टीचरों ने भी किशोर की नादानी को खुद तक सीमित रखने के बजाए आगे शिकायत कर दी और कराची के समीउल्लाह को गिरफ्तार कर लिया गया.

मनवाधिकार संगठनों ने किशोर की गिरफ्तारी पर तीखी नाराजगी जताई है और इसे 'बेहद डरावना' बताया है. ह्मूमन राइट्स वाच के तहत बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले बेडे शेपर्ड कहते हैं, ''यह बेहद अफसोस की बात है कि स्कूल के लोगों से इस मामले को उछाला. फिर पुलिस और न्यायिक प्रशासन ने आगे बढ़कर किशोर को गिरफ्तार कर लिया. ये डरावनी परिस्थितियां हैं.''

पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले को मौत की सजा हो सकती है. हैरत की बात है कि इस कानून को चरमपंथी ताकतों का भी समर्थन मिल रहा है. बहुत कम ऐसे लोग हैं जो इस कानून की आलोचना करने का साहस जुटा पा रहे हैं. इसी साल जनवरी में पाकिस्तानी पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या इसी वजह से की गई. तासीर ईशनिंदा कानून के विरोधी थे.

आरोप लगाए जाते हैं कि पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों खासतौर पर ईसाई समुदाय के खिलाफ किया जाता है. बीते साल नंवबर में एक ईसाई महिला आसिया बीवी को इसी कानून के तहत मौत की सजा सुनाई गई. आसिया के मुताबिक उन्होंने कभी पैंगबर मोहम्मद की निंदा नहीं की. लेकिन ताकतवर कानून के आगे आसिया खुद का बचाव नहीं कर पाई.

मानवाधिकार संगठन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान से ईशनिंदा कानून को खत्म करने की मांग करते रहे हैं. लेकिन सलमान तासीर की हत्या के बाद पाकिस्तान सरकार का कोई भी बड़ा नेता इस कानून के खिलाफ बोलने या कदम उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

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