1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

शतरंज के खेल में महिलाओं से भेदभाव

आन्या रियोबेकाम्प
१८ सितम्बर २०२३

शतरंज की दुनिया में महीनों से यौन उत्पीड़न और यहां तक कि यौन हिंसा की खबरों से हड़कंप मचा हुआ है. महिला खिलाड़ी अब मुखर होकर बदलाव की मांग करने लगी हैं.

https://p.dw.com/p/4WQDa
बर्लिन में शतंरज टूर्नामेंट के दौरान खिलाड़ी
बेहद शांत खेल शतरंज में आजकल सेक्सिज्म के आरोपों से हलचल मची हुई हैतस्वीर: Andreas Gora/dpa/picture alliance

जर्मन चेस फेशरेशन (डीएसबी) की अध्यक्ष इंग्रिड लाउटरबाख ने डीडब्ल्यू को बताया, "मैं गारंटी से कह सकती हूं कि ऐसी कोई महिला खिलाड़ी नहीं होगी जिसने कभी कोई घटिया टिप्पणी न सुनी हो." उन्होंने खुद ऐसी स्थितियां झेली हैं जिनमें किसी ने उनके गले लगना चाहा, गाल पर चूमना चाहा और सबसे खराब बात, वो सब हुआ उनकी मर्जी के बिना.

लाउटरबाख अंतरराष्ट्रीय शतरंज चैंपियन हैं और दशको से अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में खेलती आई हैं. यूं तो उन्हें खुद कभी शारीरिक उत्पीड़न या हमला नहीं झेलना पड़ा लेकिन वो अभद्र किस्म की टिप्पणियों या फब्तियों से बखूबी वाकिफ है. डीएसबी शतरंज की तमाम दुनिया को अपनी इस विकराल अंदरूनी समस्या से निपटने की जरूरत है- और ये है सेक्सिज्म यानी लैंगिक भेदभाव.

खुला विरोध

अगस्त की शुरुआत में शतरंज का अपना मीटू मौका आया. प्रभावित महिला खिलाड़ियों ने एकजुट होकर सार्वजनिक चिट्ठी लिखी और बदलाव की मांग की.

चिट्ठी में कहा गया कि "हम महिला शतरंज खिलाड़ी, कोच, रेफरी और मैनेजर, पुरुष खिलाड़ियों के हाथों लैंगिक भेदभाव या यौन उत्पीड़न झेल चुकी हैं." दुनिया भर की शतरंज से जुड़ी 100 से ज्यादा महिलाओं ने इस पर हस्ताक्षर किए.

उन्हीं में से एक हैं जर्मनी की राष्ट्रीय खिलाड़ी आनमारी म्युश्च. उन्होंने हाल में जर्मन समाचार पत्रिका श्पीगल को बताया कि महत्वपूर्ण मुकाबलों में वो अपनी भागीदारी रद्द कर चुकी हैं, सिर्फ इसलिए कि वो कुछ खास लोगों के सामने नहीं पड़ना चाहती जिनसे मिलने की उनकी जरा भी इच्छा नही थी.

चेस समिट 2022 के दौरान जर्मनी की राष्ट्रीय खिलाड़ी आनमारी म्युश्च
ओपेन लेटर पर दस्तखत करने वालों में जर्मनी की राष्ट्रीय खिलाड़ी आनमारी म्युश्च भी शामिल रही हैंतस्वीर: Paul Meyer-Dunker

तो क्या शतरंज खासतौर पर यौन भेदभाव से ग्रस्त है? ग्रैंडमास्टर और डीएसबी की प्रवक्ता योजेफीन हाइनमान ऐसा नहीं मानती. उनके मुताबिक "बेशक, एक शतरंज मुकाबले में मेरे साथ एक वाकया हुआ था और वो थोड़ा असुविधाजनक भी था लेकिन मैं उसे यौन उत्पीड़न का दर्जा नहीं दूंगी."

ऐसी स्थितियां, वो कहती हैं, शतरंज के माहौल में अलहदा या खास नहीं हैं, बल्कि वे रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हैं. ये समस्या पूरे समाज की है.

खेल से आगे के ज्यादा खतरे

शतरंज में अलबत्ता एक प्रमुख अंतर हैः औरतें बहुत कम संख्या में हैं. सिर्फ 10 फीसदी खिलाड़ी, महिलाएं हैं. महिला टूर्नामेंट बेशक अस्तित्व में हैं लेकिन अगर महिला खिलाड़ी शीर्ष स्तर पर खुद को चुनौती देना चाहती हैं तो उन्हें अपने करियर को बढ़ाने के लिए मिश्रित मुकाबलों मे भाग लेना होता है.

ये भी शतरंज की एक अनूठी बात है कि युवा महिला खिलाड़ियों का अकसर मुकाबलों में अपने से उम्रदराज पुरुष खिलाड़ियों से आमना-सामना होता है, अगर वे जीत जाती हैं तो सामने वाला खिलाड़ी असहज होकर चिढ़ सकता है. हाइनमान कहती हैं, "अक्सर एक फब्ती कस दी जाती है, खासतौर पर जब उम्रदराज पुरुष, लड़कियों से मुकाबला हारता है."

हालांकि ग्रैंडमास्टर हाइनमान चेसबोर्ड पर आमने-सामने के हालात से और ज्यादा बड़े खतरे को चिंहित करती है. "मेरे नजरिए में इंटरनेट पहले से बहुत सारी बेवकूफाना टिप्पणियों से पटा पड़ा है. वहां मौजूद कई कमेंट पढ़कर मैं स्तब्ध रह गई."

इंटरनेट, गुमनामी मुहैया कराता है यानी वहां किसी की पहचान का पता नहीं चलता और निषेध की कोई सीमा ही नहीं रहती, मतलब किसी किस्म की रुकावट ही नहीं. लाउटरबाख भी ये मानती हैं कि आधुनिक संचार चैनल और शतरंज की वेबसाइटें, लोगों से उनकी मर्जी के खिलाफ संचार को ज्यादा आसान बनाती हैं. दूसरी तरफ, इंटरनेट लैंगिक भेदभाव से प्रभावित लोगों को अपनी लड़ाई लड़ने का मंच भी मुहैया कराता है.

शतरंज संघ ने ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को महिलाओं के खेल से किया बैन

मोर्चे पर आगे रहीं शहादे

औरतें अब और ज्यादा खामोश बैठे रहना नहीं चाहतीं. जानीमानी शतरंज खिलाड़ी, दो बार की अमेरिकी चैंपियन और प्रभावशाली शतरंज लेखिका जेनिफर शहादे ने तत्कालीन ट्विटर और आज के एक्स पर एक टिप्पणी दर्ज करते हुए कहा थाः "टाइम इज अप" यानी आपका समय खत्म. अपनी पोस्ट में उन्होंने शतरंज के ग्रैंडमास्टर अलेक्खान्द्रो रामीरेस के हाथों अपने साथ हुए कथित यौन दुर्व्यवहार का विवरण दिया था.

मिनटों मे ही, कई लोगों ने कमेंट कर दिए, और अपने ऐसे ही अनुभव विस्तार से दर्ज करने लगे. उनमें से एक आदमी ने स्वीकार किया कि वो 2011 में एक युवा खिलाड़ी पर रामीरेस के कथित यौन हमले का चश्मदीद था. उसे लगता था कि तब मामले ने कोई तूल नहीं पकड़ा.

लेकिन उन दिनों विभिन्न सेक्स स्कैंडल और यौन उत्पीड़न के मामले पूरी दुनिया में हलचल मचा चुके थे. तो फिर आखिर कैसे शतरंज में वैसी किसी हरकत का पता किसी को भी नही चला? रामीरेस कहते हैं कि वे विभिन्न जांच एजेंसियों के साथ सहयोग कर रहे हैं और अपना पक्ष सबके सामने लाने को उत्सुक हैं.

क्या अतीत में ऐसे आरोप बहुत आमफहम होते थे?

जर्मन खिलाड़ी म्युश्च के मुताबिकः "जबसे मैंने सार्वजनिक चिट्ठी पर हस्ताक्षर किए, मैंने उन सब घटनाओं के बारे में सोचा जो मेरे साथ हुई थीं. इतनी सारी चीजें मेरे जेहन में आती गईं जो पहले मेरे ख्याल में नहीं आई थीं."

शतरंज में धोखाधड़ी का तूफानः "महानतम" खिलाड़ी ने लगाए सीधे आरोप

शिकायत लेकर जाएं तो जाएं कहां

अमेरिकी-कनाडाई शतरंज खिलाड़ी और इन्फ्लुएंसर अलेक्सांद्रा वलेरिया बोतेस ने शतरंज की दुनिया में यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार के मामलों को दर्ज करने का एक गुमनाम, अंतरराष्ट्रीय डाटाबेस बनाने के लिए एक अभियान शुरू किया है. यह काम उन्हें जरूरी लगा था. क्योंकि विश्व शतरंज फेडरेशन (फीडे) ने कोई प्रमुख कदम नहीं उठाए और एथिक्स कमीशन के अलावा प्रभावितों-पीड़ितों के लिए संपर्क-सूत्र था ही नहीं.

जर्मन चेस फेडरेशन की प्रमुख इंग्रिड लाउटरबाख की तस्वीर
जर्मन चेस फेडरेशन की प्रमुख इंग्रिड लाउटरबाखतस्वीर: Arne Jachmann

लाउटरबाख के मुताबिक कमीशन, शिकायत दर्ज कराने की सही जगह नहीं होगी. वो कहती हैं कि कमीशन बहुत धीरे धीरे काम करता है और ज्यादा सही तो ये होगा कि जिम्मेदार लोगों को आमने सामने बैठाकर बात की जाए. भविष्य के लिए वह यही चाहती हैं कि "हरेक व्यक्ति और ज्यादा ध्यान दे और ये बात रेफरियों और कोचों पर भी लागू हो."

इसके अलावा, वो यह भी मानती हैं कि खेल के सभी स्तरों पर ज्यादा से ज्यादा लड़कियों और महिलाओं को लाया जाना चाहिए.

शतरंज के मैच में रोबोट ने बच्चे की उंगली तोड़ी

जर्मन चेस फेडरेशन, खेल में यौन उत्पीड़न और हिंसा के मामलों को रोकने के लिए 2021 से उपायों पर काम करती आ रही है. वो इस कंसेप्ट को और आगे ले जाना भी चाहती है. उसकी वेबसाइट में इस उद्देश्य के लिए यूजरों को विशेष तौर पर चिन्हित एक कॉन्टेक्ट पर्सन तक पहुंचने की सुविधा दी गई है. जर्मनी में "सेफ स्पोर्ट कॉन्टेक्ट प्वायंट" के जरिए वो संपर्क सूत्र मुहैया कराया गया है. सरकार, राज्य और खेल संगठन उसे संचालित करते हैं.

लाउटरबाख को उम्मीद है कि जमीनी स्तर पर बेहतर शिक्षा से शतरंज में लैंगिक भेदभाव के बारे मे ज्यादा जागरूकता आ सकती है. वो कहती हैं कि सभी को ये पूरी तरह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि ऐसा व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

"मुझे लगता है कि हमे एक ऐसे बिंदु पर पहुंचना होगा जहां प्रतिरोध या डर इतना ज्यादा हो जाए कि कोई किसी के साथ ऐसा करने की कभी हिम्मत ना कर पाए."

जादुई शतरंज