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जर्मनी में एक व्यक्ति ने लगवाए कोरोना के 87 टीके

४ अप्रैल २०२२

जर्मनी में एक व्यक्ति द्वारा कोविड-19 की 87 खुराक लेने की रिपोर्ट है. इस व्यक्ति ने एक दिन में तीन-तीन टीके लगवाए. अधिकारी इसे बड़ी साजिश का हिस्सा मानते हैं.

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जर्मनी में वैक्सीन के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं
जर्मनी में वैक्सीन के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैंतस्वीर: Andreas Rentz/Getty Images

जर्मन अधिकारियों का कहना है कि पूर्वी जर्मनी में एक व्यक्ति ने कोरोना के 87 टीके लगवाए. वह अलग-अलग टीकाकरण केंद्रों पर गया और दिन में तीन-तीन बार तक टीके लगवाए. अधिकारियों का कहना है कि वैक्सीन विरोधी लोगों को वैक्सीनेशन पास बेचने के बड़े गोरखधंधे के तहत यह व्यक्ति टीके लगवा रहा था.

‘फ्री प्रेस' अखबार ने खबर छापी है कि 61 साल के इस व्यक्ति को काम से निलंबित कर दिया गया है. संदेह है कि वह हफ्तों तक अलग-अलग केंद्रों पर जा-जाकर टीके लगवाता रहा ताकि वैक्सीनेशन पासपोर्ट बेच सके.

जर्मनी में कोविड-19 के खिलाफ संघर्ष जारी है और बीते दिनों में मामलों में थोड़ी सी वृद्धि ने चिंता भी बढ़ाई है. अधिकारी टीकाकरण की दर बढ़ाने के लिए भी संघर्षरत हैं क्योंकि अब भी लोग वैक्सीन लगवाने से झिझक रहे हैं.

इतनी बार क्यों ली वैक्सीन?

फ्री प्रेस अखबार को मिली जानकारी के मुताबिक यह व्यक्ति पूर्वी जर्मनी के दो राज्यों सैक्सनी और सैक्सनी-अनहाल्ट में दर्जनों केंद्रों पर गया था. माना जाता है कि उसने सिर्फ सैक्सनी राज्य में 87 टीके लगवाए हैं. यह स्पष्ट नहीं है कि अन्य राज्यों में उसने कितने टीके लिए. यानी टीकों की संख्या 87 से ज्यादा भी हो सकती है.

इस व्यक्ति की कथित हरकत पकड़ में तब आई जब ड्रेसडेन में एक टीकाकरण केंद्र में कर्मचारी को संदेह हुआ. जर्मन रेड क्रॉस के एक प्रवक्ता काई क्रानिच ने बताया कि उस कर्मचारी को लगा कि उसने व्यक्ति को पहले देखा था.

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लाइपजिष के करीब आइलेनबुर्ग में स्थित उस केंद्र का वह कर्मचारी चौकस हो गया और अगली बार जब आरोपी केंद्र में पहुंचा तो स्टाफ ने पुलिस को सूचित कर दिया. जर्मन रेड क्रॉस ने इस व्यक्ति पर वैक्सीनेशन पासपोर्ट बेचने के आरोप में मुकदमा दर्ज करवाया है. सैक्सनी राज्य में अपराधिक जांच शुरू हो गई है जबकि अन्य राज्यों में भी अधिकारी पड़ताल कर रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक हर बार टीका लेने के लिए यह व्यक्ति जब भी केंद्र पर जाता था तो अपने साथ नया कोरा दस्तावेज लेकर जाता था. टीका लगवाने के बाद वह वैक्सीन के बैच नंबर और सूचना वाले पेज को फाड़ लेता और उसे ऐसे लोगों को बेच देता जो वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते.

सिस्टम पर सवाल

व्यक्ति ने चौकसी यह बरती कि हर बार अपॉइंटमेंट तो अपने नाम और जन्म तिथि से ही बुक की लेकिन स्वास्थ्य बीमा कार्ड का प्रयोग नहीं किया जिसका पता चल सकता था. इस घटना ने जर्मन हेल्थ केयर सिस्टम में खामियां भी उजागर की हैं. अब विशेषज्ञ स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं का एक केंद्रीय डिजिटल रिकॉर्ड ना रकने पर चिंता जता रहे हैं. सैक्सनी स्टेट मेडिकल एसोसिएशन के प्रवक्ता क्नूट कोहलर ने कहा, "अगर कोई नेशनल वैक्सीन रजिस्टर या कोरोना वायरस वैक्सीन रजिस्टर होता तो मामले का फौरन पता चल जाता.”

भारत के बिहार में भी ऐसा ही मामला सामने आया था जब मधेपुरा जिले के एक रिटायर्ड पोस्टमास्टर ने दावा किया कि कोरोना का टीका लेने के बाद उनकी पीठ, कमर व घुटने का दर्द ठीक हो गया और वह सीधा होकर चलने लगे. इसलिए इस व्यक्ति ने 12 बार टीका लगवा लिया.

मामला मधेपुरा जिले के पुरैनी थाना क्षेत्र अंतर्गत औराय गांव का था. यहां रहने वाले 84 वर्षीय रिटायर्ड पोस्टमास्टर ब्रह्मदेव मंडल ने 13 फरवरी 2021 से 4 जनवरी 2022 के बीच 12 बार कोरोना की वैक्सीन ली. 12वीं बार टीका लेने के बाद किसी ने उन्हें पहचान लिया. इसके बाद मामले का पर्दाफाश हुआ.

जर्मनी में टीका लगवाने योग्य 75 प्रतिशत आबादी वैक्सीन की पूरी खुराक ले चुकी है. 58 प्रतिशत लोगों ने एक बूस्टर शॉट भी लगवा लिया है. पूर्वी जर्मनी के राज्य इस मामले में बाकी हिस्सों से पीछे हैं. मसलन, सैक्सनी में टीकाकरण की दर 64.5 प्रतिशत है.

जर्मनी में वैक्सीनेशन की दर बाकी पश्चिमी यूरोपीय देशों से पीछे है. स्पेन में 85 प्रतिशत लोग पूरी खुराक ले चुके हैं जबकि पुर्तगाल में यह दर 91 प्रतिशत है.

रिपोर्टः विवेक कुमार

 

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