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30 साल तक महसूस की टीस

विनोद चड्ढा७ नवम्बर २०१४

चाहे राजनैतिक मुद्दे हो या विज्ञान सम्बन्धी जानकारियां, या फिर हो मंथन, हमें सभी रिपोर्टों पर पाठकों से प्रतिक्रियाएं मिलती हैं.

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Bernauer Straße - Berliner Mauerweg
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Paul Zinken

12 और 13 अगस्त 1961 को अपने आर्थिक और राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए पूर्वी जर्मनी द्वारा खड़ी की गई बर्लिन दीवार ने न सिर्फ बर्लिन शहर के साथ पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी को बांटा बल्कि हर इंसान की जिंदगी और इंसानी रिश्तों को भी बांट दिया. रिश्तों और आजादी के बीच खड़ी बर्लिन दीवार की यह टीस जर्मन वासियों ने लगभग 30 साल तक महसूस की. शायद इसीलिए हजारों जर्मन वासियों ने 9 नवम्बर 1989 को वर्षों का यह फासला कुछ ही देर में बर्लिन दीवार गिराकर हमेशा-हमेशा के लिए मिटा दिया. बर्लिन दीवार गिराने की यह शांतिपूर्ण क्रांति, जीत थी लोगों के विश्वास की, यह जीत थी लोगों के प्यार की, यह जीत थी आत्मीयता के रिश्ते की, यह जीत थी इन्सानी जज्बात, लोगों की एकता, उनकी आजादी और जर्मन एकीकरण की, क्योंकि इसके साथ ही 3 अक्तूबर 1990 को उदय हुआ जर्मन एकीकरण का और एक नई जर्मनी का. बर्लिन दीवार गिरने के 25 साल होने के अवसर पर कई सार्थक और सटीक रिपोर्टे पढ़ने को मिली डॉयचे वेले की हिन्दी वेबसाइट पर, इसके लिए हार्दिक आभार, साथ ही बर्लिन वाल गिरने की 25वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं. आबिद अली मंसूरी, देशप्रेमी रेडियो लिस्नर्स क्लब, बरेली, उत्तर प्रदेश

हड़ताल आमतौर पर कर्मचारी की मांगों को हासिल करने के लिए,नियोक्ता द्वारा उनकी मांगों की स्वीकृति को मजबूर करने के लिए सामूहिक,संगठित एक हथियार है. हड़ताल की घटना विश्व की विकासशील और अविकसित देशों के लिए बहुत आम घटना है, लेकिन मांगों को हासिल करने के लिए विकसित देशों के कर्मचारी भी हड़ताल को हथियार बना रहे हैं, जिसका उदाहरण है हाल ही में जर्मनी की हवाई एवं रेल परिवहन व्यवस्था में हड़ताल. परिणाम है आम लोगों को असुविधा और देश के राजस्व का नुकसान. 'जर्मनी में रेल धर्मघट' के बारे में प्रतिवेदन से यह जानकारी प्राप्त कर इस विषय पर नई रोशनी मिली. अच्छा लगा 'दुनिया के 10 सबसे ताकतवर शख्स' शीर्षक चित्रों के साथ उपस्थापना से विस्तृत जानकारी मिली. सुभाष चक्रबर्ती, नई दिल्ली

अविवाहित महिला मुक्केबाजों का जबरन कराया गया प्रेग्नेंसी टेस्ट रिपोर्ट पर अनिल द्विवेदी लिखते हैं मुक्केबाजी गर्भवती महिलाओं के लिए संवेदन शील खेल है. यदि सबकी जांच होती है तो ठीक है क्योंकि बिन ब्याही मां बनना भी उच्च कुलीन परिवार की परंपरा बनती जा रही है. यदि किसी किसी की जांच होती है तो ये अपमान जनक है. मनोज कोटनाला का कहना है सरकार की नीतियां क्या हैं और कैसी हैं यह सब को पता है. वे लकीर से हट कर कोई काम नहीं करते चाहे वह गलत क्यों न हो.

मुश्किल नहीं मोटापा कम करना आलेख पर आबिद अली मंसूरी लिखते हैं मैं मोटा नही हूं इसलिए भी बता पाना मुश्किल होगा. मैंने अक्सर देखा है मोटे लोगों को तरह-तरह की दवाइयों का सेवन करते, उनके ट्रीटमेंट में आयुर्वेदिक और एलोपेथिक दवाओं के साथ होम्योपैथिक दवाएं भी शामिल होती हैं, परिणाम फिर भी शून्य रहता है. मैंने उन मोटे लोगों को भी देखा है जो कम खाते हुए भी नियमित व्यायाम और डायटिंग करते हैं, उनका परिणाम कुछ हद तक साफ दिखता है कि वह अपना थोड़ा बहुत वजन घटाने में कामयाब हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार यदि जर्मन डॉ. की बातों पर अमल किया जाए तो इतना मुश्किल भी नहीं है मोटापे को कम करना. उपयोगी और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए शुक्रिया डॉयचे वेले जी!

मंथनः पिंटू ढाबी लिखते हैं मंथन बहुत ही अच्छा प्रोग्राम हैं. पिछले हफ्ते हमें इसमें सब से अच्छा लगा जो प्लेन में भी अब हम क्रिकेट देख पायेंगे. नेट भी प्लेन में ऑन कर सकते हैं. आकाश अग्रवाल का कहना है कि अगर आप अपने शो को रविवार को भी दिखाए तो मेरे जैसे स्कूल स्टूडेंट्स भी इस शो को देख सकेंगे.