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100 ट्रेनर बनाम इस्लामिक स्टेट

२१ दिसम्बर २०१४

जर्मनी अपने सैनिकों को उत्तरी इराक भेजने की तैयारी कर रहा है. सैनिक वहां कुर्दों को इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों से निपटने की ट्रेनिंग देंगे. नाओमी कोनराड इसे नाकाफी मानती हैं.

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तस्वीर: Bundeswehr/Florian Räbel/dpa

जर्मनी के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री साथ खड़े हैं. बर्लिन में दर्जनों पत्रकारों को जानकारी देते हुए दोनों बेहद गंभीर दिखाई पड़ रहे हैं. जर्मन सरकार चाहती है कि बर्बर और स्वघोषित इस्लामिक स्टेट (आईएस) की क्रूरता रोकी जाए. आईएस की बर्बरता के खिलाफ हिम्मत जुटाकर खड़े होने वाले समुदायों की मदद की जाए. जर्मनी के दोनों मंत्रियों के मुताबिक इराक में आईएस से लड़ रहे पेशमेर्गा अकेले नहीं पड़ने चाहिए.

तो क्या जर्मनी अपने अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को वहां भेजेगा और आईएस पर हमला करेगा. नहीं, ऐसा करने के बजाए जर्मनी अपने सैन्य ट्रेनरों को उत्तरी इराक भेज रहा है. जर्मन सेना के 100 सैनिक इरबिल जाकर कुर्द सेना को ट्रेनिंग देंगे. विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर के मुताबिक, "यह पूरी तरह एक ट्रेनिंग मिशन है, हमने युद्ध के लिए हामी नहीं भरी है." अगर इराक में हालात बदलते हैं तो ट्रेनर भेजने के फैसले को किसी भी समय पलटा जा सकता है. विदेश मंत्री ने साफ कर दिया कि जर्मनी अतंरराष्ट्रीय गठबंधन की सैन्य कार्रवाई में शामिल नहीं होगा. अंतरराष्ट्रीय गठबंधन आईएस पर हवाई हमले कर रहा है.

जो मुमकिन, वो करेंगे

हालांकि ट्रेनर भेजने के एलान को अभी जर्मन संसद की मंजूरी मिलनी बाकी है. यह नए साल में ही होगा. विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री के रुख से साफ है कि यह इजाजत मिल ही आएगी. संदेश साफ है: इराक और सीरिया में शांति बहाली के लिए जर्मनी बिना लड़े जो कुछ कर सकता है, करेगा. जर्मनी वहां हथियार और राहत सामग्री पहले ही भेज चुका है.

Kommentarfoto Naomi Conrad Hauptstadtstudio
नाओमी कोनराडतस्वीर: DW/S. Eichberg

यह निर्णायक नहीं होगा. इराक और सीरिया में जिहादियों ने नरसंहार जारी रखा है. वे दूसरे धर्म के लोगों और विदेशी पत्रकारों की हत्या कर रहे हैं. यजीदी महिलाओं से बलात्कार कर रहे हैं, उन्हें बेच रहे हैं. स्कूल और कॉलेजों में जिहाद की शिक्षा दे रहे हैं. कुल मिलाकर इस्लाम के नाम को बदनाम कर रहे हैं. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इराक और सीरिया में रक्तपात करने वाली ये ताकत नाइजीरिया, पाकिस्तान और मिस्र में प्रशंसक बना रही है. यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशियाई देशों के कुछ युवा भी उनसे प्रभावित हो रहे हैं. क्या जर्मनी के 100 ट्रेनर, इसे बंद करा पाएंगे. जर्मन राष्ट्रपति योआखिम गाउक कुछ महीने पहले जिस नई जिम्मेदारी की बात कर रहे थे, क्या ये वही है.

नाउम्मीदी का विस्तार

इस्लामिक स्टेट से कैसे निपटा जाए, इसके जवाब आसान नहीं हैं. इराक और सीरिया राजनैतिक रूप से भी डवांडोल हैं. सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ जब विपक्ष खड़ा हुआ तो दुनिया बंट गई. इस मतभेद ने एक शून्य की स्थिति बनाई और आईएस को फलने फूलने का मौका दिया. इसमें कोई शक नहीं कि कुर्दों को आईएस से लड़ने के लिए तुरंत मदद की जरूरत है. उन्हें लड़ाकू विमानों का सपोर्ट चाहिए, अत्याधुनिक हथियार और उन्हें चलाने का प्रशिक्षण चाहिए. ऐसे में 100 ट्रेनरों को भेजना, ये विशाल संकट के सामने रत्ती भर मदद है.

ब्लॉग: नाओमी कोनराड