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जीएसटी पर ऊहापोह कायम भारत में

प्रभाकर मणि तिवारी
१५ जून २०१७

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली जुलाई से लागू होने वाले जीएसटी को भले अर्थव्यवस्था के लिए एक टर्निंग प्वायंट करार दिया हो, इसे लेकर अब भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है.

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Nepal Indien Grenze Stau
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. Dutta

पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्यों ने इसे लागू करने की तारीख एक महीने बढ़ाने का अनुरोध किया है. बंगाल सरकार की दलील रही है कि जीएसटी को इसके मौजूदा स्वरूप में लागू करना संभव नहीं है. कई व्यापारिक संगठनों ने भी इसके विभिन्न प्रावधानों और तकनीकी दिक्कतों पर आपत्ति जताई है. लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कर दिया है कि जीएसटी पहली जुलाई से ही लागू होगा.

तकनीकी दिक्कतें

देश की अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदलने का दावा करने वाले जीएसटी के लागू होने में अब महज दो सप्ताह का समय बचा है, लेकिन इसकी राह में आने वाली तकनीकी दिक्कतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इसे लागू करने की राह में व्यापारियों को प्रक्रियागत समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है. कोई महीने भर से ऑनलाइन पंजीकरण के लिए जीएसटी नेटवर्क सुचारू रूप से काम नहीं कर रहा है. इसकी वजह से ई-वे बिल बनाने में दिक्कत हो रही है. ऑनलाइन बनने वाले इस डिलीवरी नोट के बिना अब सामानों का परिवहन संभव नहीं होगा. तकनीकी दिक्कतों की वजह से पहली मई को जीएसटी नेटवर्क वेबसाइट को बंद करना पड़ा था. पहली जून को दोबारा इसके खुलने के बावजूद हालत में ज्यादा सुधार नहीं आया है. कर्नाटक चैंबर्स आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की टैक्सेशन कमिटी के अध्यक्ष बी.टी.मनोहर बताते हैं, "जब कोई व्यापारी ऑनलाइन पंजीकरण के लिए अपना ब्योरा भरता है तो आखिरी पेज पर यह पोर्टल एरर दिखाने लगता है. इसकी वजह से एप्लीकेशन रजिस्ट्रेशन नंबर (एआरएन) नहीं मिल पाता."

मनोहर बताते हैं कि एआरएन के बिना व्यापारी जीएसटी पहचान नहीं हासिल कर सकते. टैक्स इनवॉयस और बिक्री का बिल बनाने के लिए यह जरूरी है. उनका कहना है कि अगर सरकार पहली जुलाई से जीएसटी लागू करने के प्रति गंभीर है तो उसे सुनिश्चित करना चाहिए कि 30 जून या उससे पहले देश के तमाम व्यापारियों को जीएसटी पहचान मिल जाए.

केंद्र सरकार अटल

विभिन्न राज्यों और कुछ व्यापारिक संगठनों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार इसे पहली जुलाई से लागू करने पर अटल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीएसटी की तैयारियों का जायजा लेने वाली एक समीक्षा बैठक के बाद इसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए ‘टर्निंग प्वायंट' करार दे चुके हैं. उन्होंने बैठक के बाद कहा कि जीएसटी के जरिए "एक राष्ट्र, एक बाजार और एक कर" के चलते आम लोगों को काफी फायदा होगा. पश्चिम बंगाल समेत कम से कम छह राज्यों ने अब तक जीएसटी कानून पारित नहीं किया है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शुरूआत से ही कहती रही हैं कि जीएसटी को इसके मौजूदा स्वरूप में लागू करना संभव नहीं है. बाद में वित्त मंत्री अमित मित्र ने इसे कम से कम एक महीने के लिए टालने का अनुरोध किया था.

Indien Arun Jaitley in Neu-Delhi
अरुण जेटलीतस्वीर: picture-alliance/dpa/EPA/Str

केंद्र के रुख को ध्यान में रखते हुए अब सरकार ने इस बारे में एक अध्यादेश जारी करने का फैसला किया है. ममता की दलील है, "हमने जिन 66 वस्तुओं पर कर की दरें घटाने की मांग की थी उसे केंद्र ने मान लिया है." मुख्यमंत्री का कहना है कि जीएसटी विधेयक को हरी झंडी नहीं मिलने की स्थिति में राज्य के व्यापारियों को भारी मुश्किल हो जाती. यही वजह है कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की बजाय सरकार ने इसके लिए अध्यादेश का रास्ता चुना है. बंगाल के अलावा जम्मू-कश्मीर, मेघालय और कर्नाटक में भी अब तक इससे संबंधित विधेयक को हरी झंडी नहीं मिली है. तमिलनाडु में 14 जून से शुरू विधानसभा के अधिवेशन के दौरान जीएसटी विधेयक के पारित होने की उम्मीद है.

बाजार में हलचल

दूसरी ओर, जीएसटी लागू होने से पहले उपभोक्ता बाजार में भारी हलचल है. तमाम उपभोक्ता कंपनियां पहली जुलाई से जीएसटी के चलते कीमतें बढ़ने की दलील देकर आम लोगों को उससे पहले ही खरीदारी के लिए लुभा रही हैं. इसके लिए अखबारों और टीवी चैनलों पर कारों, टीवी सेट्स, एयर कंडीशनरों और कंप्यूटरों के बड़े-बड़े विज्ञापन दिये जा रहे हैं. इससे आम लोगों में भी भ्रम की स्थिति है. एक उपभोक्ता सुरेंद्र मजुमदार कहते हैं, "इन विज्ञापनों को देख कर समझ में नहीं आ रहा है कि जीएसटी के चलते कौन सा सामान कितना महंगा हो जाएगा?" कई लोग खरीददारी को लेकर असमंजस में हैं तो कुछ वित्तीय संस्थानों और बैंकों से कर्ज लेकर कार और एरकंडीशनरों की खरीददारी में जुटे हैं. एक वित्तीय संस्थान में काम करने वाले देवांजन मल्लिक बताते हैं, "बीते कोई महीने भर से उपभोक्ता सामग्री की खरीद के लिए कर्ज के आवेदन तेजी से बढ़ रहे हैं. भ्रामक स्थिति होने के बावजूद हर कोई इस मौके को भुनाना चाहता है."

वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि शुरूआती दौर में जीएसटी को लागू करने की राह में दिक्कतें तय हैं. आगे चल कर धीरे-धीरे इन दिक्कतों और तकनीकी खामियों को दूर किया जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि तमाम प्रक्रिया ऑनलाइन होने की वजह से साइबर सुरक्षा भी एक अहम पहलू है. महज एक तकनीकी दिक्कत माल परिवहन के कारोबार को ठप कर सकती है. प्रधानमंत्री मोदी भी साइबर सुरक्षा मजबूत करने पर जोर दे चुके हैं. केंद्र ने भले 30 जून से पहले तमाम कामियों को दूर करने का भरोसा दिया है. लेकिन जीएसटी से जुड़े तमाम व्यापारियों में अब तक ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है.