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परिकथा सी क्लाइस्टर्स की जीत

१४ सितम्बर २००९

अब से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि डेढ़ साल की किसी बच्ची ने अपनी मां के साथ न्यू यॉर्क के फ्लशिंग मीडोज़ में पहुंच कर अमेरिकी ओपन कप को चूम लिया हो. किम क्लाइस्टर्स का अमेरिकी ओपन ख़िताब कोई मामूली जीत नहीं रही.

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मां बनना सबसे महान अनुभवतस्वीर: AP

टेनिस की दुनिया 26 साल की किम क्लाइसटर्स के जज़्बे को तो सलाम कर ही रही थी लेकिन नज़रें घुंघराले बालों वाली उस बच्ची पर टिकी थीं, जो फ्लशिंग मीडोज़ में अपनी मां की बाहों में समा उस अद्भुत सुनहरे कप को देख रही थी. टेनिस इतिहास में यह पहला मौक़ा है, जब किसी मां ने अमेरिकी ओपन ग्रैंड स्लैम ख़िताब जीता हो. क्लाइसटर्स कभी ट्रॉफ़ी तो कभी अपनी बेटी जाडा एली को देखती रह गईं. उन्हें यक़ीन ही नहीं हो पा रहा था कि उन्होंने एक परिकथा को सच कर दिखाया है.

Kim Clijsters US Open Tennis Trophäe
अद्भुत और सुनहरी जीततस्वीर: AP

लगभग ढाई साल पहले परिवार चलाने के लिए क्लाइस्टर्स ने टेनिस को अलविदा कह दिया. लेकिन पिछले महीने उनका मन कोर्ट में लौटने को मचल उठा और अमेरिकी ओपन के आयोजकों ने उन्हें ग्रैंड स्लैम में वाइल्ड कार्ड इंट्री भी दे दी. फिर तो बेल्जियम की क्लाइस्टर्स ने पीछे मुड़ कर देखा ही नहीं. वीनस विलियम्स, सेरेना विलियम्स सरीखी टॉप खिलाड़ियों को रौंदती हुई वह सीधी फ़ाइनल में पहुंच गईं.

फ़ाइनल में क्लाइस्टर्स का मुक़ाबला डेनमार्क की कैरोलीन वोज़नियाकी से था, जिसे उन्होंने सीधे सेटों में 7-5, 6-3 से धूल चटा दी. क्लाइस्टर्स ने एक ऐतिहासिक मैच अपने नाम कर लिया और टेनिस के इतिहास में अपना नाम हमेशा के लिए दर्ज करा लिया. क्लाइस्टर्स ने सिर्फ़ 35 दिन पहले ही तो टेनिस में लौटने का फ़ैसला किया था.

लाजवाब कामयाबी के बाद नम आंखों से क्लाइस्टर्स ने अमेरिकी जनता का शुक्रिया अदा किया और बताया कि इस मैच के लिए उन्होंने अपनी बेटी के सोने का वक्त बदल दिया. क्लाइस्टर्स ने कहा, "हमने कोशिश की कि वह बाद में सोए ताकि यहां आ सके. मां बनना दुनिया का सबसे अच्छा अनुभव है."

टेनिस दुनिया के महानतम खिलाड़ी रोजर फ़ेडरर ने भी क्लाइस्टर्स की इस जीत को अद्भुत बताया है. उन्होंने कहा कि महिला टेनिस के लिए यह एक महान कहानी है. फ़ेडरर ख़ुद जुड़वां बच्चों के पिता हैं और एक मां के बाद अब सोमवार को वह साबित करना चाहेंगे कि कोई पिता भी ग्रैंड स्लैम जीत सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः प्रिया एसेलबॉर्न