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कर चोरी के लिए जर्मन मैनेजर पर मुक़दमा

२२ जनवरी २००९

गुरुवार को जर्मन शहर बोखुम की प्रांतीय अदालत में देश के एक महत्वपूर्ण कर चोरी कांड का मुक़दमा शुरू हो रहा है. कटघरे में जर्मन पोस्ट के पूर्व प्रमुख क्लाउस त्सुमविंकेल हैं जिनपर दस लाख की कर चोरी का आरोप है.

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महंगी पड़ी करचोरीतस्वीर: AP

एक साल पहले कर अधिकारियों ने कोलोन में उनके विला पर छापा मारा था और गिरफ़्तार भी कर लिया था, जिसके बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. त्सुमविंकेल पर ब्याज़ में मिली राशि को टैक्स अधिकारियों से छुपाने और लगभग दस लाख यूरो की कर चोरी का आरोप है. आरोप लगने से पहले त्सुमविंकेल देश के प्रमुख आर्थिक नेताओं में शामिल थे और जर्मन पोस्ट को विनिवेशीकरण के बाद विश्व की प्रमुख कंपनी बनाने में उनका मुख्य योगदान था. एक बार उन्होंने कहा था, 'मैं राइनलैंड में जन्मा हूँ और मुझे ख़ुशी है कि मैं राइनलैंड में रह रहा हूँ . मुझे यहां अच्छा लगता है और यहां मैं कर भी देता हूं.'

Zumwinkel von Polizei abgeholt
छापे के बाद त्सुमविंकेल की गिरफ़्तारीतस्वीर: picture-alliance/ dpa

देश के आदर्श मैनेजर क्लाउस त्सुमविंकेल द्वारा दिया गया एक बयान जो सच नहीं था. 14 फरवरी 2008 को पुलिस ने उनके घर और दफ़्तर पर छापा मारा जिसके एक दिन बाद त्सुमविंकेल को उस कंपनी के प्रमुख के पद से इस्तीफ़ा देना पडा जिसे उन्होंने 1989 में पद ग्रहण करने के बाद एक सरकारी कंपनी से शेयर बाज़ार में दर्ज़ महत्वपूर्ण कंपनी बनाया था.

उस समय आम तौर पर अनजाने रहे क्लाउस त्सुमविंकेल की नियुक्ति की घोषणा करते हुए उनके बारे में तत्कालीन पोस्ट मंत्री वोल्फ़गांग बोएच ने कहा था कि वे पूरी तरह पेशेवर हैं.

Fürstentum Liechtenstein Verdacht der Steuerhinterziehung
लिष्टेनश्टाइन पर करचोरी में मदद का आरोपतस्वीर: picture-alliance/ dpa

आज 5 लाख कर्मचारियों के साथ डॉयचे पोस्ट दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है. लेकिन कर चोरी का पता चलने के बाद 65 वर्षीय त्सुमविंकेल को अपनी जीवन की उपलब्धि से हाथ धोना पडा. उनका नाम जर्मन कर अधिकारियों को बेची गई उस डीवीडी में शामिल था जिसमें लिष्टेनश्टाइन के एलजीटी बैंक के ग्राहकों की सूची थी.

आज मुक़दमा शुरू हो रहा है जो छोटा सा मुक़दमा होगा. क्लाउस त्सुमविंकेल ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है और कर चोरी की राशि जमा कर दी है इसलिए उन्हें रियायत मिलेगी. करचोरी की राशि दस लाख से कम होने के कारण वे क़ैद की सज़ा से बच जाएंगे लेकिन निलंबित सज़ा और जुर्माने से बचना संभव नहीं होगा.