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अफगान मध्यस्थ मौलवी रहमानी की हत्या

१३ मई २०१२

अफगानिस्तान में तालिबान के साथ शांति समझौते के मध्यस्थ मौलवी अर्साला रहमानी की काबुल में हत्या कर दी गई. अज्ञात बंदूकधारियों ने उन्हें उनकी गाड़ी में गोली मारी. हत्या से शांति प्रक्रिया को गहरा धक्का लगा है.

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मौलवी अर्साला रहमानीतस्वीर: Reuters

काबुल पुलिस में जांच विभाग के प्रमुख जनरल मोहम्मद जाहिर ने बताया, "वह (रहमानी) ट्रैफिक में अटके हुए थे जब पास आ कर रुकी कार से उन पर गोली चलाई गई." मौलवी अर्साला रहमानी अफगानिस्तान की हाई पीस काउंसिल के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे. इस शांति परिषद का गठन राष्ट्रपति हामिद करजई ने किया है ताकि कट्टरपंथियों से बातचीत की जा सके. रहमानी के पोते ने बताया, "घर से निकलने के कुछ ही देर बाद उन्हें पास की कार से गोली मार दी गई. गोली उनके बाएं हाथ से होती हुई दिल पर लगी. उनकी अस्पताल में मौत हो गई. "

रहमानी की हत्या में तालिबान ने हाथ होने से इनकार किया है. रहमानी तालिबानियों से जुड़े हुए थे लेकिन इस बीच उन्होंने यह गुट छोड़ दिया था. उधर तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि इस हत्या में दूसरे लोगों का हाथ है. "हमें नहीं लगता कि शांति की कोशिशों को इस हत्या से कोई नुकसान पहुंचेगा. क्योंकि शांति परिषद ने कुछ हासिल ही नहीं किया है."

जिस समय रहमानी की हत्या हुई उस समय वह सासंदों और सरकारी अधिकारियों से बातचीत के लिए जा रहे थे. पुलिस अधिकारी जाहिर ने बताया, "उनके ड्राइवर को तुरंत समझ में ही नहीं आया कि रहमानी को मार दिया गया है."

तालिबान के साथ बातचीत शुरू हुए 11 साल हो गए हैं लेकिन 70 सदस्यों वाली शांति परिषद ने शांति समझौते में निर्णायक सफलता हासिल नहीं की है. अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी की पिछले साल आत्मघाती बम धमाके में हुई मौत के बाद शांति के लिए बातचीत को गहरा झटका लगा.

इस साल की शुरुआत में रहमानी ने रॉयटर्स से बातचीत के दौरान कहा था कि वह शांति समझौते के बारे में सकारात्मक हैं और तालिबान अपनी कट्टरपंथी विचारधारा में नर्मी लाने के लिए तैयार हैं.

अमेरिकी राजनयिक काफी समय से गुप्त रूप से तालिबान के साथ बातचीत कर रहे हैं. इस दौरान वे कतर में तालिबान का ऑफिस खोलने के बारे में राजी भी हुए. हालांकि तालिबान ने बाद में बातचीत रोक दी और आरोप लगाया कि वॉशिंगटन ने उनकी मांगे पूरी नहीं की.

रहमानी 1996 से 2001 के दौरान तालिबान सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे. तालिबान की सरकार हटाए जाने के बाद वह करजई सरकार के साथ हो गए थे. पश्चिम समर्थित शांति समझौते की बातचीत के लिए रहमानी की हत्या दूसरा बड़ा झटका है.

एएम/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)

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