1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

हर दशक का नया अमिताभ

१० अक्टूबर २०१२

हिन्दी फिल्मों के सबसे बड़े स्टार ने भले ही सात दशक पूरे कर लिए हों लेकिन बॉलीवुड के शहंशाह को भी हर दशक में अपनी किस्मत और जिन्दगी से जूझना पड़ा है. यह बात अलग है कि कामयाबी ने हर बार इसके कदम चूमे हैं.

https://p.dw.com/p/16NWe
तस्वीर: AP

सात हिन्दुस्तानी का अनवर अली दो साल में बस इतना ही सफर तय कर पाया कि रेशमा और शेरा में उसकी आवाज चली गई. दूसरी तरफ उसके साथ फिल्मों में आने वाले काका राजेश खन्ना इसी दौरान आराधना की अपनी उड़ान बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार की मंजिल पर खत्म कर चुके थे. बड़ा खानदानी नाम होने के बाद भी अमिताभ बच्चन का संघर्ष काम नहीं आ रहा था. 70 के दशक में बाबू मोशाय की सीधी टक्कर आनंद से हुई तो काका ने बाजी मार ली. एक समय तो ऐसा भी आया, जब अमिताभ ने बॉलीवुड से बोरिया बिस्तर बांधने का इरादा कर लिया. लेकिन हिन्दी फिल्मों की ही तरह कहानी बाकी थी...

जंजीर से जीवनदान

तीन साल बाद की दीवाली में जब विजय खन्ना के मां बाप की मौत होती है, तो अमिताभ बच्चन के फिल्मी करियर को नई जिंदगी मिलती है. जंजीर का गुस्सैल इंस्पेक्टर उस वक्त के राजनीतिक हालात में आस पास का ही एक आम नौजवान दिखता है. भारत का आम इंसान राजनीतिक दबाव का शिकार था और गुस्सा निकालने को कोई मिलता नहीं था. तीन दशक के नाच गाने से ऊब चुका फिल्म प्रेमी कुछ नया देखना समझना चाहता था. अमिताभ ने उनकी भावनाओं को किरदार दिया. जंजीर चल निकली. अमिताभ चल निकले. बॉलीवुड ने राजेश खन्ना जैसे चिकने हीरो को शुक्रिया कह दिया.

Bollywood Schauspieler Amitabh Bachchan in Champs Elysees Theater in Paris
तस्वीर: AP

आने वाले सात आठ साल भारत की जनता ने जो कुछ देखा, वह आजादी के बाद अनोखा था. देश में इमरजेंसी लगी, गुस्सा परवान चढ़ा. अमिताभ ने कभी दीवार, तो कभी त्रिशूल से इस गुस्से को और हवा दी. व्यवस्था के प्रति नफरत से भरे इस नौजवान ने नास्तिक और डॉन बनना भी स्वीकार कर लिया. बीच में शोले जैसी औसत पर असाधारण कामयाब फिल्म ने अमिताभ का कद और बड़ा कर दिया. सत्तर के दशक का बचा हुआ हिस्सा सिर्फ और सिर्फ अमिताभ का था.

कुली का कालचक्र

दशक बीत चुका था, कामयाबी जारी थी. लेकिन तभी कुली की शूटिंग ने बॉलीवुड को हक्का बक्का कर दिया. पुनीत इस्सर के घूंसे ने सुपर स्टार को जो घाव दिया, तो वह सीधे अस्पताल पहुंचे. मामला इतना संगीन था कि भारत में दुआओं और प्रार्थनाओं का दौर शुरू हो चुका था. कहते हैं कि बेहोश अमिताभ को एक बार तो डॉक्टरों ने भी क्लीनिकली डेड घोषित कर दिया. पर किसी करिश्मे की तरह अमिताभ उस बीमारी से उबर गए. छह महीने बाद घर लौट गए.

इस हादसे ने उन्हें फिल्मों से दूर जरूर किया लेकिन सहानुभूति के रथ पर सवार उनके करियर को नया जीवनदान मिल गया. शराबी, मर्द, गिरफ्तार और शहंशाह जैसी औसत फिल्मों ने रुपहले पर्दे पर राज किया और अस्सी का दशक भी अमिताभ के नाम हो गया.

Amitabh Bachchan Bollywood Star
तस्वीर: dapd

बिजनेसमैन अमिताभ

हिन्दी फिल्मों में दो सुनहरे दशक बिताने के बाद अमिताभ ने नब्बे के दशक में नया सूरज देखा. पारस पत्थर जैसा व्यक्तित्व जिस चीज को छूता, वह सोना बन जाता. यहां तक कि पिछले दशक में राजनीति की कामयाब पारी भी इस बात का सबूत थी. अमिताभ की अगली छलांग कारोबार की दुनिया थी. एबीसीएल नाम की कंपनी बनने के साथ बुलंदियों को छूने लगी. लेकिन चढ़ता सूरज अचानक ढलान पर उतरने लगा. कंपनी वित्तीय अनियमितताओं में डूबने लगी. कर्जे उतारने में कंपनी का बुखार उतरने लगा. फिल्मों से इस कमी की भरपाई की कोशिश की गई तो सिल्वर स्क्रीन ने दगा दे दिया. कल का सुपर स्टार आज का फ्लॉप हीरो बना बैठा था. नब्बे का दशक बीत रहा था. अमिताभ का जादू टूट रहा था.

केबीसी से करोड़पति

टूटते जादू को करोड़पति का सहारा मिल गया. स्टार नेटवर्क ने ब्रिटिश टीवी शो की तर्ज पर भारत में भी कौन बनेगा करोड़पति शुरू करने का फैसला किया और अमिताभ को इसका होस्ट बनने पर राजी कर लिया. साल 2000 में दुनिया के सामने फ्रेंच कट दाढ़ी वाला धीर गंभीर अमिताभ था, जो अचानक बिग बी कहलाने लगा. कारोबारी अमिताभ का नुकसान टीवी शो ने पूरा कर दिया. केबीसी से भले ही गिने चुने करोड़पति निकले हों लेकिन खुद बिग बी का वारा न्यारा हो गया.

फिल्मों में भी वापसी हो गई. लंबा तगड़ा गुस्सेवर एंग्री यंग मैन एक धीर, गंभीर, शांतचित्त बुजुर्ग में बदल चुका था. अगली पीढ़ी के लिए जगह खाली करने के बाद भी अमिताभ ने अपनी जगह बनाए रखी. नई सदी के पहले दशक ने पिछली सदी के सुपर स्टार को महानायक बना दिया.

समीक्षाः अनवर जे अशरफ

संपादनः निखिल रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी