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आईवीएफ में जोखिम जितना ज्यादा बच्चा उतना ही स्वस्थ

१३ मई २०११

कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ मॉनट्रेआल की एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि यदि आईवीएफ में एक ही भ्रूण को शरीर में डाला जाए तो इस से नवजात शिशुओं की जान जाने का खतरा कम हो सकता है.

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तस्वीर: Fotolia

रिसर्च के अनुसार ऐसा करने से कनाडा में हर साल कम से कम 40 नवजात शिशुओं की जान बचाई जा सकती है. साथ ही अस्पताल में शिशुओं को जो समय बिताना पड़ता है, उसे भी कम किया जा सकता है. रिसर्च के अनुसार सालाना आईसीयू में शिशुओं के 42 हजार दिन कम किए जा सकते हैं. रिसर्च टीम की निदेशक केथ बैरिंगटन कहती हैं, "अगर संयोगवश आपका बच्चा समय से पहले हो जाता है और इस कारण उसे कोई बीमारी हो जाती है, तो आप कुछ कर नहीं सकते. लेकिन खास तौर से ऐसी तकनीक का सहारा लेना जिससे ऐसा होने का खतरा बढ़ जाए, इसे बदलना जरूरी है."

Auf der Neugeborenenstation des St. Joseph-Stifts in Dresden sind die Schwestern mit dem Monat Juli zufrieden, nachdem bereits der Vormonat der geburtenreichste in Dresden seit der Wende war. Schwester Vita, Schwester Isentrud, Dr. Heike Dobrenz und Schwester Ute (v.l.n.r.) haben mittlerweile elf Neugeborene zu betreuen. Katharina, Markus, Thao, Tom, Sven, Viviane, Marina, Joey, Jenny, Rebecca und Ludwig erblickten in den vergangenen Tagen das Licht der Welt. (Dre20-280797) Aufnahmedatum: 24.07.1997
तस्वीर: picture-alliance/dpa

क्या है आईवीएफ

आईवीएफ यानी 'इन विट्रो फर्टिलाइजेशन'. ज्यादा से ज्यादा महिलाएं गर्भ धारण करने के लिए इस तकनीक का रुख कर रही हैं. आईवीएफ में शरीर के बाहर वीर्य के जरिए डिंब का गर्भाधान होता है. इसके बाद भ्रूण को गर्भाश्य में डाला जाता है. क्योंकि यह शरीर के बाहर होता है इसलिए इसे 'टेस्ट ट्यूब बेबी' के नाम से भी जाना जाता है.

आईवीएफ का सहारा ज्यादातर 35 साल से अधिक उम्र की महिलाएं लेती हैं, क्योंकि वे कुदरती तरीके से गर्भ धारण नहीं कर पातीं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए महिला के गर्भ में एक से अधिक भ्रूण डाले जाते हैं. इसकी वजह यह होती है कि गर्भ भ्रूण को ठीक तरह से संभाल नहीं पता. तो समाधान के तौर पर एक से अधिक भ्रूण डाले जाते हैं ताकि उनमें से कम से कम एक पूरी तरह विकास कर सके.

Gripperisiko für Säuglinge ARCHIV - Ein drei Tage altes Baby trinkt am 25.08.2008 in Köln im Arm seiner Mutter aus der Flasche. Bei der grassierenden Schweinegrippe rückt erstmals eine besonders gefährdete Gruppe in den Fokus: Neugeborene und Babys unter sieben Lebensmonaten. Sie dürfen nicht geimpft werden. Zugleich steht für die Behandlung erkrankter Säuglinge mit Tamiflu auch nur ein Medikament zur Verfügung, das für Kinder unter einem Jahr eigentlich gar nicht zugelassen ist. Foto: Oliver Berg dpa/lnw (zu dpa/lnw: "Experten sehen für Säuglinge höchstes Grippe-Risiko " vom 16.11.2009) +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: picture-alliance/ dpa

क्यों डाले जाते हैं अधिक भ्रूण

कई महिलाओं में केवल एक भ्रूण डालना विफल हो गया. आईवीएफ तकनीक बेहद महंगी होती है, तो इतना पैसा खर्च करने के बाद भी कोई परिणाम न निकलना दंपती के लिए बहुत निराशजनक होता है. इसीलिए जोखिम न लेने के लिए अधिक भ्रूण इस्तेमाल किए जाते हैं. लेकिन इसके परिणामस्वरूप कई दिक्कतें भी आती हैं. कई बार दो या तीनों ही भ्रूण विकसित हो जाते हैं. ज्यादातर यह देखा गया है कि एक से अधिक भ्रूण जब विकसित होते हैं तो उनका विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता. ऐसे बच्चे बीमार पैदा होते हैं और कई बार जन्म के तुरंत बाद इनकी मौत भी हो जाती है.

इस से बचने के लिए रिसर्च में सुझाव दिया गया है कि एक ही भ्रूण शरीर में डाला जाए. 2005 से 2007 के बीच मॉनट्रेआल यूनिवर्सिटी के आईसीयू में जो 75 बच्चे भर्ती कराए गए वे सब आईवीएफ तकनीक से ही पैदा हुए. यह सब या तो जुड़वां थे या ट्रिप्लेट. इन में से 20 समय से पहले ही पैदा हो गए थे, छह की जान चली गए और पांच के मस्तिष्क में भारी ब्लीडिंग हुई. रिसर्च के अनुसार अगर एक ही भ्रूण से गर्भ धारण कराया गया होता तो इसे रोका जा सकता था.

रिपोर्ट: रॉयटर्स/ईशा भाटिया

संपादन: वी कुमार

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