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गुजरात से अब भी भाग रहे हैं उत्तर भारत के लोग

समीरात्मज मिश्र
८ अक्टूबर २०१८

गुजरात के साबरकांठा में एक बच्ची के साथ बलात्कार के बाद राज्य में उत्तर भारतीयों पर हमले और प्रदर्शन जारी हैं. अब तक हिंसा के मामले में 342 लोगों को गिरफ्तार किया है, बावजूद इसके उत्तर भारतीयों का पलायन हो रहा है.

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Indien Ankunft Gastarbeiter am Bahnhof in Patna
तस्वीर: IANS

सरकार ने पुलिस को उन इलाकों में कैंप करने को कहा है, जहां यूपी-बिहार के लोग ज्यादा संख्या में रहते हैं. पुलिस लोगों को सुरक्षा का आश्वासन दे कर पलायन रोकने की कोशिश कर रही है. पुलिस ने दूसरे राज्यों के लोगों पर हुए हमलों के संदर्भ में अब तक 42 मामले दर्ज किए हैं.

गुजरात पुलिस के महानिदेशक शिवानंद झा ने पत्रकारों को बताया कि मुख्य रूप से छह जिले हिंसा से प्रभावित हुए हैं. उनके मुताबिक, मेहसाणा, बनासकांठा, साबरकांठा, पाटन में सुरक्षा के लिए पुलिस और राज्य रिजर्व पुलिस बल की विशेष टीमें तैनात की गई हैं. यूपी-बिहार के लोग जहां काम करते हैं पुलिस वहां लगातार पेट्रोलिंग कर रही है.

यही नहीं, पुलिस को गांवों में जाकर लोगों के साथ बैठक करने और उनकी समस्याएं सुनने के भी आदेश दिए गए हैं. सोशल मीडिया पर कथित तौर पर नफरत फैलाने के मामले में अब तक करीब एक दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

पिछले महीने 28 सितंबर को बनासकांठा जिले में 14 महीने की एक बच्ची के साथ कथित रूप से बलात्कार के आरोप में बिहार के रहने वाले एक मजदूर को गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद से ही राज्य भर में गैर-गुजरातियों को स्थानीय लोग निशाना बना रहे हैं और सोशल मीडिया पर यूपी और बिहार के लोगों के खिलाफ घृणा संदेश फैलाए जा रहे हैं. यही नहीं मामले में राजनीति भी हो रही है. बीजेपी और कांग्रेस के लोग इसके लिए एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी भी कर रहे हैं.

Indien BJJD Proteste in Patna
तस्वीर: IANS

बीजेपी नेता हिंसा भड़काने के लिए कांग्रेस नेता अल्पेश ठाकोर पर आरोप लगा रहे हैं, जबकि अल्पेश ठाकोर को बार-बार सफाई देनी पड़ रही है कि उनका हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है. वहीं कांग्रेस राज्य सरकार पर स्थिति से ठीक से न निपट पाने का आरोप लगा रही है. जानकारों का कहना है कि पीड़ित बच्ची ठाकोर समुदाय से थी, बीजेपी नेताओं के निशाने पर इसीलिए अल्पेश ठाकोर आ गए हैं.

जानकारों का ये भी कहना है कि रेप का मामला गुजरात में कोई नया नहीं लेकिन तीन उत्तर भारतीय राज्यों में होने वाले चुनाव में राजनीतिक नफे-नुकसान के लिए इसे कुछ ज्यादा हवा दी जा रही है. अहमदाबाद के वरिष्ठ पत्रकार बीके पारिख कहते हैं, "रेप की घटना दो दिन पहले ही अहमदाबाद में भी हो चुकी है लेकिन वहां ऐसा कुछ नहीं हुआ. जिस तरह से बीजेपी हिंसा के लिए सीधे ठाकोर पर निशाना साध रही है, उससे इन घटनाओं की राजनीतिक मंशा को साफ समझा जा सकता है. अल्पेश ठाकोर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव हैं और उन्हें बिहार की जिम्मेदारी सौंपी गई है. ऐसे आरोपों के बाद उनका बिहार में जाना तक मुश्किल हो जाएगा.”

पारिख के मुताबिक, "हमला सिर्फ यूपी और बिहार के ही लोगों पर नहीं बल्कि सभी गैर-गुजरातियों पर हो रहा है. पूरे गुजरात में मध्य प्रदेश और राजस्थान के लोग भी बड़ी संख्या में रहते हैं, ऐसे में इन हमलों की आंच वहां तक भी पहुंच रही है. हमलों के पीछे कांग्रेस नेताओं का हाथ होने का आरोप लगाकर बीजेपी इन राज्यों में राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश करेगी.”

Indien Gastarbeiter verlassen Unterkünfte in Ahmedabad
तस्वीर: IANS

उधर कांग्रेस राज्य सरकार पर कानून व्यवस्था ठीक से न संभाल पाने का आरोप लगा रही है. कांग्रेस नेता मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के उस बयान को भी उछाल रहे हैं जिसमें पिछले महीने उन्होंने एक ऐसा कानून लाने की बात कही थी जिसके जरिए यहां के उद्योगों में ज्यादातर नौकरियां सिर्फ गुजरातियों को ही मिल सकें.

सूरत में करीब 25 साल से रहने वाले दिनेश यादव कहते हैं कि यूपी-बिहार वालों के खिलाफ ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा जैसा अब है. दिनेश यादव इंजीनियर हैं और उनकी केमिकल की एक फैक्ट्री है.

वो कहते हैं, "उत्तर भारतीय यहां सिर्फ मजदूरी ही नहीं करते हैं, बल्कि व्यापार में भी काफी दखल रखते हैं. प्रशासन में भी उनका दबदबा है. विरोध भले ही हो रहा है लेकिन यहां के लोग भी जानते हैं कि यदि इन्हें यहां से भागने को मजबूर किया गया तो राज्य की अर्थव्यवस्था और काम-काज ठप पड़ सकता है. दूसरे, इन राज्यों में रहने वाले गुजरातियों पर क्या बीतेगी, विरोध करने वाले शायद ये नहीं समझ रहे हैं.”

हालांकि पुलिस और प्रशासन ये भी कह रहा है कि यूपी और बिहार के तमाम लोग त्योहारों की वजह से अपने घरों को जा रहे हैं लेकिन एक तो त्योहार अभी दूर हैं, दूसरे लोग जिन हालात में घरों को छोड़कर जा रहे हैं, उससे साफ पता चलता है कि उन्हें अचानक भागना पड़ा है.

साबरकांठा के हिम्मतनगर में, जहां लड़की के साथ पिछले महीने रेप की घटना हुई, वहां एक लाख से ज्यादा बाहरी लोग रहते हैं. ये लोग ज्यादातर किराए के मकानों में रहते हैं और स्थानीय लोगों के मुताबिक ज्यादातर घरों में ताले लटक रहे हैं.

हिम्मतनगर में ही यूपी के जौनपुर के रहने वाले एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वो खुद अपने बच्चों के साथ पहले अहमदाबाद में रहने वाले किसी रिश्तेदार के यहां गए और फिर अपने गांव आ गए. उनके मुताबिक, "हम लोग तो अपना कीमती सामान औने-पौने दाम में बेचकर आ गए और छोटे-मोटे सामान तो छोड़ आए हैं. अब दोबारा वहां नहीं जाएंगे, यहीं कुछ काम-धंधा करेंगे.”

बताया जा रहा है कि गैर-गुजरातियों में इन हमलों का डर इस कदर हावी हो गया है कि लोग बीमारी की हालत में भी घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं. पुलिस लोगों की सहायता करने और विश्वास कायम करने की कोशिश लगातार कर रही है लेकिन पुलिस के भरोस की बजाय हमलावरों का डर उन पर कहीं ज्यादा हावी है.

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