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अर्थशास्त्र का नोबेल दो अमेरिकियों को

१० अक्टूबर २०११

अमेरिका के थॉमस सार्जेंट और क्रिस्टोफर सिम्स को 2011 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. उन्होंने ब्याज दरों और सरकारी खर्चे जैसी चीजों के बारे में नीतियों और अर्थव्यवस्था के बीच संबंध पर रिसर्च की है.

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तस्वीर: dapd

सार्जेंट और सिम्स दोनों की उम्र 68 साल है. उन्होंने 1970 और 80 के दशक में अपनी रिसर्च की लेकिन उनके निकाले नतीजे आज की दुनिया में बहुत प्रासंगिक हो गए हैं क्योंकि सभी देशों की सरकारें और केंद्रीय बैंक ऐसे रास्ते खोजने में लगे हैं जिनसे आर्थिक मंदी से बचा जा सके.

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने विजेताओं का एलान करते हुए कहा कि दोनों अर्थशास्त्रियों ने अपने क्षेत्र के कई अहम सवालों के जवाब दिए हैं. मसलन ब्याज दरों में अस्थाई बढ़ोतरी या करों में कमी करने का आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति पर क्या असर पड़ता है. एकेडमी ने कहा, "सार्जेंट और सिम्स के तैयार किए तरीके आज मैक्रोइकॉनामिक विश्लेषण के लिए जरूरी हैं."

कौन हैं सार्जेंट और सिम्स

सार्जेंट न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं जबकि सिम्स प्रिंसटन में पढ़ाते हैं. पुरस्कार के एलान के बाद सिम्स ने कहा, "जब मुझे पुरस्कार समिति का फोन आया तब मैं सो रहा था. मैंने पुरस्कार की उम्मीद नहीं की थी. असल में हमें दो बार फोन आया. पहली बार जब फोन आया तो मेरी पत्नी को बटन ही नहीं मिला. इसलिए हम सो गए."

अपने काम के बारे में सिम्स कहते हैं, "मेरे पास आसान जवाब नहीं हैं. लेकिन मुझे लगता है कि जिन तरीकों को मैंने इस्तेमाल किया है या जिन्हें टॉम ने तैयार किया है वे इस उथल पुथल से बाहर निकलने का रास्ता खोजने में काम आ सकते हैं."

सिम्स बताते हैं कि उनके खोजे तरीकों से पता चल सकता है कि हमारी मौजूदा समस्याओं की जड़ क्या है और इनके आधार पर नई खोजें हमें बाहर निकलने का रास्ता दिखा सकती हैं.

जब सिम्स से पूछा गया कि वह पुरस्कार में मिलने वाले 7.5 लाख डॉलर का क्या करेंगे तो उन्होंने कहा, "कुछ देर तक तो मैं इसे कैश में रखूंगा और सोचूंगा."

सार्जेंट की पत्नी कैरोलिन सार्जेंट ने बताया कि जब उनके पति को पुरस्कार का पता चला, तब वह बहुत चुप रहे. उन्होंने कहा, "मेरे ख्याल से वह दंग रह गए. वह पढ़ाने के लिए निकल रहे थे. उन्होंने अपना काम जारी रखा. उन्हें न्यूयॉर्क से न्यूजर्सी के लिए ट्रेन पकड़नी थी, क्योंकि आजकल वह वहीं पढ़ा रहे हैं."

क्या किया है दोनों ने

एकेडमी ने पुरस्कार का एलान करते हुए कहा कि सार्जेंट ने दिखाया कि स्ट्रक्चरल मैक्रोइकोनोमीट्रिक्स को आर्थिक नीतियों में स्थायी बदलावों के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है. उनके तरीके से घर और कंपनियां जान सकते हैं कि अर्थव्यवस्था में होने वाले बदलावों को कैसे अपने यहां लागू किया जाए.

एकेडमी के मुताबिक सार्जेंट ने हमें समझाया है कि व्यवस्थित तरीके से नीतियों में बदलाव करने का असर क्या होगा. उधर सिम्स ने बताया है कि बदलाव पूरी अर्थव्यवस्था में कैसे फैलते हैं.

अर्थशास्त्र के नोबेल के एलान के साथ ही 2011 के लिए दिए जाने वाले नोबेल पूरे हो गए हैं. पुरस्कार 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्य तिथि पर दिए जाएंगे. हालांकि अल्फ्रेड नोबेल ने जिन पुरस्कारों की स्थापना की थी, उनमें अर्थशास्त्र का नोबेल शामिल नहीं था. यह पुरस्कार उनकी याद में 1968 में स्वीडिश सेंट्रल बैंक ने स्थापित किया.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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