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जर्मनी: सब्सिडी में कटौती के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

८ जनवरी २०२४

जर्मनी में राजधानी बर्लिन समेत कई शहरों में किसान हड़ताल पर हैं. डीजल सब्सिडी और खेती में काम आने वाली गाड़ियों में मिलने वाली टैक्स छूट कम करने की सरकार की योजना के खिलाफ किसानों ने कई जगहों पर हाई-वे जाम किया है.

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बर्लिन में प्रदर्शनकारी किसान
देशभर में सैकड़ों जगहों पर एकसाथ जारी विरोध प्रदर्शन से जनजीवन प्रभावित हुआ है. इससे पहले 18 दिसंबर को भी हजारों किसानों ने बर्लिन पहुंचकर सरकार द्वारा सब्सिडी में कटौती की योजना के खिलाफ प्रदर्शन किया था. तस्वीर: बर्लिन के ऐतिहासिक ब्रैंडनबुर्ग द्वार के पास किसान संगठनों द्वारा आयोजित रैली में जमा हुए लोगतस्वीर: Monika Skolimowska/dpa/picture alliance

यह हड़ताल "जर्मन फार्मर्स असोसिएशन" ने बुलाई है. कई जगहों पर किसानों ने ट्रैक्टरों से हाई-वे ब्लॉक किया है. इस हड़ताल के कारण बड़े स्तर पर यातायात-परिवहन के प्रभावित होने की उम्मीद है. उत्तर-पश्चिमी जर्मनी के ओल्डेनबुर्ग शहर की पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "मोटरवे लेन्स को बाधित करना अपराध है."

ट्रैक्टर के साथ प्रदर्शन

हड़ताल के कारण 7 जनवरी से ही बड़ी संख्या में किसान बर्लिन आने लगे थे. यहां ऐतिहासिक ब्रैंडनबुर्ग द्वार के पास किसानों ने बड़ी संख्या में ट्रैक्टर खड़े किए हैं. आमतौर पर सोमवार की सुबह ट्रैफिक से भरी सड़कें ट्रैक्टरों से पटी हैं और किसान उनके हॉर्न बजाकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं.

बर्लिन पुलिस ने बताया कि 8 जनवरी को सुबह 10 बजे तक उन्होंने प्रदर्शन में भाग ले रहे 566 ट्रैक्टर, ट्रक, गाड़ियां और ट्रेलरों की गिनती की है. देशभर में ऐसे सैकड़ों प्रदर्शन जारी हैं. उत्तरी और पूर्वी जर्मनी में भी कई जगहों पर यातायात और जनजीवन प्रभावित होने की खबर है. कई जगहों पर किसानों की रैलियां भी प्रस्तावित हैं. किसान संगठनों ने कहा है कि विरोध कार्यक्रम और रैलियां इस पूरे सप्ताह जारी रहेंगी और 15 जनवरी को बर्लिन में एक बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा. 

Deutschland, Berlin | Bauern am Vorabend der Großdemonstration
8 जनवरी को बुलाई गई हड़ताल के कारण बर्लिन के ब्रैंडनबुर्ग गेट के पास एक दिन पहले से ही किसान जमा होने लगे थे. उन्होंने वहीं पर रात बिताई. तस्वीर: Fabrizio Bensch/REUTERS

कटौती की वजह क्या है?

बीते दिनों बजट की घोषणा करते हुए सरकार ने बड़े स्तर पर कटौती करने की घोषणा की थी. इस प्रस्तावित कटौती के तहत सरकार करीब 6,000 करोड़ यूरो की बचत करना चाहती है. इस फैसले की पृष्ठभूमि में कोविड-19 के दौरान संसद द्वारा मंजूर किए गए क्रेडिट्स है. इस फंड का जो हिस्सा इस्तेमाल नहीं हुआ था, उसे 2021 में सरकार ने विशेष फंड में स्थांतरित कर दिया था.

नवंबर 2023 में फेडरल कॉन्स्टिट्यूशन कोर्ट ने फैसला दिया कि महामारी से जुड़े फंड को किसी अन्य मद में इस्तेमाल करना असंवैधानिक है. इस फैसले के बाद सरकार के आगे बजट का गंभीर संकट खड़ा हो गया और बचत की अनिवार्यता पैदा हो गई.

खर्च कम करने की कोशिशों के तहत सरकार 6,000 करोड़ यूरो की बचत करना चाहती है. इसी क्रम में किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी घटाकर भी सरकारी खर्च में कटौती की योजना है. इसके लिए कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाले डीजल पर दिया जाने वाला आंशिक टैक्स रीफंड और कृषि गाड़ियों पर टैक्स में छूट खत्म करने की योजना है, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं.

ट्रैक्टर के साथ रैली निकालते प्रदर्शनकारी किसान
किसान संगठनों ने कहा है कि विरोध कार्यक्रम और रैलियां इस पूरे सप्ताह जारी रहेंगी और 15 जनवरी को बर्लिन में एक बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा. तस्वीर: Sven Hoppe/dpa/picture alliance

दक्षिणपंथियों की घुसपैठ का खतरा

विरोध के मद्देनजर पिछले हफ्ते सरकार ने कहा कि वह सब्सिडी में प्रस्तावित कटौती को थोड़ा कम करेगी, लेकिन जर्मन फार्मर्स असोसिएशन ने इसे अपर्याप्त बताया और प्रदर्शन जारी रखने का फैसला किया.

विरोध प्रदर्शन के बीच दक्षिणपंथी तत्वों के घुसपैठ की आशंका भी सामने आई है. पिछले हफ्ते जर्मनी के आंतरिक मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने चेतावनी दी थी कि देश विरोधी और दक्षिणपंथी तत्व, किसान प्रदर्शनों को अपने हित में भुनाने की कोशिश कर सकते हैं.

थुरिंजिया राज्य में "ऑफिस फॉर दी प्रॉटेक्शन ऑफ दी कॉन्स्टिट्यूशन" के प्रमुख स्टेफान क्रामर ने भी यह आशंका जताई है. उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथी चरमपंथी लोग किसानों के प्रदर्शनों का इस्तेमाल करने की कोशिश कर सकते हैं. एक अखबार से बात करते हुए क्रामर ने कहा, "ऐसे भावुक मुद्दे उनकी रणनीति के लिए मुफीद होते हैं."

पर्यावरण के हिसाब से बन रहे जर्मनी में खेती के उपकरण

नॉर्थ-राइन वेस्टफालिया, जर्मनी का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है. वहां भी किसानों की हड़ताल के कारण कई जगहों पर यातायात प्रभावित हुआ है. राज्य के प्रीमियर हेंड्रिक वूस्ट ने कहा है कि वह प्रदर्शन की वजह समझते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने किसानों से कानून के दायरे में रहने की भी अपील की.

वूस्ट, विपक्षी पार्टी सीडीयू के नेता हैं. उन्होंने रेडियो चैनल जेडडीएफ से बातचीत में कहा कि लोकतंत्र विमर्श से फलता-फूलता है, लेकिन हर किसी को कानून का पालन करना चाहिए.

एसएम/सीके (डीपीए, रॉयटर्स, एपी, एएफपी)