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एयरबस के सौदे पर विवाद

अनवर जमाल अशरफ़१ मार्च २००८

अमेरिकी वायु सेना का एक विशालकाय सौदा यूरोप की कंपनी को दिए जाने से ख़ासा विवाद खड़ा हो गया है। बोइंग इसके ख़िलाफ़ क़दम उठाने की तैयारी कर रही है।

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सबसे बड़ा यात्री विमान बनाती है एयरबस
सबसे बड़ा यात्री विमान बनाती है एयरबसतस्वीर: AP

अमेरिकी वायु सेना के एक विशाल सौदे पर विवाद छिड़ गया है। 40 अरब डॉलर यानी क़रीब 160 अरब रुपये के सौदे में अमेरिकी बोइंग की जगह यूरोपीय कंपनी ईड्स के बने एयरबस विमानों का इस्तेमाल किया जाएगा। अमेरिका के कई सांसद इसका विरोध कर रहे हैं और बोइंग इसे नाइंसाफ़ी बता रहा है। दूसरी तरफ़ एयरबस के मालिक और नॉर्थरॉप ग्रुमन पंद्रह साल तक चलने वाले ठेके से बेहद ख़ुश हैं।

KC 45 टैंकर विमान लगभग 50 साल पुराने पड़ चुके बोइंग के KC 135 विमानों की जगह लेंगे। बोइंग ने बड़े विमान 767 का प्रस्ताव रखा था तो ईड्स ने छोटे एयरबस A330 का। वायु सेना ने एयरबस के नाम पर मुहर लगाई। समझा जाता है कि अमेरिका सुरक्षा से जुड़े दूसरे उपकरण लगाने का काम देश से बाहर नहीं भेजना चाहता, इसलिए इसका ज़िम्मा अमेरिकी कंपनी नॉर्थरॉप ग्रुमन को दिया गया है।

एयरबस बनाने वाली कंपनी ईड्स सौदे से बेहद ख़ुश है। ईड्स के सीईओ लुई गुलआं ने कहा कि अमेरिकी बाज़ार में ये उनकी शानदार सफलता है। बोइंग को पछाड़ देना बड़ी बात है और उन्हें सफलता पर गर्व है।

ईड्स यूरोपीय देशों की मिली जुली कंपनी है। विमान के पुर्ज़े फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और इंग्लैंड में बनते हैं। फिर इन्हें फ्रांसीसी शहर टुलूस के हेडक्वार्टर में ले जाकर जोड़ा यानी एसेम्बेल किया जाता है। जर्मनी में एरोस्पेस उद्योग के सरकारी समन्वयक पीटर हिन्ज़ ने इस सौदे को एयरबस के लिए मील का पत्थर बताया है।

हालांकि इस सौदे के तहत विमान अमेरिकी प्रांत अलाबामा में एसेम्बल किए जाएंगे। अलाबामा के रिपब्लिकन नेता रिचर्ड शेलबी को ख़ुशी है कि इससे उनके प्रांत में लोगों को रोज़गार मिलेगा। लेकिन रिपब्लिकन सीनेटर सैम ब्राउनबैक जैसे कई नेता सौदे से नाराज़ हैं। रिपब्लिकन टॉड टायर्ट का कहना है कि अमेरिकी विमान अमेरिका में ही बनना चाहिए। हालांकि वायु सेना के एयर मोबिलीटी कमांड प्रमुख जनरल आर्थर जे लिश्टे ने कहा कि विमान पर अधिकार तो अमेरिका का ही होगा।

बोइंग के कुछ कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया है और कंपनी वायु सेना से सफ़ाई मांगने की तैयारी कर रही है। दरअसल, क़रीब छह साल पहले ऐसा ही एक सौदा बोइंग को दिया गया था। बाद में धांधली की बात सामने आने पर इसे रद्द कर दिया गया। बोइंग को 61 करोड़ डॉलर की रक़म भरनी पड़ी और इससे जुड़े कई लोगों को जेल जाना पड़ा।