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धान की नई किस्म से किसानों की होगी चांदी

२४ अगस्त २०१२

किसानों के लिए अच्छी खबर है. वैज्ञानिकों ने चावल की नई किस्म विकसित की है. फॉस्फोरस की कमी वाली मिट्टी में भी इसका 20 गुना ज्यादा उत्पादन हो सकता है. वो भी बिना किसी रासायनिक खाद के इस्तेमाल के.

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तस्वीर: AP

वैज्ञानिकों के मुताबिक धान की ये आधुनिक किस्में तैयार की गई हैं क्रॉस ब्रीडिंग से. इनको तैयार करने के लिए पुराने तौर-तरीकों इस्तेमाल किया गया. जेनेटिक इंजीनियरिंग के बगैर धान की इतनी उन्नत किस्म किसानों के लिए वाकई काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. इससे भारत से लेकर अमेरिका और चीन से लेकर फिलीपींस तक के किसान लाभान्वित होंगे.

चावल की इस उन्नत किस्म की खोज की है अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान फिलीपींस के वैज्ञानिकों ने.

अगले हफ्ते भारत, बांग्लादेश और थाईलैंड में चावल का उत्पादन करने वाले किसानों को इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी. मनीला से फोन पर बात करते हुए इस प्रोजेक्ट से जुड़ी हुई सिग्रिड हॉयर ने बताया, "इससे मुझे कम से कम 20 प्रतिशत ज्यादा उत्पादन की उम्मीद है. लेकिन ये बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि मिट्टी किस तरह की है."

कई जगह मिट्टी में फॉस्फोरस इतना ज्यादा जुड़ा होता है कि धान को इसका कोई फायदा नहीं होता. इसीलिए किसानों को ऊपर से फॉस्फोरस का छिड़काव करना होता है. हालांकि गरीब देशों के किसान इसकी व्यवस्था नहीं कर पाते. इसका मतलब ये होता है कि जिस दौर में पौधों को खरपतवार से लड़ना होता है वो उसी दौर में कमजोर हो जाता है. तो उत्पादन कम हो जाता है.

फॉस्फोरस की कमी के बावजूद ज्यादा उत्पादन की दिशा में खोज 1990 में ही शुरु हो गई थी. भारत में होने वाला धान कसालाथ फॉस्फोरस की कमी के बाद भी अच्छी पैदावार देता था. पर इस दिशा में अगला जीन विकसित करने में करीब एक दशक लग गया. हॉयर कहती हैं, "पिछले डेढ़ साल के दौरान हमें लगने लगा था हम जीन विकसित करने में सफल हो गए हैं लेकिन इसको साबित करने के लिए हमें कई प्रयोग करने पड़े. " ऐसा नहीं है कि चावल की इस किस्म का फायदा केवल गरीब देश के किसानों को ही मिलेगा. इसके इस्तेमाल से अमीर देश के किसान भी लाभ उठा सकेंगे क्योंकि बिना ज्यादा खाद के इस्तेमाल के किसानों को ज्यादा उत्पादन मिले.

वीडी/एएम (एएफपी)

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