दंगों में कोडनानी को 28 साल की कैद
३१ अगस्त २०१२अदालत ने पिछले दिनों ही कोडनानी सहित 32 लोगों को दोषी करार दिया था और शुक्रवार को सजा के लिए दिन तय कर दिया था. लगभग 10 साल तक चले मुकदमे की सजा सुनने के लिए अहमदाबाद की विशेष अदालत के सामने हजारों लोग जमा हुए. यह मामला अहमदाबाद शहर के पास स्थित नरोदा पाटिया इलाके का है, जहां 90 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी गई थी.
सजा सुनाए जाते समय ज्यादातर पीड़ित परिवारों के रिश्तेदार अदालत से दूर ही रहे. कुछ जगहों से रिपोर्टें हैं कि अदालती फैसले के बाद मुसलमानों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं और वे दूर चले गए. उन्हें इस बात का खतरा है कि कट्टरपंथी शक्तियां उनके खिलाफ आग उगल सकती हैं.
फैसले के बाद सरकारी वकील अखिल देसाई ने बताया, "अदालत ने आज सजा सुना दी. फैसले के मुताबिक मायाबेन को 28 साल सीखचों के पीछे गुजारने होंगे."
गुजरात की मौजूदा विधायक और 2007 से 2009 के बीच राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री रह चुकी कोडनानी दंगों में सजा पाने वाली पहली हाई प्रोफाइल नेता हैं. सरकारी वकील ने सभी 32 लोगों को मौत की सजा देने की सिफारिश की थी. हालांकि भारत में आम तौर पर मृत्युदंड नहीं दिया जाता है. अदालत ने फैसले में इन्हें 14 से 28 साल तक की सजा सुनाई है.
नरोदा पाटिया हत्याकांड में कोडनानी ने ही हत्या की साजिश रची थी और उसे बजरंग दल के बाबू बजरंगी का सहयोग हासिल हुआ था. बजरंगी को मृत्युपर्यंत कारावास की सजा हुई. बीजेपी नेता को दो अलग अलग सजा मिली. पहली सजा के तहत हत्या और आपराधिक साजिश के लिए उसे साल की जेल हुई, जबकि आगजनी के लिए 10 साल की सजा हुई. अदालत ने कहा कि दोनों सजा एक साथ नहीं चलेगी, जिसका मतलब कोडनानी को 28 साल जेल में बिताने होंगे.
कोडनानी को सजा मिलने से बीजेपी, खास तौर पर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की स्थिति बहुत खराब हुई है, जो बार बार दावा करते हैं कि गुजरात दंगों में उनकी, उनके सरकार की या उनकी पार्टी की कोई भूमिका नहीं थी. हालांकि कोडनानी गुजरात दंगों के वक्त मंत्री नहीं थीं लेकिन उन्हें बाद में मोदी ने मंत्री बना दिया था. मोदी पर भी लगातार दंगों में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं, हालांकि वह इससे इनकार करते हैं. कुछ जगहों पर उन्हें 2014 में बीजेपी का प्रधानमंत्री पद का दावेदार भी बताया जा रहा है.
गुजरात दंगों के दौरान 28 फरवरी, 2008 को नरौदा पाटिया में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस बात का आरोप साबित हो चुका है कि मायाबेन कोडनानी और बाबू बजरंगी ने भीड़ को उत्तेजित कर लोगों की हत्या कराई. इसके बाद 94 लोगों की लाश मिली, जिनमें से 84 की ही शिनाख्त हो पाई. तीन लोगों का आज तक पता नहीं लग पाया है.
वकीलों की राय थी कि यह दुर्लभतम मामलों में है और इसलिए आरोपियों को मौत की सजा मिलनी चाहिए. लेकिन अदालत ने किसी को मौत की सजा नहीं सुनाई.
दस साल पहले 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिसमें 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. सबसे पहले गोधरा ट्रेन स्टेशन पर कारसेवकों से भरी एक ट्रेन में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोग मारे गए, जिनमें 25 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल थे. इसके बाद पूरे गुजरात में हिंसा भड़क उठी, जिनमें आम तौर पर मुसलमानों को निशाना बनाया गया.
एजेए/एमजे (रॉयटर्स, बीजेपी)