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अफ्रीका को अब दोगुना कर्ज देगा चीन

१९ जुलाई २०१२

अफ्रीका के साथ रिश्तों की बढ़ती अहमियत को देखते हुए चीन ने 20 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज देने का एलान किया है. चीनी कंपनियों ने भी अफ्रीका में जिम्मेदारी के साथ काम करने का एलान किया है.

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तस्वीर: Reuters

पिछले 15 सालों में चीन लगातार अफ्रीका में पैसा बहा रहा है. प्राकृतिक संपदा से भरपूर अफ्रीका से फायदा उठाने के लिए चीन 2009 से ही इस महादेश का सबसे बड़ा कारोबारी साझीदार बना हुआ है. हालांकि उसके तेजी से बढ़ते कदमों ने स्थानीय लोगों के साथ संघर्ष को भी न्यौता दिया है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि चीनी कंपनियां अपने मजदूर खुद लेकर आती हैं, यहां के श्रम कानूनों को तोड़ती हैं और स्थानीय कर्मचारियों के साथ बुरा सलूक करती हैं.

चीन अफ्रीका सहयोग फोरम की बीजिंग में बैठक के दौरान चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ ने अफ्रीका को दिए जाने वाले कर्ज की रकम दुगुनी करने का एलान किया. तीन साल पहले 2009 में जितनी रकम कर्ज के रूप में दी गई थी उसकी दुगुनी रकम अगले तीन सालों के लिए दी जाएगी. राष्ट्रपति जैकब जूमा और केन्या के प्रधानमंत्री रायला ओडिंगा समेत दक्षिण अफ्रीका के नेताओं को संबोधित करते हुए हू जिंताओ ने कहा कि अफ्रीका को मिलने वाले कर्ज से बुनियादी ढांचा, उत्पादन और छोटे उद्योगों के विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जाएगा.

China Afrika Engagement
तस्वीर: AP

राष्ट्रपति जिंताओ ने कहा, "चीन और अफ्रीका की किस्मत करीब से जुड़ी है. चीन औऱ अफ्रीकियों की दोस्ती की जड़ें दोनों तरफ के लोगों के दिलों में बहुत गहराई तक जमी हुई हैं. चीन पूरे मन से अफ्रीकी देशों को विकास के रास्ते पर चलने में सहयोग कर रहा है और उन्हें स्वतंत्र रूप से विकसित करने में मदद करेगा." हू जिंताओ ने अफ्रीकी छात्रों और पेशेवर लोगों के लिए स्कॉलरशिप और ट्रेनिंग देने का भी वादा किया. इसके साथ ही स्वास्थ्य, सीमा शुल्क, आबकारी और अफ्रीकी यूनियन के लिए वित्तीय मदद देने का भी भरोसा दिया गया.

दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जूमा ने अफ्रीकी देशों को बराबरी का दर्जा दिए जाने पर चीन को धन्यवाद किया. साथ ही इस बात के लिए सावधान भी किया कि गैरबराबरी का कारोबारी रिश्ता ज्यादा लंबे समय तक नहीं चल सकता, जिसमें अफ्रीका की भूमिका केवल कच्चे माल की सप्लाई तक सीमित होगी. जूमा ने कहा, "अफ्रीका का यूरोप के साथ पुराना आर्थिक अनुभव इस बात के लिए मजबूर करता है कि दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के साथ साझीदारी करने में सावधान रहा जाए."

अफ्रीका का समृद्ध प्राकृतिक संसाधन चीन को निर्यात होने वाला प्रमुख सामान है. चीन को तेजी से आर्थिक विकास के लिए खनिज और ईंधन की जरूरत है. अफ्रीका चीन से यांत्रिक और बिजली के उपकरण का आयात करता है. एशियाई दिग्गज चीन और अफ्रीकी महादेश के बीच कारोबार पिछले साल 166.3 अरब अमेरिकी डॉलर तक जा पहुंचा है. एक दशक पहले यह 20 अरब डॉलर से भी कम था. किसी समय चीन यहां बस कच्चे संसाधन की खोज और बुनियादी निर्माण में ही दिलचस्पी दिखा रहा था लेकिन अब उसने महादेश की संस्थाओं और सरकारों में भी निवेश करना शुरू कर दिया है. फोरम में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून भी मौजूद थे. उन्होंने कहा, सहयोग करके चीन, "अफ्रीकी देशों के लिए मौके तैयार कर रहा है कि वो अपनी अर्थव्यवस्था को विस्तार दे सकें, नौकरियां पैदा कर सकें और अपने देश में स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा को सुधार सकें."

China Afrika Engagement
तस्वीर: AP

हालांकि हाल के वर्षों में चीन के प्रति विरोध का भाव भी बड़ी तेजी से बढ़ा है. यहां तक कि जाम्बिया के मौजूदा राष्ट्रपति ने इसी विरोध को भुना कर 2011 में चुनाव में जीत हासिल की. गुरुवार को चीन की सरकारी कंपनियों ने एक घोषणा पत्र पर दस्तखत कर कहा कि वो अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाएंगे. कंपनियों ने स्थानीय तौर तरीकों का सम्मान करने, ज्यादा टैक्स देने और पर्यावरण की रक्षा करने की भी शपथ ली है.

एनआर/एमजे (एएफपी)

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