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अर्जेंटीना के बच्चाचोर तानाशाहों को सजा

६ जुलाई २०१२

30 हजार लोग 'गायब' हो गए. 7 साल में 500 बच्चे चुराए गए. महिलाओं को नंगा करके समुद्र में फेंका गया. अर्जेंटीना के दो तनाशाहों ने विरोध करने वाले बुद्धिजीवियों, विद्यार्थियों, कम्युनिस्टों का बेरहममी से सफाया किया.

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तस्वीर: AP

ब्यूनस आयर्स की अदालत ने उन्हे ''मानवता के खिलाफ अपराध' का दोषी करार दिया है.

अदालत ने पूर्व तानाशाहों खोर्खे विडेला और रेनाल्डो बिन्योने को 50 साल और 15 साल कैद की सजा सुनाई है. खोर्खे विडेला की उम्र 86 साल है जबकि बिन्योने की 84 साल. इन दोनों को 'अपहरण, हत्या और प्रताड़ना' का दोषी कहा गया है. विडेला ने 1976 से लेकर 1981 तक जबकि बिन्योने ने 1982 से लेकर 1983 तक अर्जेंटीना पर शासन किया है. इस समय को अर्जेंटीना के इतिहास का काला अध्याय माना जाता है.

इन दोनों तानाशाहों के अलावा सेना के दूसरे अधिकारियों को भी 'योजनाबद्ध तरीके से' बच्चों का अपहरण करने का दोषी करार दिया गया है और 40 साल तक के जेल की सजा सुनाई गई है. 11 आरोपियों में से दो को छोड़ दिया गया है. जिस समय सजा का ऐलान किया गया कई लोगों की आंखों से आंसू छलकने लगे. पीडितों के परिवार वालों ने मुकदमे की कार्यवाही को कोर्ट रूम के बाहर बड़े टीवी स्क्रीन पर देखा. मानवाधिकार संगठन 'ग्रैंडमदर्स' के मुताबिक इस दौरान 500 बच्चों को चुराया गया जिन्हें बाद में सैन्य अफसरों ने पाल पोसकर बड़ा किया. कई बच्चे तो अपने जैविक माता पिता का नाम तक नहीं जानते. समूह के अध्यक्ष एस्टेला डे कारलेटो का कहना है कि अब कोर्ट के फैसले के बाद ये साफ हो गया है कि बच्चों को योजना बद्ध तरीके से चुराया गया था. इस मामले में 1996 में मुकदमा दायर किया गया था.

Buenos Aires Argentinien Ex-Diktator
तस्वीर: AP

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस दौरान कम्युनिस्ट विरोधियों के खिलाफ चलाए गए 'गंदे युद्ध' में अर्जेंटीना से 30 हजार लोग 'गायब' कर दिए गए. मुकदमे की सुनवाई के दौरान अपहरण के जिन 35 मामलों की पड़ताल की गई उसमें पता चला कि ज्यादातर बच्चों को जन्म के तुरंत बाद ही गायब ही कर दिया जाता था. मां को बच्चे का मुंह तक नहीं देखने दिया जाता था. अस्पताल में प्रताड़ित करने के लिए अलग से एक कमरा बनाया गया था जिसे 'खुशी की सड़क' नाम दिया गया था. जन्म के बाद बच्चों को सैन्य अधिकारियों और दूसरे सरकारी लोगों को सौंप दिया जाता था जबकि मां को सेना के हेलीकॉप्टर से नीचे समुद्र में फेंक दिया जाता था. हालांकि कार्यवाही के दौरान विदेला ने ये कहते हुए खुद का बचाव किया कि जिन बच्चों का अपहरण किया गया उनकी मां, "सक्रिय आतंकवादी थीं और अपने बच्चों को सुरक्षा कवच के तौर पर इस्तेमाल करती थीं." विदेला को पहले ही आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. उस पर 35 बच्चों की चोरी का आरोप था.

Buenos Aires Argentinien Ex-Diktator
तस्वीर: picture-alliance/dpa

इस फैसले ने अमेरिका के मानवाधिकार मुहिम की भी पोल खोल दी है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के पूर्व सहायक सचिव, एलियोट एब्रम्स का कहना है कि अमेरिका बच्चों की चोरी के बारे में जानता था. एब्रम्स अर्जेंटीना में तैनात थे और वो कोर्ट में गवाही के लिए भी प्रस्तुत हुए थे. एब्रम्स कहते हैं,'' हम जानते थे कि बच्चों को चुराया गया था जबकि उनके माता पिता जेल में थे या मारे गए थे. वे बच्चों को ले गए और उन्हे दूसरे लोगों को सौंप दिया.'' इन तानाशाहों के खिलाफ मुकदमा शुरु करने का रास्ता खुला राष्ट्रपति नेस्टोर किर्षनर के समय में. किर्षनर 2003 से 2007 तक सत्ता में रहे. इसी दौरान अर्जेंटीना के पुराने कानूनों को रद्द किया गया और मुकदमें की कार्यवाही तेज की गई. साल 2010 में किर्षनर की मौत हो गई लेकिन उनकी सरकार ने जो कार्यक्रम शुरु किए थे उसे आज भी आगे बढ़ाया जा रहा है. फिलहाल किर्षनर की पत्नी क्रिस्टीना फेर्नांडिस डे किर्षनर अर्जेंटीना की राष्ट्रपति हैं. इतिहास से सबक लेते हुए वो मानवाधिकार हनन के मसले पर संजीदा रुख अपना रही हैं.

वीडी/एनआर (एएफपी, एपी)

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