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अर्थव्यवस्था को सुधारेगी नई योजना

२९ अक्टूबर २०१२

भारत में बजट घाटा कम होता नहीं दिख रहा और वित्त मंत्री पी चिंदबरम की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए और निवेश को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने पांच साल का खाका तैयार किया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारत को बढ़ती महंगाई से जूझना है, निवेश बढ़ाना है और आर्थिक विकास को दोबारा 8-10 फीसदी करना है. इसके लिए वित्त मंत्री पी चिदंबरम एक खास योजना लेकर आए हैं. उनका कहना है कि सरकार राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने की कोशिश करती रहेगी. 2011-2012 में भारत का राजकोषीय घाटा, यानी सरकारी आमदनी और खर्चे में फर्क, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.8 प्रतिशत था. सरकार इसे 2016-2017 तक जीडीपी के तीन प्रतिशत तक लाना चाहती है.

वित्त मंत्री ने कहा, "जैसे जैसे सरकार घाटे को कम करने और उधार चुकाने में सफल होती है और निवेशकों का भारत पर विश्वास बढ़ता है, देश की अर्थव्यवस्था दोबारा ऊंची विकास दर से बढ़ेगी, महंगाई कम होगी और इसे लंबे समय तक ऐसे रखा जा सकेगा." पिछले वित्तीय वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर घटकर 6.5 प्रतिशत तक आ गई. इस साल विकास दर और गिर सकते हैं. लेकिन 2012-2013 के दौरान वित्तीय हालात को सुधारने की कोशिशों के बीच चिदंबरम ने कहा कि सरकार विनिवेश यानी सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर 30,000 करोड़ रुपए कमा सकती है. स्पेक्ट्रम लाइसेंस बेचने से सरकार ने 40,000 करोड़ रुपये कमाए हैं.

जहां तक सरकारी आमदनी के लक्ष्यों तक पहुंचने का सवाल है, चिदंबरम ने कहा कि कर भुगतान में तय की गई आमदनी को हासिल करने की कोशिश की जाएगी. सरकार कोशिश कर रही है कि योजना और उसके बाहरी खर्चों को नियंत्रण में रखा जा सके. उन्होंने कहा, "भविष्य में फायदा देने वाले कार्यक्रमों और संसाधनों पर पैसे लगाए जाएंगे लेकिन कोशिश की जाएगी कि पैसे कहीं रुके नहीं रहें.".

Palaniappan Chidambaram
तस्वीर: AP

इससे पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की वित्तीय सलाह परिषद (पीएमईएसी) के प्रमुख सी रंगराजन ने कहा कि भारत में वित्तीय समेकन इसलिए जरूरी है ताकि आने वाले कुछ समय तक विकास दर ऊंची रहें. इसी वजह से देश में पेट्रोलियम और डीजल के दामों को अंतरराष्ट्रीय दामों के अनुसार नियंत्रित करना होगा. रंगराजन ने यह भी कहा कि सरकार को सब्सिडी नीति में बदलाव लाने चाहिए ताकि बर्बादी कम हो और जरूरतमंदों को पैसे मिलें. "सरकार को तय करना होगा कि वह किस सब्सिडी को प्राथमिकता देना चाहती है. उसके बाद बाकी रियायतों को कम करना होगा ताकि सबकुछ मिलाकर तय सीमा के भीतर हो." 2012-2013 के लिए सरकार ने खाद्य पदार्थों, ईंधन और खाद के लिए 1.79 लाख करोड़ की सब्सिडी तय की है. चिदंबरम ने कहा है कि इस वित्तीय साल में सब्सिडी बढ़ कर जीडीपी के 2.4 प्रतिशत तक जा सकती है. रंगराजन ने कहा कि सुधारों के जरिए पूरे सिस्टम को बेहतर बनाया जा सकता है और जहां भी प्रतिस्पर्धा की कमी है, वहां सरकार को उसे बढ़ावा देने की जरूरत है.

एमजी/ओएसजे (पीटीआई)

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