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स्मार्टफोन पर बढ़े साइबर हमले

७ सितम्बर २०१२

स्मार्टफोन जैसे जैसे लोकप्रिय होते जा रहे हैं, साइबर गुंडों का लक्ष्य भी बनते जा रहे हैं. ऑनलाइन सुरक्षा कंपनियों का कहना है कि स्मार्टफोन के लोगों की जिंदगी के केंद्र में आने के साथ वे अपराधियों का शिकार भी बन रहे हैं.

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तस्वीर: Reuters

सिमैंटेक की ताजा नॉर्टन साइबर अपराध रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल मोबाइल फोन और सोशल नेटवर्क पर इस तरह के अपराधों में वृद्धि हुई है और इनके कारण उपभोक्ताओं का 110 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. नॉर्टन इंटरनेट सुरक्षा की मारियान मेरिट का कहना है, "साइबर अपराधी अपनी रणनीति बदल रहे हैं और तेजी से बढ़ रहे मोबाइल प्लैटफॉर्म और सोशल नेटवर्क को निशाना बना रहे हैं, जहां उपभोक्ता सुरक्षा जोखिमों के प्रति कम सचेत हैं."

लुकआउट मोबाइल सिक्योरिटी कंपनी का कहना है कि दुनिया भर में पिछले साल स्मार्टफोन मालवेयर का इस्तेमाल कर लोगों के करोड़ों डॉलर चुराए गए. टॉल फ्रॉड वायरस इसका सबसे लोकप्रिय टूल रहा. ये प्रोग्राम स्मार्टफोन से बोगस प्रीमियम टेक्स्ट मैसेज भिजवाता है, जिसकी फीस सर्विस प्रोवाइडर के बिल में जुड़ जाती है. अंत में यह पैसा वायरस पहुंचाने वालों तक पहुंच जाता है.

टॉल फ्रॉड प्रोग्राम इस तरह बना है कि उसे पकड़ा नहीं जा सकता और बिना ध्यान में आए बिल बढ़ता रहता है.

IFA 2012 - Smartphone als TV-Fernbedienung
तस्वीर: DW

ढ़ाई करोड़ ग्राहकों वाली कंपनी लुकआउट का कहना है कि पिछले 12 महीनों में टॉल फ्रॉड वायरस वाले मोबाइल फोन की संख्या 29 फीसदी से बढ़कर 62 फीसदी हो गई है. कंपनी के सीनियर प्रोडक्ट मैनेजर डेरेक हैलीडे कहते हैं, "मोबाइल मालवेयर उद्योग बालिग हो गया है और वह लाभ देने वाला बिजनेस मॉडेल बन गया है." उनका कहना है कि टॉल फ्रॉड सबसे ज्यादा पाया जाने वाला मालवेयर है.

मोबाइल फोन में मालवेयर आने का सबसे ज्यादा खतरा पूर्वी यूरोप के देशों के अलावा रूस और चीन के उपभोक्ताओं को है जहां स्मार्टफोन यूजर भरोसेमंद ऑनलाइन शॉप के बदले अनौपचारिक सूत्रों से ऐप खरीदते हैं.आम तौर पर फाइल शेयरिंग साइटों या डिसकशन फोरम पर वायरस वाले ऐप उपलब्ध कराए जाते हैं. इसके अलावा सोशल नेटवर्क पर भेजे गए मैसेज के जरिए भी मालवेयर भेजे जाते हैं.

इस बीच मालवेयर को डेवलप करने और उन्हें उपभोक्ताओं तक भेजने की पूरी संरचना बन गई है. लुकआउट के हैलीडे कहते हैं, "बुरे लोग अपनी डिस्ट्रीब्यूशन तकनीक को बेहतर बनाने और बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं. साइबर अपराधी ऐसे प्रोग्राम भी बना रहे हैं, जो वायरस वाले ऐप्स की रेटिंग बढ़ाकर मासूम यूजर को धोखा देना चाहते हैं.

स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले एक तिहाई यूजरों को लिंक वाले टेक्स्ट मैसेज मिले हैं और अनजान लोगों ने उनसे लिंक को क्लिक करने या दिए गए नंबर पर टेलिफोन करने को कहा है. नॉर्टन रिपोर्ट के अनुसार 20 फीसदी वयस्क ऑनलाइन यूजरों का कहना है कि वे सोशल नेटवर्क पर या मोबाइल फोन पर साइबर अपराध के शिकार हुए हैं. हैलीडे कहते हैं, "हमारा मानना है कि मोबाइल पर सुरक्षा संभव है. इसके लिए ऐप डाउनलोड करते समय सावधानी बरतने और कम्प्यूटर जैसे खतरों पर ध्यान देने की जरूरत है."

एमजे/एजेए (एएफपी)