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हिमनद की सैर

२६ फ़रवरी २०१४

जब बर्फ गिरती है तो जिंदगी अस्त व्यस्त हो जाती है. रास्ते बंद हो जाते हैं, लेकिन रोमांच के कुछ ऐसे शौकीन भी हैं जो सर्दियों में ऐसी जगहों पर जाने का जोखिम उठाते हैं जहां बर्फ और प्रकृति का संगम दिखे.

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तस्वीर: picture alliance / Udo Bernhart

आइसलैंड की खूबसूरत पहाड़ियां. बर्फ और प्रकृति का बेजोड़ संगम. यहां यूरोप के विशालकाय हिमनद हैं. और उनके आस पास के रास्ते गाड़ियों के लिए सिर्फ जून से अगस्त तक खोले जाते हैं. हालांकि कुछ पर्यटक ऐसे भी हैं, जो सर्दियों में ही हिमनदों की सैर करने की इच्छा रखते हैं. यूरोप का सबसे बड़े हिमनद में एक आइसलैंड का लांगयोकुट्ल है. वहां स्विट्जरलैंड के लेयोनहार्ड फॉप जाना चाहते हैं और सफर में कई दिन लगेंगे, वे बताते हैं, "अब उम्मीद है कि केवल सीधे रास्ते नहीं बल्कि चढ़ाई और ढलानों पर भी जाने का मौका मिलेगा, नदियां पार करेंगे, रोमांच होगा." उर्सुला युंकर के लिए आइसलैंड नया नहीं, "मैं पंद्रह साल से लगातार आइसलैंड आ रही हूं, पहली बार सर्दियों में आई हूं. इस तरह की यात्रा मुझे अच्छी लगती है."

सर्दियों में यात्रा के लिए इस टीम ने खास अनुमति ली है. पर्यटक यहां के मशहूर थिंक-वेर-लिर अभयारण्य से भी गुजरेंगे. इस दौरान खूबसूरत झरने और जमी हुई बर्फ में भाप उगलने वाले गर्म कुंड भी होंगे. वैसे हिमनद तक पहुंचना, वो भी सर्दियों में, इतना आसान नहीं है, रास्ते में कई मुश्किलें हैं. बर्फ के नीचे अक्सर पानी होता है और इस इलाके में अक्सर बड़ी बड़ी गाड़ियां फंस जाती हैं.

चूंकि दिन छोटे होते हैं, और अंधेरे में गाड़ी चलाना मुश्किल है. इसलिए सफर दिन में ही करना पड़ता है. गाइड अपने अनुभव के सहारे बर्फ के इस रेगिस्तान से रास्ता खोज निकालते हैं. एक घंटे में दो या तीन किलोमीटर की रफ्तार से टीम आइसलैंड के दूसरे सबसे बड़े हिमनद को पार करती है. लांगयो-कुट्ल हिमनद को पार करने में चौदह घंटे से ज्यादा लगे. इसे पार करने के जाने का रास्ता समंदर किनारे का है, वो मुश्किल भी नहीं.

रिपोर्टः मानसी गोपालकृष्णन

संपादनः आभा मोंढे