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कोलगेट पर चिदंबरम का पलटवार

२४ अगस्त २०१२

संसद के चौथे दिन भी ठप्प रहने के बाद वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने विपक्ष से अपील की है कि सोमवार को संसद की कार्रवाई नियमित रूप से होने दें ताकि प्रधानमंत्री इस मामले में अपना बयान दे सकें और फिर इस पर बहस शुरू की जा सके.

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तस्वीर: Reuters

चिदंबरम ने कहा कि विपक्ष संसद की कार्रवाई में सहयोग नहीं दे रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि 1994 से कोयले के आवंटन को से लेकर यूपीए सरकार को बिना बात ही निशाना बनाया जा रहा है. सीएजी रिपोर्ट में 1.86 लाख करोड़ रुपयों के घोटाले की बात है. चिदंबरम ने इसे खारिज करते हुए कहा, "जिस नुक्सान की बात की जा रही है, मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि यह गलत है."

चिदंबरम ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट में जिन 57 खानों की बात की जा रही है उनमें से 56 से अब तक कोयला निकाला ही नहीं गया है, "अगर कोयले को खान से निकाला ही ना जाए, वह धरती में ही दबा रहे, तो नुकसान कहां है. नुकसान तभी हो सकता है अगर उसे धरती से बाहर निकला जाए और फिर गलत दामों पर बेचा जाए."

विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा, "एक ऐसी सरकार जिसने नीतियों को सफलतापूर्वक बदला, हालांकि उसे ऐसा करने में वक्त लगा, उस सरकार को एक ऐसी नीति के लिए दोषी करार दिया जा रहा है जो यूपीए के बनने से पहले ही रूप ले चुकी थी. तो अगर हम कुछ ना करते, तो गलती हमारी होती. अगर हमने कुछ बदलाव लाने की कोशिश की, तब भी गलती हमारी ही है. क्या हम ऐसे मानदंडों के साथ काम करेंगे?"

वहीं बीजेपी अपने रुख पर कायम है कि प्रधानमंत्री इस्तीफा दें. इस बारे में चिदंबरम ने कहा, "अगर आप प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं तो मुझे नहीं लगता कि आप और कुछ भी मांग सकते हैं. उन्होंने (बीजेपी) ने कुछ ज्यादा ही ऊंची मांग रखी है. कम से कम उन्हें इतनी शालीनता दिखानी चाहिए कि एक बार प्रधानमंत्री का बयान सुन लें."

प्रधानमंत्री का पक्ष लेते हुए चिदंबरम ने कहा कि वह सवालों का सामना करने के लिए तैयार हैं बशर्ते उन्हें इसका मौका दिया जाए, "हम इस बात से निराश हैं कि विपक्ष और खास तौर से बीजेपी संसद की कार्रवाई नहीं करने दे रही है और मामले पर संसद में बहस करने से बच रही है. सरकार सीएजी समेत हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है. हम पहले ही कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री बयान देने के लिए तैयार हैं और उस से जितने सवाल उठेंगे उनका जवाब देने के लिए भी."

बीजेपी नेताओं एलके आडवानी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, गोपीनाथ मुंडे और शाहनवाज हुसैन ने संसद भंग किए जाने के बाद बैठक की. एक सूत्र ने कहा कि पार्टी तब तक अपने रुख पर अड़ी रहेगी जब तक उसकी मांगें पूरी नहीं हो जाती.

आईबी/एएम (पीटीआई)