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71 के युद्ध अपराधियों के खिलाफ बांग्लादेश में सुनवाई

१० अगस्त २०११

बांग्लादेश की एक विशेष अदालत ने 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जुल्म करने के आरोपों में एक इस्लामी नेता के खिलाफ सुनवाई शुरू कर दी है. पिछले साल ही बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्राइब्यूनल का गठन किया गया.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

ट्राइब्यूनल के सामने पहला मामला दिलावर हुसैन सइदी का आया है. 71 साल के सइदी बांग्लादेश की सबसे बड़ी धार्मिक राजनीतिक पार्टी जमात ए इस्लामी के नेता हैं. उन पर 50 से ज्यादा लोगों की हत्या, गांवों को जलाने, बलात्कार, लूटमार और जबर्दस्ती हिंदुओं का धर्मांतरण कराने के आरोप हैं.

शुरू होते ही टली सुनवाई

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तस्वीर: picture alliance/dpa

ढाका में अदालती कार्रवाई के पहले दिन जज निजामुल हक ने सुनवाई शुरु करने के कुछ ही देर बाद ही उसकी अगली तारीख तय कर दी. अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी और उसी दिन सइदी के खिलाफ आरोपों को औपचारिक रूप से सुनाया जाएगा.

हालांकि सईद के वकील इससे खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि उन्हें अगली सुनवाई की तैयारी करने के लिए और ज्यादा समय की जरूरत है. वकीलों के मुताबिक अभियोजन पक्ष की तरफ से दिए गए दस्तावेज 'वैध' नहीं हैं. सइदी के वकील तनवीर अहमद अल अमीन ने बताया, "नई तारीख से भी हमें पर्याप्त समय नहीं मिला है. हमने आठ सप्ताह का समय मांगा था. अभियोजन पक्ष को तैयारी के लिए कई महीने का समय मिला जबकि हमें बस कुछ ही हफ्ते. यह व्यवहारिक नहीं है. हमारे पास अपने मुवक्किल से अगली सुनवाई से पहले बात करने के लिए बस एक दिन का समय होगा." अदालत की कार्रवाई के दौरान वहां बुधवार को सइदी भी मौजूद थे. उन्हें जून 2010 से ही पुलिस हिरासत में रखा गया है. उनके साथ जमात से जुड़े युद्ध अपराधों में शामिल चार और संदिग्ध भी हैं. इनके अलावा बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) के दो सदस्य भी शामिल हैं. कुछ और संदिग्धों पर भी आरोप लगाए जाने हैं और इनके खिलाफ सुनवाई में कई महीने लगेंगे.

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तस्वीर: Public domain

40 साल पुरानी बात

पाकिस्तान से अलग होने के लिए 1971 में बांग्लादेश में जो स्वतंत्रता संग्राम हुआ उस दौरान इस्लामी नेताओं ने अल्पसंख्यक लोगों के खिलाफ हिंसक अभियान चलाए. इसी तरह के मामलों की सुनवाई के लिए बांग्लादेश में पिछले साल ट्राइब्यूनल का गठन किया गया. बाग्लादेश पहले पाकिस्तान का हिस्सा था जिसे आजादी के पहले तक पूर्वी पाकिस्तान के नाम से पुकारा जाता था. आजादी के लिए कई साल तक संग्राम चला जिसमें लाखों लोगों की मौत हुई.

प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार के मुताबिक आजादी की लड़ाई के दौरान करीब 30 लाख लोगों की मौत हुई. इनमें से बहुतों की हत्या तो उन बांग्लादेशियों ने ही की जो पाकिस्तानी फौज से मिल गए थे. शेख हसीना आजादी के नायक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं जो 1975 के तख्तपलट के दौरान मारे गए.

ट्राइब्यूनल का विरोध

बांग्लादेश के विपक्षी नेताओं ने इस ट्राइब्यूनल को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि यह "दिखावे के लिए" है जो उनकी (प्रधानमंत्री की) महत्वाकांक्षा के लिए गठित किया गया है. विपक्षी नेताओं का यह भी कहना है कि जिन लोगों को युद्ध अपराधी के रूप में दिखाया जा रहा है वे सभी विपक्ष के नेता हैं.

मानवाधिकार पर नजर रखने वाली न्यूयॉर्क की संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि ट्राइब्यूनल ने संदिग्धों पर अभियोग लगाने के लिए जो नियम बनाए हैं वे अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के मुताबिक नहीं हैं.

खून में डूबी आजादी

1971 में बांग्लादेश की आजादी की जंग ने तब जोर पकड़ा जब पाकिस्तान के ऑपरेशन सर्चलाइट में ढाका में 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए. पाकिस्तान की तरफ से यह क्रूर ऑपरेशन उन बांग्लादेशी लोगों के खिलाफ शुरू किया गया जो आजादी की मांग कर रहे थे. इस दौरान हुई हत्याओं और फिर सैनिक कार्रवाई ने लोगों के मन में आजादी के आंदोलन के लिए उत्साह भर दिया. पाकिस्तान की सैनिक कार्रवाई के दौरान कथित रूप से बलात्कार और जुल्मों की दास्तान ने लोगों के मन में आक्रोश और भड़काया.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए कुमार

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