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दुनिया में आठ करोड़ से ज्यादा युवा बेरोजगार

१२ अगस्त २०१०

पिछले साल विश्व भर में आठ करोड़ से ज्यादा युवा आर्थिक मंदी की वजह से बेरोजगारी का शिकार बने. आईएलओ ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा कि यह सामाजिक स्थिरता के लिए खतरनाक हो सकता है.

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तस्वीर: European Community, 2004

पिछले साल 15 से लेकर 24 साल के युवाओं में 13 प्रतिशत के पास नौकरी नहीं थी. 2007 में बेरोजगार युवाओं की संख्या सात करोड़ 30 लाख थी.

संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन आईएलओ की रिपोर्ट 'वैश्विक बेरोजगारी प्रवृत्तियां' की लेखक सारा एल्डर के मुताबिक इससे पहले कभी भी इतने युवा बेरोजगार नहीं थे. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आर्थिक मंदी से राहत के बाद युवाओं को अनुभवी लोगों के मुकाबले कम नौकरियां मिलने की आशंका है. आईएलओ निदेशक खुआन सोमाविया कहते हैं कि आर्थिक विकास मे युवाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका है. अगर इन्हें भुला दिया जाता है तो समाज में अस्थिरता पैदा हो सकती है. रिपोर्ट के लेखकों ने इस बात पर जोर दिया है कि शिक्षा और पेशेवर कुशलता से युवाओं को पहले से कम फायदा हो रहा है. साथ ही वेतन और काम की परिस्थितियों के स्तर में गिरावट आई है. एल्डर ने पत्रकारों से कहा कि युवा सब कुछ सही कर रहे हैं, लेकिन "सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं."

रिपोर्ट में कहा गया है कि विकसित और विकासशील देशों के युवा रोजगार परिस्थितियों से इतने हताश हो गए हैं कि वे नौकरियां छोड़ रहे हैं. एल्डर एक 'खोई हुई पीढ़ी' की बात कर रही हैं, जो श्रम बाजार से बाहर निकल रही है. विकासशील देशों में दुनिया के 90 प्रतिशत युवा रहते हैं. इनमें से ज्यादातर युवाओं को अपनी काबिलियत से कम स्तर वाली नौकरियां मिलती हैं.

विकसित देशों में दुनिया के 10 प्रतिशत युवा रहते हैं लेकिन इनकी बेरोजगारी भी दो सालों में 45 प्रतिशत बढ़ गई है. सबसे ज्यादा असर स्पेन, लातविया, लिथुएनिया और एस्तोनिया पर पड़ा है. अमेरिका के युवाओं में बेरोजगारी 18 प्रतिशत तक पहुंच गई है.

आईएलओ ने सरकारों से अपील की है कि वे युवा बेरोजगारी को कम करने के लिए सहयोग करते रहें. एल्डर का कहना है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसके नतीजे खतरनाक हो सकते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादनः एन रंजन